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चीन-बांग्लादेश बॉर्डर पर भारतीय वायुसेना का अभ्यास, आसमान में गरजेंगे राफेल
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Nov 09, 2025, 11:35 am IST
Keywords: भारतीय वायुसेना IAF चीन-बांग्लादेश बॉर्डर
भारतीय वायुसेना (IAF) 13 नवंबर से 20 नवंबर तक पूर्वोत्तर भारत में एक व्यापक सैन्य अभ्यास करने जा रही है. यह अभ्यास विशेष रूप से उन क्षेत्रों में आयोजित किया जाएगा, जो भारत की सीमाओं के पास संवेदनशील माने जाते हैं, जैसे कि चीन, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश के साथ सटी सीमाएं. वायुसेना ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में NOTAM जारी किया भारतीय वायुसेना ने इस अभ्यास के दौरान नागरिक उड़ानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक NOTAM (Notice to Airmen) जारी किया है. इसका अर्थ है कि इस अवधि में कई एयरस्पेस जोन में नागरिक उड़ानों का मार्ग परिवर्तन किया जा सकता है या उनके संचालन पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया जा सकता है. संयुक्त संचालन और आधुनिक तकनीक इस सैन्य अभ्यास का महत्व केवल वायु शक्ति तक ही सीमित नहीं है. इसमें वायु और थल बलों के बीच संयुक्त अभ्यास, साइबर युद्ध, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली की दक्षता का परीक्षण भी किया जाएगा. यह अभ्यास यह दिखाने का भी अवसर है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव उपाय करने के लिए पूरी तरह तैयार है. बांग्लादेश की नई दिशा और भारत की सतर्कता पूर्वोत्तर में यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है, जब बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार और भारत के बीच संबंधों में कुछ तनाव के संकेत दिखाई दे रहे हैं. प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद, अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस ने हाल ही में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का नक्शा साझा किया, जिसमें विवादास्पद विवरण थे. इसके अलावा, उन्होंने चीन को बांग्लादेश के साथ बढ़ते संवाद में शामिल करने का संकेत दिया और भारत के संवेदनशील क्षेत्र सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) को अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बनाया. यह स्थिति भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण मानी जा रही है. यही कारण है कि पूर्वोत्तर में वायुसेना का यह अभ्यास न केवल सुरक्षा की तैयारी है, बल्कि एक स्पष्ट राजनीतिक संदेश भी है कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा में किसी भी तरह की समझौता नहीं करेगा. पश्चिमी सीमा पर ऑपरेशन त्रिशूल 2025 पूर्वोत्तर के अभ्यास के साथ ही भारत की पश्चिमी सीमा पर भी थल सेना, नौसेना और वायुसेना का संयुक्त सैन्य अभ्यास “त्रिशूल 2025” जारी है. यह अभ्यास 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक चल रहा है और गुजरात व राजस्थान के विस्तृत क्षेत्रों में आयोजित किया गया. मुख्य फोकस क्षेत्र कच्छ और सर क्रीक सीमा क्षेत्र है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच कई बार तनावपूर्ण स्थिति का केंद्र रहा है. इस अभ्यास का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच संयुक्त संचालन, रीयल-टाइम डेटा साझा करना, और युद्ध समन्वय क्षमता को और मजबूत बनाना है. अभ्यास में प्रयुक्त आधुनिक उपकरण “त्रिशूल 2025” में कई तरह के आधुनिक हथियार और सैन्य उपकरण तैनात किए गए हैं. इनमें शामिल हैं:
इसके अलावा, कोलकाता और नीलगिरी श्रेणी के युद्धपोत भारत के पश्चिमी तट पर निगरानी और तैनाती के लिए मौजूद हैं. यह अभ्यास ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना की सबसे बड़ी गतिविधियों में से एक माना जा रहा है. इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच संयुक्त कार्रवाई की क्षमता को नई ऊँचाई पर ले जाना है. |
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