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भारतीय सेना को इसी महीने मिलेंगे अपाचे हेलिकॉप्टर, पाकिस्तानी टैंकों की बनेगी कब्र

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 03, 2025, 14:16 pm IST
Keywords: अमेरिका   अपाचे   जोधपुर   भारतीय थलसेना   Forces  
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भारतीय सेना को इसी महीने मिलेंगे अपाचे हेलिकॉप्टर, पाकिस्तानी टैंकों की बनेगी कब्र

नई दिल्ली: भारतीय थलसेना की हवाई मारक क्षमता को बड़ा बल मिलने जा रहा है. इस महीने (जुलाई 2025) अमेरिकी कंपनी बोइंग द्वारा निर्मित पहले 3 अपाचे AH-64E अटैक हेलिकॉप्टर सेना को सौंपे जाएंगे. इससे सेना की सीमावर्ती इलाकों में टैंक-विरोधी और ग्राउंड अटैक क्षमताएं कई गुना बढ़ेंगी.

2020 में भारत और अमेरिका के बीच 800 मिलियन डॉलर की लागत से कुल 6 अपाचे हेलिकॉप्टर खरीदने का समझौता हुआ था. ये हेलिकॉप्टर थलसेना को मिलेंगे, जबकि वायुसेना के लिए पहले ही 22 अपाचे हेलिकॉप्टर खरीदे जा चुके हैं.

जोधपुर में होगी अपाचे की पहली तैनाती

भारतीय सेना ने अपाचे हेलिकॉप्टरों के लिए 451 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन को पश्चिमी सीमा (जोधपुर) पर तैनात करने की योजना बनाई है. यह स्थान रणनीतिक रूप से अहम है, क्योंकि यह पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है.

सेना ने हाल के वर्षों में मिसामारी (पूर्व), लेह (उत्तर) और जोधपुर (पश्चिम) में तीन नए एविएशन ब्रिगेड बनाए हैं, जिनमें अपाचे जैसे अटैक प्लेटफॉर्म की तैनाती से इन ब्रिगेडों की मारक क्षमता बढ़ेगी.

लंबे इंतजार के बाद पूरी हो रही डिलीवरी

पहले अपाचे हेलिकॉप्टर की डिलीवरी फरवरी 2024 में होनी थी, लेकिन निर्माण और सप्लाई शेड्यूल में देरी के कारण यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका. अब जुलाई 2025 में डिलीवरी शुरू हो रही है.

सेना के लिए जरूरी पायलटों और टेक्निकल स्टाफ की ट्रेनिंग पहले ही पूरी की जा चुकी है. 6 पायलट और 24 टेक्नीशियन अमेरिका में विशेष ट्रेनिंग लेकर लौट चुके हैं.

अपाचे: क्यों है ये हेलिकॉप्टर इतना खास?

अपाचे AH-64E हेलिकॉप्टर को दुनियाभर की सेनाएं अपने सबसे भरोसेमंद अटैक प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल करती हैं. इसकी खासियतें इस प्रकार हैं:

हेलफायर और स्ट्रिंगर मिसाइलों से लैस

  • 30mm की ऑटोमैटिक कैनन से लैस जो टैंक और बख्तरबंद वाहनों को निष्क्रिय कर सकती है
  • नाइट विजन और टारगेट एक्विजिशन सिस्टम, जो इसे रात में भी सटीक ऑपरेशन की क्षमता देता है
  • 365 किमी/घंटा की अधिकतम गति और खराब मौसम में भी ऑपरेशन करने की क्षमता
  • अपाचे का इस्तेमाल अमेरिका ने अफगानिस्तान, इराक और कई अन्य संघर्ष क्षेत्रों में प्रभावी तरीके से किया है.

भविष्य में और अपाचे सेना को मिलने की उम्मीद

भारतीय वायुसेना के लिए पहले खरीदे गए 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों के बाद, थलसेना के लिए अपाचे की पहली खेप अब आ रही है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, अगले 11 अपाचे की खरीद की योजना भी प्रक्रिया में है और यदि मंजूरी मिलती है तो ये भी सेना को ही सौंपे जाएंगे.

यह फैसला इस रणनीतिक सोच का हिस्सा है कि सेना की हवाई हमले की क्षमता, विशेष रूप से टैंक रोधी मिशनों में, वायुसेना पर निर्भर न रहकर स्वतंत्र और लक्ष्य-संवेदनशील हो.

सैन्य आधुनिकीकरण की दिशा में बड़ा कदम

अपाचे हेलिकॉप्टरों की तैनाती भारत के सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम का एक और प्रमुख पड़ाव है. विशेष रूप से पश्चिमी सीमा पर तैनाती से यह साफ है कि भारतीय सेना अपनी प्रतिक्रिया क्षमता और अभियानों की तीव्रता को नई ऊंचाई देना चाहती है.

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