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रूस ने तैयार कर लिया सुखोई Su-57 फाइटर जेट

जनता जनार्दन संवाददाता , Sep 10, 2025, 13:07 pm IST
Keywords: Su-57 फाइटर जेट   Saturn AL-41F1   चीन  
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रूस ने तैयार कर लिया सुखोई Su-57 फाइटर जेट

रूस ने अपने बहुप्रतीक्षित फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट प्रोग्राम में एक बड़ा कदम उठाते हुए Su-57 के अपग्रेडेड वैरिएंट को पेश किया है, जिसे Su-57M1 या अनौपचारिक रूप से 'सुपर सुखोई' कहा जा रहा है. एक वक्त था जब रूस के इस फाइटर जेट पर पश्चिमी देशों के विशेषज्ञों ने सवाल उठाए थे — न तो इसकी स्टेल्थ तकनीक F-22 रैप्टर जैसी मानी गई, और न ही इसकी अवनति J-20 या FC-31 जैसी. लेकिन अब, रूसी एयरोस्पेस इंडस्ट्री ने दावा किया है कि यह नया वैरिएंट पिछली सभी कमजोरियों को पीछे छोड़ चुका है.

Su-57 की सबसे बड़ी आलोचना इसके इंजन को लेकर थी. यह पुराने Saturn AL-41F1 इंजन पर आधारित था, जो Su-35S से लिया गया था. इसकी थ्रस्ट और सुपरक्रूज़ क्षमताएं अमेरिका और चीन के जेट्स से कमजोर मानी जाती थीं. लेकिन अब Su-57M1 में नया AL-51F1 इंजन लगाया गया है, जो न सिर्फ ज्यादा थ्रस्ट (लगभग 17,000 किलोग्राम-फोर्स) देता है, बल्कि इससे कम हीट पैदा होती है, जिससे फाइटर की स्टेल्थ क्षमता और रडार से बचने की योग्यता बेहतर हो जाती है. साथ ही, यह सुपरक्रूज़ में Mach 2 की स्पीड को बिना आफ्टरबर्नर के भी हासिल कर सकता है.

स्टेल्थ और डिज़ाइन में हुए बड़े बदलाव

इस नए संस्करण में एयरफ्रेम और फ्यूजलेज को फिर से डिज़ाइन किया गया है, जिससे इसकी Radar Cross Section (RCS) पहले से काफी कम हो गई है. स्टेल्थ को और मजबूत बनाने के लिए इसकी आंतरिक वेपन बे और सतह की डिज़ाइन में बड़े सुधार किए गए हैं. AESA आधारित N036 बेल्का रडार सिस्टम अब इस फाइटर का प्रमुख हथियार बन चुका है. यह न सिर्फ हवा में 60 लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक कर सकता है, बल्कि उनमें से 16 को एक साथ मार भी सकता है. यही नहीं, जमीनी लक्ष्यों के खिलाफ भी यह एक साथ 4 अलग-अलग टारगेट्स पर हमला कर सकता है.

अब पायलट को मिलेगा एआई का साथ

Su-57M1 में Artificial Intelligence (AI) सिस्टम को भी शामिल किया गया है. यह मिशन की तैयारी से लेकर ऑपरेशन तक पायलट को रीयल टाइम डेटा और निर्णय समर्थन प्रदान करता है. इसमें नया हेलमेट-माउंटेड टारगेटिंग सिस्टम भी जोड़ा गया है, जो विमान के सभी सेंसर डेटा को सीधे पायलट के हेलमेट वाइज़र पर दिखाता है. यह सिस्टम भले ही अमेरिकी F-35 या चीनी J-20 जैसे Distributed Aperture System (DAS) जितना एडवांस न हो, लेकिन अब भी यह रूसी तकनीक के लिए एक बड़ा कदम है.

मिसाइल सिस्टम में हुआ क्रांतिकारी बदलाव

Su-57M1 को पहले की तुलना में कहीं ज्यादा घातक मिसाइल प्रणाली से लैस किया गया है. पहले इसमें R-37M मिसाइल लगाई जाती थी, जिसकी रेंज लगभग 400 किमी थी और गति मैक 6 तक पहुँचती थी, लेकिन यह अंदरूनी वेपन बे में फिट नहीं हो पाती थी. जिससे स्टेल्थ क्षमता पर असर पड़ता था. अब रूस ने इज़्देलिये 810 नाम की नई मिसाइल विकसित की है, जिसकी लंबाई 4 मीटर और वजन करीब 400 किलोग्राम है. इसकी गति मैक 7 से 9 के बीच है और इसे विमान के भीतर ही फिट किया जा सकता है, जिससे स्टेल्थ क्षमता बनी रहती है.

क्या भारत लेगा सुपर सुखोई में दिलचस्पी?

भारत लंबे समय से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की तलाश में है. पहले रूस के साथ FGFA प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा हुई थी, लेकिन तकनीकी मतभेदों के चलते वह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. अब जब Su-57M1 ने अपने पुराने सभी कमियों को काफी हद तक दूर कर लिया है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत इस नए 'सुपर सुखोई' में निवेश करने को तैयार होगा. खासकर तब, जब भारत खुद भी AMCA प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है और साथ ही राफेल जैसे फोर्थ-एंड-हाफ जनरेशन फाइटर्स का संचालन कर रहा है.

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