|
चीन पर ट्रंप के 100% टैरिफ से भारत को होगा फायदा, इन सेक्टर में बढ़ेगा एक्सपोर्ट
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Oct 12, 2025, 19:35 pm IST
Keywords: trump donald j trum trump america president india america war ट्रंप और टैरिफ नीति डोनाल्ड ट्रंप china
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता व्यापारिक तनाव एक बार फिर वैश्विक आर्थिक संतुलन को चुनौती दे रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में चीन से आयातित वस्तुओं पर 100% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा ने दुनिया भर में हलचल मचा दी है. इस फैसले से जहां चीन को आर्थिक झटका लगने की संभावना है, वहीं भारत समेत कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए नए व्यापारिक अवसरों के दरवाजे खुलते नजर आ रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के सामानों पर अत्यधिक शुल्क लगने से अमेरिका में उनकी कीमतें बढ़ेंगी, जिससे वहां के खरीदार अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं. भारत इस स्थिति में एक मजबूत वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर सकता है. चीन पर क्यों बढ़ा टैरिफ? इस टैरिफ के पीछे एक प्रमुख कारण चीन द्वारा रेयर अर्थ मटेरियल्स (दुर्लभ खनिजों) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना है. 9 अक्टूबर को चीन ने इन सामग्रियों के निर्यात को और कड़ा कर दिया था. ये खनिज कई उच्च तकनीक उपकरणों, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और रक्षा उपकरणों के निर्माण में इस्तेमाल होते हैं. इसके जवाब में ट्रंप ने न केवल 100% टैरिफ की घोषणा की, बल्कि 1 नवंबर से लागू होने वाले इस फैसले के तहत अहम सॉफ्टवेयर और तकनीकी उत्पादों के निर्यात पर भी नियंत्रण की बात कही है. चीन पर टैरिफ, भारत को कैसे होगा लाभ? अब तक चीन से अमेरिका को निर्यात होने वाले उत्पादों पर लगभग 30% शुल्क लग रहा था. ट्रंप के नए फैसले से यह टैरिफ 130% तक पहुंच सकता है. इससे चीन से आयातित वस्तुएं अमेरिकी बाजार में काफी महंगी हो जाएंगी. इसके मुकाबले, भारत से आने वाले उत्पादों पर अभी करीब 50% या उससे कम शुल्क लगता है. ऐसे में भारतीय सामान कीमत के लिहाज से ज्यादा प्रतिस्पर्धी होंगे, जिससे अमेरिकी कंपनियों और रिटेलर्स के लिए भारत एक बेहतर विकल्प बन सकता है. कौन-कौन से सेक्टर होंगे सबसे ज्यादा लाभान्वित? 1. टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योग भारत पहले से ही दुनिया का एक प्रमुख कपड़ा निर्यातक है. अमेरिका में चीनी टेक्सटाइल महंगे हो जाने से भारतीय निर्यातकों को बड़ा ऑर्डर मिलने की संभावना है. 2. खिलौना उद्योग भारत का खिलौना उद्योग लगातार बढ़ रहा है और अमेरिकी कंपनियां अब चीन की जगह भारत जैसे भरोसेमंद सप्लायर्स से जुड़ना चाह रही हैं. कई भारतीय एक्सपोर्टर्स ने बताया है कि अमेरिकी रिटेल चेन जैसे Target और Walmart अब भारत से संपर्क कर रहे हैं. 3. फुटवियर और स्पोर्ट्स आइटम्स चीन इन क्षेत्रों में अमेरिका को बड़ी मात्रा में सामान सप्लाई करता है. टैरिफ के चलते अमेरिकी कंपनियां अब भारतीय उत्पादकों की ओर देख रही हैं. 4. इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स फ्रिज, वॉशिंग मशीन, टीवी जैसे प्रोडक्ट्स में भी भारत की हिस्सेदारी बढ़ सकती है. सरकार की PLI (Production Linked Incentive) योजनाओं से भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताएं पहले से ही मजबूत हो रही हैं. 5. सोलर पैनल्स और ऊर्जा उपकरण इन क्षेत्रों में भी चीन प्रमुख आपूर्तिकर्ता है. लेकिन टैरिफ के कारण भारत को अमेरिकी बाजार में घुसने का अवसर मिलेगा. भारत का एक्सपोर्ट कितना बढ़ सकता है? फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (FIEO) के अनुसार, इस व्यापारिक स्थिति से भारत के 86 बिलियन डॉलर (लगभग ₹7.3 लाख करोड़) तक के अतिरिक्त निर्यात की संभावना बन सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारतीय निर्यातक गुणवत्ता, समयबद्धता और प्रतिस्पर्धी कीमतों का ध्यान रखें, तो अमेरिका में उनका बाजार हिस्सा तेजी से बढ़ सकता है. किन अन्य देशों पर पड़ेगा असर? चीन पर टैरिफ का असर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगा. अमेरिका के अन्य व्यापारिक साझेदार जैसे:
भी इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं. इन देशों की सप्लाई चेन अमेरिका और चीन दोनों से जुड़ी हुई है, इसलिए इस संघर्ष से उन्हें झटका लग सकता है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर में. वैश्विक स्तर पर क्या हो सकता है असर? थिंक टैंक GTRI (Global Trade Research Initiative) का मानना है कि इस नए टैरिफ से कई ग्लोबल इंडस्ट्रीज़ प्रभावित होंगी, जैसे:
इनकी कीमतों में वैश्विक स्तर पर बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे निर्माण लागत बढ़ेगी और इनोवेशन व डेवलपमेंट की गति धीमी हो सकती है. |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
|
हां
|
|
|
नहीं
|
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|
|