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भारत को चीन से दूर रखने की साजिश रच रहे ट्रंप?
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Sep 12, 2025, 10:19 am IST
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![]() भारत और अमेरिका के बीच हाल के वर्षों में कुछ व्यापारिक मुद्दों को लेकर तनाव जरूर देखने को मिला, लेकिन दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी और आपसी सहयोग पर इसका असर सीमित रहा है. अब एक बार फिर दोनों राष्ट्रों के बीच रिश्तों को नई दिशा देने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं. अमेरिका की ओर से भारत के लिए नामित राजदूत सर्जियो गोर ने शुक्रवार को संकेत दिया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आने वाले समय में भारत की यात्रा कर सकते हैं. राजदूत गोर ने बताया कि ट्रंप क्वाड देशों की एक अहम बैठक में भाग लेने के लिए भारत आ सकते हैं. हालांकि यात्रा की तारीखों को लेकर अभी कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ट्रंप क्वाड की भूमिका को और अधिक प्रभावी बनाने के पक्षधर हैं और इसी दिशा में उनकी यात्रा की योजना बनाई जा रही है. क्वाड की बैठक और बदलते समीकरण भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया मिलकर क्वाड (Quad) समूह का निर्माण करते हैं, जिसका मकसद हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और साझेदारी को बढ़ावा देना है. पहले यह प्रस्ताव था कि 2024 में क्वाड शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित किया जाएगा. हालांकि, अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन की विदेश यात्राओं में असमर्थता और चुनावी व्यस्तताओं के चलते इस बैठक को अमेरिका स्थानांतरित करना पड़ा. गौरतलब है कि इस वर्ष अमेरिका और जापान दोनों में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है, जिससे क्वाड के भीतर नई रणनीतियों और प्राथमिकताओं को लेकर फिर से चर्चा तेज हो गई है. ट्रंप की जापान यात्रा और भारत पर फोकस सर्जियो गोर ने यह भी जानकारी दी कि ट्रंप इस साल जापान की यात्रा कर चुके हैं और वहां के नए प्रधानमंत्री से मुलाकात भी कर चुके हैं. इस दौरान क्वाड सहयोग और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामूहिक भूमिका को लेकर गहन चर्चा हुई. गोर ने कहा कि यह बातचीत इस ओर इशारा करती है कि क्वाड अब केवल एक कूटनीतिक मंच नहीं, बल्कि एक रणनीतिक शक्ति केंद्र के रूप में उभर रहा है. चीन से दूरी बनाकर अमेरिका के करीब लाना चाहता है भारत को वॉशिंगटन राजदूत गोर ने स्पष्ट किया कि अमेरिका, भारत के साथ अपने संबंधों को बहुआयामी और दीर्घकालिक साझेदारी के रूप में देखता है. उन्होंने कहा, “टैरिफ को लेकर दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद रहे हैं, लेकिन यह केवल आर्थिक क्षेत्र तक सीमित हैं. भारत-अमेरिका के संबंध इससे कहीं अधिक गहरे और विश्वास पर आधारित हैं.” गोर ने हाल ही में अलास्का में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए संयुक्त सैन्य अभ्यास का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह साझेदारी अब रक्षा और रणनीतिक सहयोग के क्षेत्र में भी गहराई पकड़ रही है. उनका मानना है कि अमेरिका चाहता है कि भारत चीन से दूरी बनाए रखे और वॉशिंगटन के साथ अपने रिश्तों को प्राथमिकता दे. उन्होंने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते सिर्फ भूराजनीति तक सीमित नहीं, बल्कि यह आपसी विश्वास, साझा मूल्यों और वैश्विक जिम्मेदारियों पर आधारित हैं. |
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