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इंडोनेशिया ने चुनी भारत की ताकत! ब्रह्मोस मिसाइल

जनता जनार्दन संवाददाता , Nov 05, 2025, 10:15 am IST
Keywords: Mashinostroyeniya   BrahMos Aerospace    DRDO   दक्षिण-पूर्व एशिया    दक्षिण चीन सागर   
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इंडोनेशिया ने चुनी भारत की ताकत! ब्रह्मोस मिसाइल

दक्षिण-पूर्व एशिया में सामरिक समीकरण तेजी से बदलने वाले हैं. दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया ने भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीदने का ऐतिहासिक फैसला किया है. करीब 45 करोड़ डॉलर की इस डील से इंडोनेशिया न केवल अपनी नौसेना को मजबूत करेगा, बल्कि दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता को भी चुनौती देने की स्थिति में आ जाएगा. यह समझौता भारत के लिए रक्षा निर्यात के क्षेत्र में एक नई कूटनीतिक जीत साबित हो सकता है.

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और इंडोनेशिया के बीच ब्रह्मोस मिसाइल सौदे की लगभग सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं.अब केवल रूस की ओर से अंतिम स्वीकृति का इंतजार है, जिसके बाद कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस डील पर जनवरी 2025 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो की भारत यात्रा के दौरान व्यापक चर्चा हुई थी.इसी क्रम में भारत के सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में जकार्ता का दौरा किया, जो इस डील की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है.भारत इससे पहले फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलें बेच चुका है. अब इंडोनेशिया के साथ यह सौदा भारत की ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा नीति और रणनीतिक साझेदारी का नया अध्याय साबित होगा.

ब्रह्मोस: भारत-रूस साझेदारी का कमाल

ब्रह्मोस का नाम भारत की ब्रह्मपुत्रा नदी और रूस की मॉस्को नदी से लिया गया है.यह मिसाइल भारत के DRDO और रूस की NPO Mashinostroyeniya के संयुक्त उपक्रम BrahMos Aerospace द्वारा विकसित की गई है.1998 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य था — एक ऐसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाना जो दुश्मन के ठिकानों को कुछ ही सेकंड में तबाह कर सके.यह मिसाइल 300 किलोग्राम का हाई-एक्सप्लोसिव वॉरहेड ले जाती है और इसकी सबसे बड़ी खासियत है. ‘फायर एंड फॉरगेट’ तकनीक. लॉन्च के बाद इसे किसी मार्गदर्शन की जरूरत नहीं होती, यह खुद-ब-खुद अपने टारगेट को खोजकर उसे नेस्तनाबूद कर देती है. जमीन, समुद्र, हवा और पनडुब्बी — चारों प्लेटफॉर्म से लॉन्च की जा सकने वाली यह मिसाइल 2005 से भारतीय सेनाओं में सेवा दे रही है.

ऑपरेशन सिंदूर: जब पाकिस्तान में गूंजा ब्रह्मोस का नाम

मई 2025 में भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल किया था.10 मई को शुरू हुए इस ऑपरेशन में भारतीय फोर्सेज़ ने पाकिस्तान के भोलारी एयरबेस समेत कई ठिकानों पर सटीक हमले किए.स्रोतों के मुताबिक, ब्रह्मोस की 15 मिसाइलों ने पाकिस्तान की एयर लॉन्च क्षमता को लगभग ठप कर दिया.एक मिसाइल ने पाकिस्तानी AWACS विमान को निशाना बनाया, जबकि दूसरी ने HQ-9 रडार सिस्टम को पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया.पाकिस्तानी पूर्व एयर मार्शल ने बाद में माना कि चार ब्रह्मोस मिसाइलों ने उनके हैंगर को उड़ा दिया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 मई को कानपुर में एक भाषण में इस मिशन की सफलता की पुष्टि भी की थी. यह ऑपरेशन न सिर्फ भारत की सामरिक क्षमता का प्रदर्शन था, बल्कि ब्रह्मोस के घातक और सटीक प्रहार की मिसाल भी बन गया.

इंडोनेशिया का बढ़ता रणनीतिक आत्मविश्वास

दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव ने इंडोनेशिया को अपनी रक्षा नीति पर फिर से विचार करने को मजबूर किया है.विशेष रूप से नटुना द्वीप समूह पर चीन के दावों ने जकार्ता की सुरक्षा चिंताओं को गहरा किया है.इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो, जो खुद पूर्व रक्षा मंत्री रह चुके हैं, अब अपनी सेना को आधुनिक और स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.2025 में इंडोनेशिया के BRICS में शामिल होने के बाद उसकी सामरिक स्थिति और मजबूत हुई है.अब ब्रह्मोस डील उस नीति का हिस्सा है जिसके तहत इंडोनेशिया दक्षिण चीन सागर में शक्ति संतुलन बनाए रखना चाहता है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस डील में शिप-बेस्ड और शोर-बेस्ड वर्जन दोनों शामिल होंगे.यह मिसाइलें 290 किलोमीटर रेंज से चीनी युद्धपोतों को आसानी से निशाना बना सकती हैं.भारत ने इंडोनेशिया को यह आश्वासन भी दिया है कि ब्रह्मोस मिसाइल पर CAATSA प्रतिबंधों (अमेरिकी कानून) का असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसके अधिकांश पुर्जे अब भारत में बने हैं.

भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि

अगर यह डील अंतिम रूप लेती है, तो यह न केवल भारत की रक्षा कूटनीति की जीत होगी, बल्कि उसके रक्षा निर्यात पोर्टफोलियो को भी नई ऊंचाई देगी.फिलीपींस के बाद इंडोनेशिया दूसरा ऐसा देश होगा जो भारतीय ब्रह्मोस प्रणाली को अपनाएगा.यह दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करेगा और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में मददगार साबित होगा.रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत को “वैश्विक सुरक्षा आपूर्तिकर्ता” के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है. ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिफेंस एक्सपोर्ट मिशन 2030’ के तहत ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें भारत को विश्व स्तर पर विश्वसनीय रक्षा साझेदार बना रही हैं.

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