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अब हथियार खरीदने वाला नहीं, बल्कि बेचने वाला देश बना भारत
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Dec 02, 2025, 11:13 am IST
Keywords: brahmos missile system deal between-india-and-indonesia भारत
भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता लगातार नई ऊँचाइयों को छू रही है. ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने पिछले एक दशक में सैन्य स्वदेशीकरण को अभूतपूर्व गति दी है, और इसका परिणाम अब अंतरराष्ट्रीय रक्षा बाजार में भारत की बढ़ती पहचान के रूप में दिखाई दे रहा है. इसी बदलाव का सबसे बड़ा उदाहरण ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसने विश्व भर में भारत की तकनीकी क्षमता का लोहा मनवाया है. अब ताजा रिपोर्टों के अनुसार, भारत इंडोनेशिया के साथ करीब 4000 करोड़ रुपये की ब्रह्मोस मिसाइल डील को अंतिम रूप देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. फिलीपींस के बाद इंडोनेशिया की एंट्री फिलीपींस को ब्रह्मोस की सफल बिक्री के बाद अब दक्षिण-पूर्व एशिया का एक और बड़ा देश इंडोनेशिया इस मिसाइल को खरीदने की मजबूत इच्छा जता रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इंडोनेशिया ने ब्रह्मोस के तटीय बैटरी संस्करण और समुद्री-लॉन्च संस्करण दोनों का गहराई से मूल्यांकन किया है और इसे अपने रक्षा आधुनिकीकरण कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा माना है. करीबी सूत्रों के अनुसार, तटीय बैटरी सिस्टम को लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है. यदि समझौता पूरा होता है, तो इंडोनेशिया वैश्विक स्तर पर ब्रह्मोस का दूसरा आधिकारिक ग्राहक बन जाएगा. इंडोनेशिया के उच्च स्तरीय रक्षा दौरे से बढ़ी संभावना बीते महीने इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री स्जाफ्री सजाम्सोएद्दीन ने भारत का दौरा किया था. इस यात्रा के दौरान उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और दिल्ली स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस केंद्र का अवलोकन किया. दौरे में इंडोनेशियाई रक्षा प्रतिनिधिमंडल को मिसाइल की तकनीकी विशेषताओं, संचालन क्षमता और इसके समुद्री सुरक्षा में उपयोग की विस्तृत जानकारी दी गई. यह पहली बार नहीं है जब इंडोनेशिया ने ब्रह्मोस परियोजना में रुचि दिखाई है. इससे पहले जनवरी में इंडोनेशियाई नौसेना प्रमुख एडमिरल मुहम्मद अली भी भारत आकर इस मिसाइल सिस्टम का प्रत्यक्ष मूल्यांकन कर चुके हैं. इन यात्राओं से संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग तेजी से गहराता जा रहा है. डील की अनुमानित कीमत और वित्तीय पहलू इंडोनेशिया के साथ संभावित सौदे की अनुमानित कीमत लगभग 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर, यानी भारतीय मुद्रा में करीब 4000 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. अभी तक दोनों देशों के बीच वित्तीय ढांचे, विशेषकर क्रेडिट लाइन, पर विस्तृत चर्चा नहीं की गई है. हालांकि, सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया है कि यदि इंडोनेशिया की ओर से ऐसा कोई औपचारिक अनुरोध आता है, तो भारत इसे सकारात्मक रूप से देखने के लिए तैयार है. ब्रह्मोस मिसाइल: भारत की मजबूत निर्यात क्षमता ब्रह्मोस मिसाइल भारत-रूस संयुक्त परियोजना का परिणाम है और इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है. विश्व स्तर पर इसकी सबसे बड़ी पहचान इसकी सुपरसोनिक गति, सटीकता, और बहुउपयोगी क्षमता में है. निर्यात संस्करण की रेंज 290 किलोमीटर तक सीमित है, ताकि अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण नियमों का पालन किया जा सके. पिछले सात वर्षों में कई बार भारत-इंडोनेशिया के बीच तकनीकी संगतता अध्ययन किए गए हैं. भारतीय विशेषज्ञों ने इंडोनेशियाई नौसेना के जहाज़ों पर मिसाइल फिटमेंट का भी मूल्यांकन किया है, जिससे डील के जमीन पर उतरने की संभावनाएँ काफी बढ़ गई हैं. भारत और इंडोनेशिया का रणनीतिक साझेदारी भारत और इंडोनेशिया दोनों हिंद महासागर के महत्वपूर्ण रणनीतिक देशों में शामिल हैं. समुद्री व्यापार, नौवहन सुरक्षा, और क्षेत्रीय स्थिरता इन दोनों देशों के साझा हितों में शामिल है. दोनों देश पिछले कई वर्षों से ‘समुद्र शक्ति’ नामक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास करते आ रहे हैं. इस सहयोग का उद्देश्य समुद्री डकैती, अवैध मछली पकड़ने, तस्करी और मानवीय सहायता जैसे क्षेत्रों में संयुक्त ताकत बढ़ाना है. ब्रह्मोस जैसी उन्नत मिसाइल प्रणाली का सौदा इस साझेदारी को एक नए रणनीतिक स्तर पर ले जा सकता है. |
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