मनोज पाठक ,
Aug 07, 2017
आनन्द चाहिये, तन का, मन का तो तन को तानिये, मन को साधिये, प्राणों के योग द्वारा , बिना प्राणों को जाने, प्राणों के आवागमन के साथ तन का रमण किये मन को नहीं जाना जा सकता और ना ही तन की सीमाओं का अतिक्रमण किया जा सकता ।
योग का संकल्प लीजिये व्रत कीजिये हम आपके साथ हैं।
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मनोज पाठक ,
Jul 25, 2017
मनोज पाठक, भारतीय रेडियो और टेलीविजन जगत की जानीमानी शख्सियत हैं. एक कलाकार के साथ ही भारतीय धर्म, अध्यात्म, संस्कृति और योग सुत्र के ज्ञाता पाठक अपनी दमदार आवाज वाले ऑडियो के साथ हर दिन 'मुस्कान मेल' के साथ आप के पास पहुंचते रहे हैं, पर आज ध्वनि संदेश की जगह आज उनका यह मेल मिला. यह मुस्कान मेल का विराम काल है या विश्राम, संधि वेला है या विरह राग...जानें स्वयं मनोज पाठक की आवाज मेंः ....
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मनोज पाठक ,
Nov 13, 2016
मुस्कान मेल एक कोशिश है आपके होंठों पर मुस्कुराहट के गुलाब उगाने की । आपका तन मन स्वस्थ हो और आप सहज होकर मुस्कुरा सकें इसलिए मुस्कान मेल हाजिर है। आलेख पढ़िए और अपनी राय दीजिए। ध्वनि संदेश के रूप में यह कोशिश 15 अप्रैल 2016 जानकी जयंती से चल रही है अब जनता जनार्दन में अनीयतकाल में यह सेवा आलेख के रूप में हाजिर है। आनन्द लीजिए। ....
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