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अमेरिका बनाने जा रहा नया ग्रुप, भारत, रूस, चीन और जापान होंगे शामिल

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 13, 2025, 12:07 pm IST
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अमेरिका बनाने जा रहा नया ग्रुप, भारत, रूस, चीन और जापान होंगे शामिल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर वैश्विक व्यवस्था को नए सिरे से गढ़ने की सोच के साथ सुर्खियों में हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रंप एक नए अंतरराष्ट्रीय मंच “कोर फाइव” (C5) के गठन पर विचार कर रहे हैं, जिसमें दुनिया के पांच सबसे प्रभावशाली देशों को शामिल किया जाएगा. इस प्रस्तावित समूह में अमेरिका के साथ भारत, रूस, चीन और जापान शामिल हो सकते हैं.

अमेरिकी राजनीतिक वेबसाइट पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, यह नया मंच मौजूदा ग्रुप ऑफ सेवन (G7) की जगह ले सकता है. G7 फिलहाल अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, इटली और जापान जैसे विकसित और लोकतांत्रिक देशों का समूह है, लेकिन ट्रंप की सोच इससे अलग मानी जा रही है.

G7 से अलग क्यों है ट्रंप का C5 विचार?

G7 को आमतौर पर अमीर और लोकतांत्रिक देशों का क्लब माना जाता है. इसके विपरीत, ट्रंप की कथित योजना ऐसे मंच की है, जिसमें विचारधारा या राजनीतिक प्रणाली से ज्यादा ताकत और प्रभाव को प्राथमिकता दी जाए.

रिपोर्ट के अनुसार, C5 में शामिल किए जाने वाले सभी देश:

  • वैश्विक स्तर पर बड़ी सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक शक्ति रखते हैं
  • 10 करोड़ से अधिक आबादी वाले देश हैं
  • अपने-अपने क्षेत्रों में निर्णायक प्रभाव रखते हैं

इस प्रस्तावित समूह में लोकतंत्र और गैर-लोकतंत्र दोनों तरह की सरकारें शामिल होंगी, जो G7 की मौजूदा संरचना से बिल्कुल अलग है.

कहां से सामने आया C5 का विचार?

हालांकि इस योजना को लेकर अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन पोलिटिको के मुताबिक C5 का उल्लेख नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी के एक लंबे ड्राफ्ट में किया गया था. यह ड्राफ्ट सार्वजनिक नहीं है.

पोलिटिको इस दस्तावेज़ की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सका, लेकिन एक अन्य अमेरिकी रक्षा मामलों की वेबसाइट Defense One ने इस ड्राफ्ट के अस्तित्व की पुष्टि किए जाने का दावा किया है. फिलहाल यह भी स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप ने इस विचार को लेकर भारत, रूस, चीन या जापान के नेताओं से कोई औपचारिक बातचीत की है या नहीं.

C5 का संभावित एजेंडा क्या हो सकता है?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यदि C5 का गठन होता है तो इसकी पहली बैठक का मुख्य फोकस मिडिल ईस्ट की सुरक्षा होगी. खास तौर पर:

  • इजराइल और सऊदी अरब के बीच रिश्तों को सामान्य बनाने पर चर्चा
  • क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा संतुलन

बताया गया है कि यह समूह G7 की तरह नियमित बैठकें करेगा और वैश्विक संकटों पर विशेष शिखर सम्मेलन भी आयोजित कर सकता है.

ट्रंप की विदेश नीति से मेल खाता है यह विचार

विशेषज्ञों का मानना है कि पहले यह योजना असंभव लगती थी, लेकिन अब यह ट्रंप की सोच के अनुरूप दिखाई देती है. ट्रंप का रिकॉर्ड रहा है कि वे पारंपरिक बहुपक्षीय संस्थाओं की बजाय सीधे शक्तिशाली देशों के नेताओं से सौदेबाजी को प्राथमिकता देते हैं.

इसके उदाहरण के तौर पर:

  • चीन को Nvidia के H200 AI चिप्स की बिक्री की अनुमति देना
  • अपने विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और जेरेड कुशनर को मास्को भेजकर राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से सीधी बातचीत कराना

ये कदम दिखाते हैं कि ट्रंप बड़े वैश्विक खिलाड़ियों के साथ आमने-सामने की कूटनीति में विश्वास रखते हैं.

बाइडेन प्रशासन के दौरान नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में यूरोप मामलों की निदेशक रहीं टोरी टाउसीग का कहना है कि C5 का विचार ट्रंप के विश्वदृष्टिकोण से मेल खाता है. उनके अनुसार ट्रंप:

  • विचारधारा से ज्यादा ताकतवर नेताओं के साथ तालमेल पर भरोसा करते हैं
  • बड़ी शक्तियों को उनके-उनके क्षेत्रों में प्रभाव बनाए रखने का अवसर देना चाहते हैं

क्या यह ट्रंप की पिछली चीन नीति से उलट है?

पहली ट्रंप सरकार में सीनेटर टेड क्रूज के सलाहकार रहे माइकल सोबोलिक का मानना है कि C5 का विचार ट्रंप की पहली कार्यकाल की चीन नीति से बिल्कुल अलग दिशा में जाता है.

नया वर्ल्ड ऑर्डर बनाने की कोशिश?

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप प्रशासन ने वैश्विक व्यवस्था को नए सिरे से परिभाषित करने की बात की हो. नवंबर में रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित G2 बैठक का भी जिक्र किया था.

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