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भारतीय सेना को मिलेगी वह मिसाइल, जिसने रूसी टैंकों को किया तबाह

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 23, 2025, 16:39 pm IST
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भारतीय सेना को मिलेगी वह मिसाइल, जिसने रूसी टैंकों को किया तबाह

नई दिल्ली: भारतीय सेना ने अपनी लड़ाकू क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए अमेरिका से आधुनिक FGM-148 जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइल खरीदने की मंजूरी दे दी है. आपातकालीन खरीद प्रक्रिया के तहत सेना को 12 जेवलिन लॉन्चर और 104 मिसाइलें प्राप्त होंगी. यह खरीद भारतीय सेना की पैदल सेना (इन्फैंट्री) की एंटी-आर्मर और कम दूरी पर दुश्मन टैंकों और बख्तरबंद वाहनों पर प्रभावी हमले की क्षमता को तेजी से बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है.

साथ ही, भारत ने अमेरिका से इस मिसाइल के मेक इन इंडिया के तहत उत्पादन की भी अनुमति मांगी है, ताकि देश में इस अत्याधुनिक हथियार का स्थानीय स्तर पर निर्माण संभव हो सके. यह कदम भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को सशक्त करने और आयात निर्भरता को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

जेवलिन मिसाइल: एक परिचय

FGM-148 जेवलिन मिसाइल अमेरिका की कंपनी रेथियन और लॉकहीड मार्टिन के सहयोग से विकसित की गई है. यह कंधे पर रखकर दागी जाने वाली तीसरी पीढ़ी की सबसे उन्नत एंटी-टैंक मिसाइलों में से एक है.

विशेषताएं:

  • टॉप अटैक मोड: जेवलिन मिसाइल अपने लक्ष्य के ऊपर जाकर हमला करती है, जहां टैंक का कवच सबसे कमजोर होता है.
  • सॉफ्ट लॉन्च सिस्टम: यह मिसाइल बिना बहुत अधिक दबाव या आवाज़ के दागी जा सकती है, जिससे इसे बंकर या बिल्डिंग से भी चलाया जा सकता है.
  • डिस्पोजेबल मिसाइल ट्यूब: मिसाइल दागने के बाद ट्यूब फेंक दी जाती है, जबकि लॉन्च कंट्रोल यूनिट पुन: उपयोग में लाई जा सकती है.
  • पोर्टेबल और त्वरित तैनाती: इसका हल्का वजन और आसान संचालन इसे तेजी से फील्ड में तैनात करने के योग्य बनाता है.

यूक्रेन में रूस के टैंकों का कब्रिस्तान

यूक्रेन युद्ध के दौरान यह मिसाइल बड़ी संख्या में रूसी टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने में सफल रही है. चाहे वह रूसी टी-72 हो या आधुनिक टी-90 टैंक, जेवलिन की मारक क्षमता ने सभी को बेअसर कर दिया है. यह मिसाइल की सटीकता, प्रभावशीलता और पोर्टेबिलिटी को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया है.

यूक्रेन की सेना के अलावा कई अन्य देशों की सेनाएं भी इस मिसाइल को अपने युद्धक बेड़े में शामिल कर चुकी हैं. इसका उपयोग युद्ध क्षेत्रों में पैदल सेना की कम दूरी की एंटी टैंक रक्षा के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है.

भारतीय सेना में जेवलिन की भूमिका और महत्व

भारतीय सेना के विशेषज्ञ मानते हैं कि जेवलिन मिसाइल भारतीय सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमता को कई गुना बढ़ा सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां भारी टैंक या बड़े हथियारों का संचालन कठिन होता है. जैसे:

  • पहाड़ी और दुर्गम इलाके
  • सीमावर्ती क्षेत्रों के छोटे-छोटे स्थान
  • घने जंगल या शहरी युद्ध के क्षेत्र

जेवलिन की उच्च सटीकता और पोर्टेबिलिटी से पैदल सेना की रैपिड स्ट्राइक यूनिट को लक्ष्यों पर त्वरित और निर्णायक हमले की क्षमता मिलेगी.

रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि यह मिसाइल भारी एंटी टैंक हथियारों के साथ मिलकर रणनीतिक संचालन को और अधिक कुशल बनाती है. कमांडर इसे आसानी से तैनात कर सकते हैं और कम दूरी पर दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को नष्ट कर सकते हैं.

अमेरिका के साथ सह-उत्पादन की संभावना

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठकों में जेवलिन मिसाइल के संयुक्त उत्पादन पर चर्चा हुई थी. भारत ने अमेरिका से इस तकनीक के सह-उत्पादन की अनुमति मांगी है, जो मेक इन इंडिया पहल को प्रोत्साहित करेगी.

अगर यह अनुमति मिल जाती है, तो भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिन्हें इस अत्याधुनिक हथियार का उत्पादन करने का अधिकार मिलेगा. इसके साथ ही, अमेरिका भारतीय सेना को इस मिसाइल के उपयोग और रखरखाव की व्यापक ट्रेनिंग भी प्रदान करेगा.

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