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H1B और H-4 वीजा पर बढ़ी अमेरिका की सख्ती, सोशल मीडिया भी किया जाएगा चेक

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 23, 2025, 11:20 am IST
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H1B और H-4 वीजा पर बढ़ी अमेरिका की सख्ती, सोशल मीडिया भी किया जाएगा चेक

अमेरिका ने H-1B और H-4 वीजा के आवेदन प्रक्रिया में नई सुरक्षा जांच लागू कर दी है. 15 दिसंबर 2025 से, सभी आवेदकों की ऑनलाइन उपस्थिति और सोशल मीडिया प्रोफाइल की भी समीक्षा की जाएगी. यह नियम दुनिया भर के सभी देशों के H-1B और H-4 वीजा आवेदकों पर लागू होगा.

भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने बताया कि यह कदम H-1B वीजा के दुरुपयोग और अवैध इमिग्रेशन पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है. इस फैसले के बाद भारत में कई वीजा इंटरव्यू कुछ महीनों तक टाल दिए गए हैं. कुछ इंटरव्यू अब मार्च से मई 2026 के बीच रीशेड्यूल किए गए हैं. इससे उन लोगों को परेशानी हो रही है, जो पहले ही भारत आ चुके थे और वीजा प्रक्रिया लंबी होने के कारण अमेरिका वापस नहीं जा पा रहे.

H-1B और H-4 वीजा की प्रक्रिया पर असर

अमेरिकी दूतावास के अनुसार, H-1B और H-4 वीजा के लिए आवेदन अभी भी लिए जा रहे हैं, लेकिन जांच बढ़ने के कारण पूरी प्रक्रिया में समय अधिक लग सकता है. भारत सरकार इस मुद्दे पर अमेरिका से लगातार संपर्क में है, ताकि भारतीय छात्रों और पेशेवरों को ज्यादा परेशानी न हो.

दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक नोटिस जारी कर कहा, "H-1B और H-4 वीजा आवेदकों के लिए वैश्विक अलर्ट: 15 दिसंबर से विदेश विभाग ने मानक वीजा स्क्रीनिंग का विस्तार किया है. अब सभी आवेदकों की ऑनलाइन उपस्थिति और सोशल मीडिया प्रोफाइल की समीक्षा भी की जाएगी."

H-1B वीजा के बारे में जानकारियां

H-1B वीजा उच्च-कुशल पेशेवरों के लिए है, जैसे इंजीनियर, डॉक्टर और सॉफ्टवेयर डेवलपर्स. यह वीजा 1990 में अमेरिकी कांग्रेस के बिल के तहत शुरू किया गया था.

भारतीय पेशेवरों का हिस्सा: हर साल जारी किए जाने वाले H-1B वीजा में से लगभग 70% भारतीय पेशेवरों को ही मिलता है.

वीजा की अवधि: यह वीजा पहले 3 साल के लिए जारी होता है और फिर 3 साल की अवधि बढ़ाई जा सकती है. कुल मिलाकर H-1B वीजा 6 साल तक रहता है, इसके बाद आवेदक ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं.

वीजा फीस: पहले H-1B वीजा की फीस लगभग 9 हजार अमेरिकी डॉलर थी. सितंबर 2025 में इसे बढ़ाकर लगभग 90 लाख रुपए कर दिया गया.

ट्रंप का रवैया: कभी हां, कभी ना

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का H-1B वीजा पर दृष्टिकोण लगातार बदलता रहा है.

  • पहले कार्यकाल में 2016 में ट्रंप ने H-1B वीजा को अमेरिकी हितों के खिलाफ बताया था.
  • 2019 में इस वीजा का एक्सटेंशन सस्पेंड किया गया.
  • हाल ही में उन्होंने यू-टर्न लिया और कहा कि अमेरिका को टैलेंट की जरूरत है.

ट्रंप ने H-1B वीजा के अलावा तीन नए तरह के वीजा कार्ड भी पेश किए हैं:

  • ट्रंप गोल्ड कार्ड – अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी का अधिकार देता है.
  • ट्रंप प्लेटिनम कार्ड
  • कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड

इन कार्डों के माध्यम से अमेरिका उच्च-कुशल पेशेवरों को देश में स्थायी रूप से रहने की सुविधा देने की योजना बना रहा है.

भारतीय पेशेवरों और कंपनियों पर असर

  • भारत हर साल लाखों इंजीनियर और कंप्यूटर साइंस के ग्रेजुएट तैयार करता है. अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में इन पेशेवरों की बड़ी भूमिका है.
  • प्रमुख कंपनियां जो H-1B वीजा के लिए भारतीय पेशेवरों को स्पॉन्सर करती हैं: इन्फोसिस, TCS, विप्रो, कॉग्निजेंट और HCL.
  • अमेरिका को तकनीकी उपकरणों के बजाय इंसानी टैलेंट निर्यात करने में भारत का बड़ा योगदान है.

अब वीजा फीस महंगी होने के कारण भारतीय पेशेवर और छात्र अन्य देशों की ओर भी देख सकते हैं. संभावित विकल्पों में यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व के देश शामिल हैं.

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