इजरायल के खिलाफ प्रशांत महासागर में उतरे चीनी फाइटर जेट, अमेरिकी एयरक्राफ्ट देंगे जवाब?

इजरायल के खिलाफ प्रशांत महासागर में उतरे चीनी फाइटर जेट, अमेरिकी एयरक्राफ्ट देंगे जवाब?

जब पश्चिम एशिया में अमेरिका और ईरान आमने-सामने खड़े हैं, उसी वक्त चीन ने प्रशांत महासागर में अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन तेज कर दिया है. अमेरिका जहां मिडिल ईस्ट में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर अपना फोकस शिफ्ट कर रहा है, वहीं चीन ने इस खालीपन को भांपते हुए दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स — लियाओनिंग और शांडोंग — को एक साथ पानी में उतार दिया है.

इस सैन्य गतिविधि ने न सिर्फ जापान को सतर्क कर दिया है, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हलचल बढ़ा दी है. अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर USS Nimitz, जो पहले साउथ चाइना सी में तैनात था, अब मिडिल ईस्ट की ओर रवाना हो चुका है, जिससे चीन को खुलकर खेलने का मौका मिल गया है.

पहली बार एक साथ उतरे चीन के दो कैरियर्स

जापान के रक्षा मंत्रालय ने 9 जून को पहली बार पुष्टि की कि चीन के दो एयरक्राफ्ट कैरियर्स एक साथ प्रशांत महासागर में ऑपरेट कर रहे हैं. लियाओनिंग कैरियर ने 8 जून से लेकर सोमवार तक 290 बार फाइटर जेट्स और हेलिकॉप्टर्स की उड़ान और लैंडिंग करवाई. यह टोक्यो से 1,250 किमी दूर इवोटो द्वीप के दक्षिण-पश्चिम की दिशा में सक्रिय था.

वहीं, शांडोंग कैरियर ने 9 जून से सोमवार तक 230 बार ऐसे ही ऑपरेशन्स को अंजाम दिया. यह टोक्यो से करीब 1,700 किमी दक्षिण में ओकिनोटोरी द्वीप के पास तैनात था. जापान के अनुसार, यह कदम चीन की ‘दूर समुद्रों में दबदबा बनाने की रणनीति’ का हिस्सा है.

चीन-जापान के बीच तनाव में इज़ाफ़ा

इन गतिविधियों के बीच जापान ने चीन के खिलाफ कड़ा विरोध भी दर्ज कराया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 7 और 8 जून को शांडोंग से उड़ान भरता एक जे-15 फाइटर जेट जापानी सेना के एक गश्ती विमान के बेहद करीब आ गया, जिसे जापान ने "खतरनाक" बताया.

इसके अलावा, लियाओनिंग कैरियर ने एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड भी बनाया है. यह पहली बार हुआ है कि कोई चीनी कैरियर दूसरी द्वीप श्रृंखला (जापान के इजु द्वीपों से लेकर गुआम तक) को पार कर गया है. यह पहली द्वीप श्रृंखला — जिसमें जापान, ताइवान और फिलीपींस आते हैं — से भी आगे निकलकर चीन ने प्रशांत महासागर में अपनी पहुँच का दायरा बड़ा कर दिया है.

अमेरिका मिडिल ईस्ट में व्यस्त, चीन पैसिफिक में एक्टिव

जैसे ही अमेरिका ने अपने कैरियर USS Nimitz को मिडिल ईस्ट भेजा है, चीन ने तुरंत सैन्य रूप से सक्रियता बढ़ा दी. यह एक स्पष्ट संदेश है कि चीन अब पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका के कमजोर पड़ते फोकस का फायदा उठाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है. इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि चीन अपने सैन्य दायरे को अब न केवल साउथ चाइना सी तक सीमित रखना चाहता, बल्कि वह गहरे पैसिफिक में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है.

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