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Su-30MKI फाइटर जेट से काल बनकर बरसेगी यह हाइपरसोनिक मिसाइल
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Aug 29, 2025, 13:07 pm IST
Keywords: रुद्रम-III भारत हाइपरसोनिक मिसाइल ऑपरेशन सिंदूर एयर-टू-सर्फेस मिसाइल misike war understand
![]() भारत की रक्षा प्रणाली इन दिनों लगातार मजबूत होती जा रही है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही देश ने अपनी सैन्य क्षमताओं को अत्याधुनिक स्तर तक ले जाने के लिए नए हथियारों और तकनीकों पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है. इस दिशा में सबसे अहम कदमों में से एक है—रुद्रम-4 मिसाइल का विकास, जो डीआरडीओ की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल है. ‘रुद्रम-4’ दरअसल एक हाइपरसोनिक एयर-टू-सर्फेस मिसाइल है, जिसकी गति मैक-5 यानी 6000 किलोमीटर प्रति घंटे से भी अधिक होगी. इसकी मारक क्षमता 1000 से 1500 किलोमीटर के बीच बताई जा रही है. इस स्पीड के साथ दुश्मन के पास प्रतिक्रिया करने के लिए कुछ ही सेकंड का वक्त बचेगा, जिससे यह हथियार लगभग अचूक बन जाता है. रडार और डिफेंस सिस्टम के लिए चुनौती रुद्रम-4 को इस तरह डिज़ाइन किया जा रहा है कि यह परंपरागत रडार और इंटरसेप्टर सिस्टम को चकमा देकर अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच सके. विशेषज्ञों की मानें तो यह मिसाइल ऐसे लक्ष्यों को भी खत्म कर सकती है, जो अब तक सामान्य मिसाइलों की पहुंच से बाहर थे. SEAD और DEAD मिशन में पूरी तरह सक्षम यह सिर्फ एक एंटी-रेडिएशन मिसाइल नहीं है. शत्रु के रडार सिस्टम को दबाने के अलावा रुद्रम-4 पूरी तरह तबाह करने की क्षमता भी रखेगी. इसका इस्तेमाल दुश्मन के कम्युनिकेशन हब, बंकर, और एयर डिफेंस नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए किया जा सकेगा. हल्की बनावट, कई फाइटर जेट्स पर होगी तैनाती इसका डिज़ाइन इस तरह तैयार किया गया है कि इसे सुखोई-30 एमकेआई जैसे विमानों पर आसानी से फिट किया जा सके. इसके अलावा राफेल और मिराज-2000 पर तैनाती की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं. हल्के वजन की वजह से एक जेट में कई मिसाइलें फिट की जा सकेंगी, जिससे स्ट्राइक कैपेसिटी कई गुना बढ़ेगी. सटीक नेविगेशन, इलेक्ट्रॉनिक जामिंग में भी असरदार रुद्रम-4 में इनर्शियल नेविगेशन, जीपीएस अपडेट और IIR सीकर जैसे फीचर हो सकते हैं, जिससे यह इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के माहौल में भी सटीक हमला कर सकेगी. रुद्रम-III का अगला संस्करण, ब्रह्मोस-2 का पूरक रुद्रम-4, दरअसल रुद्रम-III का अगला एडवांस वर्जन होगा. इसे भारत की ब्रह्मोस मिसाइल के साथ समन्वय में इस्तेमाल किया जा सकेगा और भविष्य की ब्रह्मोस-2 परियोजना को भी तकनीकी सहायता देगा. यह भारत को मल्टीलेयर अटैक कैपेबिलिटी देने की दिशा में एक बड़ा कदम है. हाइपरसोनिक क्लब में भारत की दावेदारी रुद्रम-4 को हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) और स्क्रैमजेट इंजनों की रिसर्च से जोड़ा गया है. इस मिसाइल के ऑपरेशनल होने की तारीख गोपनीय रखी गई है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ वर्षों में इसके परीक्षण शुरू हो सकते हैं. |
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