![]() |
सिर्फ दवाएं और खाना ही नहीं, मिसाइलें भी हो जाती हैं पुरानी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Aug 29, 2025, 12:27 pm IST
Keywords: मिसाइल पश्चिम एशिया ईरान और इज़रायल सिर्फ दवाएं iran iraq news trending
![]() पश्चिम एशिया में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं. ईरान और इज़रायल के बीच जारी सैन्य संघर्ष अब दूसरे हफ्ते में पहुंच चुका है. 13 जून को इज़रायल द्वारा तेहरान पर किए गए हवाई हमले के बाद से दोनों देशों के बीच टकराव तेज़ हो गया है. उस हमले में ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, वैज्ञानिक और 20 बच्चों सहित कम से कम 60 नागरिक मारे गए थे. इसके बाद से इज़रायल लगातार ईरान की परमाणु ठिकानों को निशाना बना रहा है, तो वहीं ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए इज़रायल पर बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलों से हमला किया है. खास बात यह है कि ईरान ने पहली बार अपनी बेहद घातक 'फतह-1' हाइपरसोनिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है, जो आवाज की गति से पांच गुना तेज़ उड़ती है. इन मिसाइलों को ट्रैक करना और रोकना लगभग नामुमकिन होता है. लेकिन इन सबके बीच एक दिलचस्प सवाल लोगों के मन में उठ रहा है — क्या हथियार, खासकर मिसाइलें, भी एक्सपायर हो सकती हैं? सिर्फ दवाएं और खाना ही नहीं, मिसाइलें भी हो जाती हैं पुरानी हम अक्सर एक्सपायरी डेट की बात दवाओं, खाने-पीने की चीजों या सौंदर्य प्रसाधनों के संदर्भ में सुनते हैं. लेकिन मिसाइलों की भी एक उम्र होती है, और समय के साथ वे भी कमजोर पड़ने लगती हैं. दरअसल, मिसाइलों में जो रासायनिक ईंधन इस्तेमाल होता है, वह समय के साथ विघटित होने लगता है. इससे उनकी ताकत घट जाती है, और अगर बहुत लंबे समय तक उनका उपयोग न किया जाए तो उनमें दरारें आ सकती हैं या ईंधन रिसने लगता है. ऐसे में मिसाइलें उड़ान भरने से पहले ही फट सकती हैं या अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले नष्ट हो सकती हैं. साथ ही, धातु के पुराने हो जाने पर उसमें जंग लग जाती है या वह कमजोर हो जाती है. मिसाइलों की उम्र कितनी होती है? मिसाइलों की उम्र इस बात पर निर्भर करती है कि उन्हें कैसे बनाया गया है, उनमें किस तरह का ईंधन और मटेरियल इस्तेमाल हुआ है, और उन्हें किस तरह से स्टोर किया गया है. जैसे-जैसे समय बीतता है, इनकी कार्यक्षमता घटती जाती है. कुछ मिसाइलें आधुनिक तकनीक से बनी होती हैं और उन्हें समय-समय पर अपग्रेड किया जाता है, जिससे उनका जीवनकाल बढ़ सकता है. उदाहरण के लिए, अमेरिका की "मिनटमैन III" इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) 1970 से सेवा में है और अभी भी 2030 तक उपयोग में रहने की उम्मीद है. जबकि इसे मूल रूप से केवल दस साल के लिए बनाया गया था. चौंकाने वाली चीनी स्टडी 2024 में चीन के वैज्ञानिकों की एक स्टडी में यह खुलासा हुआ कि ठोस ईंधन से चलने वाली मिसाइलें पहले की अपेक्षा कहीं जल्दी कमजोर हो रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इन मिसाइलों का ईंधन सिर्फ 30 साल के भीतर ही अपनी ताकत खो देता है. इससे पहले यह माना जाता था कि यह ईंधन 100 से ज्यादा सालों तक भी सुरक्षित रह सकता है. लेकिन शोध में सामने आया कि मिसाइल के अंदर का ईंधन समय के साथ इतना नाजुक हो जाता है कि लॉन्च के दौरान उसका फेल होना लगभग तय हो जाता है. हाल के मिसाइल फेलियर: चेतावनी की घंटी पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां पुरानी मिसाइलों ने उड़ान के दौरान काम करना बंद कर दिया. नवंबर 2023 में एक अमेरिकी मिनटमैन III मिसाइल को उड़ान के बीच में खुद ही नष्ट करना पड़ा क्योंकि उसमें तकनीकी खराबी आ गई थी. कुछ ही महीनों बाद ब्रिटेन की ट्राइडेंट II मिसाइल भी लॉन्च के समय फेल हो गई. ये दोनों मिसाइलें ठोस ईंधन पर आधारित थीं. |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|
सप्ताह की सबसे चर्चित खबर / लेख
|