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H1-B वीजा और टैरिफ से वार कर रहे ट्रंप, अब भारत ने कस लिया कमर
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Oct 07, 2025, 10:38 am IST
Keywords: H1-B वीजा भारत आर्थिक राजनीति india america china pakistan
![]() दुनिया की आर्थिक राजनीति इस समय गहरे बदलाव के दौर से गुजर रही है. व्यापार, तकनीक, सुरक्षा और रणनीति हर क्षेत्र में शक्तिशाली देशों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो चुकी है. अमेरिका की टैरिफ नीति, खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में, एक ऐसे हथियार के रूप में उभरी जिसने वैश्विक व्यापार की दिशा ही बदल दी. भारत पर लगाए गए 50% तक के टैरिफ ने यह साफ कर दिया कि अब व्यापार सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक हथियार भी बन चुका है. ऐसे अस्थिर अंतरराष्ट्रीय माहौल में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने हाल ही में भारत की दीर्घकालिक रणनीति को स्पष्ट किया. नई दिल्ली में आयोजित अरावली समिट (JNU के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज द्वारा आयोजित) में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि आज की वैश्विक व्यवस्था में "हर चीज को हथियार बनाया जा सकता है" और भारत को इस हकीकत को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना होगा. अस्थिर होती वैश्विक व्यवस्था और चुनौती जयशंकर ने बताया कि दुनिया एक असामान्य अस्थिरता के दौर से गुजर रही है. वैश्विक विनिर्माण (manufacturing) का एक बड़ा हिस्सा केवल एक क्षेत्र चीन में केंद्रित है. इससे सप्लाई चेन पर निर्भरता बढ़ी है और विकल्प सीमित हो गए हैं. इसके साथ ही दुर्लभ खनिजों (rare earth minerals) के लिए प्रतिस्पर्धा तेज हो चुकी है और तकनीकी संसाधनों पर नियंत्रण पहले से कहीं अधिक कड़ा हो गया है. यह स्थिति भारत के लिए खतरे और अवसर दोनों लेकर आई है. यदि भारत को वैश्विक शक्ति बनना है, तो उसे इस नई विश्व व्यवस्था के अनुरूप खुद को ढालना होगा. 3D मॉडल: भारत का नया दृष्टिकोण जयशंकर ने भारत की आगे की राह को तीन स्तंभों पर आधारित बताया, जिसे उन्होंने ‘3D’ नाम दिया- डिमांड, डेमोग्राफी और डेटा. 1. डिमांड: भारत का विशाल घरेलू बाजार जयशंकर ने कहा कि भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े घरेलू बाजारों में से एक है. उन्होंने इस बाजार को देश की रणनीतिक ताकत बताया. यदि अमेरिका या अन्य देश भारत के खिलाफ टैरिफ जैसे हथियारों का प्रयोग करते हैं, तो भारत अपने घरेलू बाजार की शक्ति को रणनीतिक रूप से इस्तेमाल कर सकता है. जयशंकर ने कहा "अगर हमारे निर्यात पर भारी शुल्क लगाए जाते हैं, तो हम आत्मनिर्भरता और घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देकर जवाब दे सकते हैं." स्वदेशी उत्पादन और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाए गए कदमों जैसे मेक इन इंडिया, PLI स्कीम्स और वोकल फॉर लोकल को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है. 2. डेमोग्राफी: भारत की युवा आबादी जयशंकर ने यह स्पष्ट किया कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसका युवा और कुशल कार्यबल है. स्किल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं ने देश के युवाओं को सशक्त किया है. उन्होंने कहा कि भारत केवल खुद के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक स्किल हब बन सकता है. जयशंकर ने कहा, "हमारा लक्ष्य है कि भारतीय वर्कफोर्स को ग्लोबल ब्रांड बनाया जाए. दुनिया को हमारे युवाओं की स्किल और इनोवेशन की जरूरत है." इस संदर्भ में भारत का तकनीकी और इंजीनियरिंग टैलेंट विशेष रूप से वैश्विक कंपनियों का ध्यान आकर्षित कर रहा है, खासकर अमेरिका, यूरोप और दक्षिण एशिया में. 3. डेटा: भविष्य की ऊर्जा जयशंकर ने कहा कि आने वाला युग डेटा का है. भारत आज न केवल डेटा खपत में, बल्कि डेटा प्रबंधन और स्टोरेज में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने बताया कि नोएडा, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे शहरों में डेटा सेंटर हब्स बन रहे हैं. उन्होंने कहा, "डेटा अगली पीढ़ी की ऊर्जा है, और भारत इसके लिए एक ग्लोबल केंद्र बन सकता है." डिजिटल इंडिया, Aadhaar, UPI, और ONDC जैसी पहलें भारत को डेटा-संचालित अर्थव्यवस्था में अग्रणी बना रही हैं. इसके साथ ही भारत ने डेटा लोकलाइजेशन और डिजिटल संप्रभुता पर भी ध्यान केंद्रित किया है. तकनीक और भू-राजनीति जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि आज के दौर में युद्ध केवल पारंपरिक हथियारों से नहीं लड़े जाते. तकनीक, साइबर क्षमता, डेटा और आर्थिक दबाव नए किस्म के युद्धों के उपकरण बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि तकनीक की पहुंच इतनी गहरी हो गई है कि यह अब संप्रभुता को भी चुनौती देने लगी है. जयशंकर ने चेताया, "आज युद्ध ज्यादा दूर से होता है, ज्यादा प्रभावी और ज्यादा जोखिम भरा होता है. |
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