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अमेरिका-चीन कर रहे छठी पीढ़ी के फाइटर जेट पर काम, AMCA तक नहीं रुकेगा भारत

अमेरिका-चीन कर रहे छठी पीढ़ी के फाइटर जेट पर काम, AMCA तक नहीं रुकेगा भारत

नई दिल्ली: भारत अब अत्याधुनिक सैन्य टेक्नोलॉजी की दिशा में एक और क्रांतिकारी कदम उठाने जा रहा है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने संकेत दिए हैं कि देश अब छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान (6th Generation Fighter Jet) को डिजाइन और विकसित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह न केवल भारत की एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी में तेजी से हो रही प्रगति को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि आने वाले वर्षों में भारत रक्षा क्षेत्र में वैश्विक महाशक्तियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की स्थिति में होगा.

दुनिया में फिलहाल कोई भी देश छठी पीढ़ी का फुली ऑपरेशनल फाइटर जेट अपने बेड़े में शामिल नहीं कर पाया है. अमेरिका और चीन दोनों इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं, लेकिन इनमें से किसी का भी प्रोजेक्ट अभी तक उड़ान स्तर पर नहीं पहुंच पाया है. अमेरिका की बोइंग कंपनी 'F-47' नामक एक फाइटर जेट पर काम कर रही है, जबकि चीन ‘J-36’ और ‘J-50’ जैसे दो प्रोटोटाइप पर एक साथ रिसर्च और डेवलपमेंट कर रहा है.

भारत का तेजस से AMCA और अब उससे आगे

भारत पहले ही स्वदेशी चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान 'तेजस' का निर्माण कर चुका है और उसके अपग्रेडेड 4.5 पीढ़ी के वर्जन पर काम कर रहा है. इसके अलावा पांचवीं पीढ़ी के 'एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट' (AMCA) प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम हो रहा है. इन सभी परियोजनाओं से जो तकनीकी अनुभव, अनुसंधान, और संसाधन विकसित हुए हैं, उन्होंने भारत को छठी पीढ़ी के फाइटर जेट विकसित करने की ओर एक ठोस आधार दे दिया है.

छठी पीढ़ी के फाइटर जेट की खासियतें क्या होंगी?

छठी पीढ़ी का फाइटर जेट न सिर्फ पारंपरिक एयर डॉमिनेंस में श्रेष्ठ होगा, बल्कि इसमें कई क्रांतिकारी तकनीकें भी शामिल होंगी. इनमें कुछ प्रमुख विशेषताएं होंगी:

  • एडवांस्ड स्टील्थ टेक्नोलॉजी: जिससे विमान रडार की पकड़ में नहीं आएगा.
  • हाइपरसोनिक गति: यह विमान ध्वनि की गति से कई गुना तेज होगा.
  • डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (Laser Weapons): लेजर आधारित हथियार जो दुश्मन के विमान या मिसाइल को पलक झपकते ही नष्ट कर सकते हैं.
  • AI-इंटीग्रेशन: कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित सिस्टम जो पायलट की सहायता से निर्णय ले सकें और बिना पायलट वाले ड्रोन (Unmanned Wingmen) के झुंड को कमांड दे सकें.
  • साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताएं: ताकि यह विमान न केवल भौतिक युद्ध में बल्कि डिजिटल युद्ध में भी अग्रणी हो.

"लॉयल विंगमेन" तकनीक का प्रयोग

छठी पीढ़ी के जेट्स में "Loyal Wingman" नामक अवधारणा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इसमें मुख्य लड़ाकू विमान के साथ कई छोटे, बिना पायलट वाले ड्रोन होंगे जो उसे सहायता देंगे, सुरक्षा प्रदान करेंगे और दुश्मन पर हमला करने में भी मदद करेंगे. इन सभी ड्रोन को मुख्य विमान के AI सिस्टम से नियंत्रित किया जाएगा.

डीआरडीओ की आधिकारिक पुष्टि

हाल ही में DRDO की एयरोनॉटिकल सिस्टम की महानिदेशक, के. राजलक्ष्मी मेनन ने बताया कि भारत अब छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के विकास के लिए पूरी तरह तैयार है. उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा परियोजनाओं और तकनीकी क्षमताओं के आधार पर भारत आने वाले वर्षों में इस लक्ष्य को हासिल करने में सफल हो सकता है. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि अब भारत सिर्फ तकनीकी अनुसरणकर्ता नहीं, बल्कि तकनीकी अग्रदूत बनने की ओर अग्रसर है.

चीन की स्थिति: दो प्रोटोटाइप पर काम

चीन इस रेस में सबसे आक्रामक रूप से आगे बढ़ रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, वह 'J-36' नामक तीन इंजनों वाले विमान और 'J-50' नामक दूसरे प्रोटोटाइप पर एक साथ काम कर रहा है. मार्च 2025 में इन दोनों को एक साथ देखे जाने की रिपोर्ट भी सामने आई थी. हालांकि, यह अब भी टेस्टिंग के चरण में हैं और ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट में समय लग सकता है.

अमेरिका की परियोजना: F-47 और NGAD

अमेरिका ने 'नेक्स्ट जेनरेशन एयर डॉमिनेंस' (NGAD) प्रोग्राम के तहत 'F-47' नामक अगली पीढ़ी के फाइटर जेट को बनाने का ठेका बोइंग कंपनी को दिया है. इसमें पहले नेवी वर्जन के आने की संभावना जताई जा रही है, जिसे अमेरिकी नौसेना की अगली पीढ़ी की हवाई ताकत के रूप में देखा जा रहा है.

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