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बिहार के 2 लाख 41 हजार किसानों के खाते में आए 113 करोड़ रुपये

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 02, 2025, 18:23 pm IST
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बिहार के 2 लाख 41 हजार किसानों के खाते में आए 113 करोड़ रुपये

पटना: बिहार के लाखों किसानों के लिए यह दिन राहत और उम्मीद लेकर आया है. फसलों को हुए नुकसान के बीच राज्य सरकार ने एक बड़ी आर्थिक मदद की घोषणा करते हुए करीब 2.41 लाख किसानों के खातों में 113 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए हैं. यह सहायता राशि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कृषि इनपुट अनुदान योजना के तहत दी गई है.

सीएम नीतीश ने किया डिजिटल ट्रांसफर

मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए रिमोट का बटन दबाकर इस राहत राशि को ट्रांसफर किया. इसी के साथ राज्य में कई अन्य योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन भी किया गया. सरकार का यह कदम ऐसे समय में आया है जब किसान लगातार मौसम की मार झेल रहे हैं और खरीफ फसल को भारी नुकसान हुआ है.

क्यों दी गई ये आर्थिक मदद?

बिहार के कई ज़िलों में अति ओलावृष्टि और भारी बारिश ने खरीफ की फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है. सरकार ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए किसानों को मुआवजा देने का निर्णय लिया. यह राहत राशि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 21वीं किस्त से पहले आई है, जिससे किसानों को दोहरी राहत मिल सकेगी.

मुआवजे की राशि कितनी है?

राज्य सरकार ने पिछली बार की तरह इस बार भी हेक्टेयर के हिसाब से अनुदान राशि निर्धारित की है. असिंचित भूमि के लिए ₹8,500 प्रति हेक्टेयर है. वहीं, सिंचित भूमि के लिए ₹17,000 प्रति हेक्टेयर है. इसके अलावा अधिकतम सीमा के लिए एक किसान को अधिकतम 2 हेक्टेयर तक का मुआवजा मिलेगा. वहीं, न्यूनतम राशि असिंचित क्षेत्र के लिए ₹1,000 और सिंचित के लिए ₹2,000 तक की मदद मिलती है.

ऐसे चेक करें स्टेटस

  • ऑफिशियल पोर्टल dbtagriculture.bihar.gov.in पर जाएं.
  •  
  • इसके बाद "कृषि इनपुट अनुदान खरीफ (2025-26)" पर क्लिक करें. 
  • अपना रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज करें और Application Status चुनें
  • स्क्रीन पर आपकी स्थिति दिख जाएगी

योजना की पात्रता क्या है?

यह योजना केवल बिहार के पंजीकृत किसानों के लिए लागू है. एक परिवार के केवल एक सदस्य को लाभ मिलेगा (यदि परिवार अलग रहते हैं तो अलग आवेदन हो सकता है). योजना का लाभ पाने के लिए किसान को पहले पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है

किन किसानों को मिला लाभ?

जिन किसानों की फसलें 22 अगस्त से 5 सितंबर 2025 के बीच बारिश, बाढ़ या जलभराव से खराब हुई थीं और जिन्होंने उस दौरान आवेदन किया था, उन्हें यह लाभ दिया गया है. गंगा, कोसी और अन्य नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण हजारों एकड़ फसलें बर्बाद हो गई थीं.

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