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Chandauli News: सैयदराजा की रामलीला में भरत जी को मनाया गया, सती अनसुईया का मंचन

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 14, 2025, 15:29 pm IST
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Chandauli News: सैयदराजा की रामलीला में भरत जी को मनाया गया, सती अनसुईया का मंचन
चंदौली: आदर्श नगर पंचायत सैयदराजा में श्रीरामलीला समिति शिवानगर के तत्वाधान में चल रहे रामलीला मंचन के तहत भरत मनावन,जयंत नेत्र भंग,सती अनुसूइया, शूर्पणखा नक्कटेया का मंचन किया गया।  पिता की मृत्यु और राम के वन गमन का समाचार सुनकर भरत शोक में डूब गए। उन्होंने अपनी माता कैकई को कटु वचन कहे, जबकि शत्रुघ्न क्रोध में दासी मंथरा को महल से बाहर निकाल दिया। भरत ने गुरु वशिष्ठ से मंत्रणा करके राम को मनाने के लिए सभी अयोध्यावासियों के साथ जंगल की ओर प्रस्थान किया। जंगल में भरत की भेंट निषाद राज से हुई, जिन्होंने उन्हें राम का पता बताया। चित्रकूट में राम और भरत का मिलाप हुआ। भरत से पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर राम, लक्ष्मण और सीता भी शोक में डूब गए। भरत ने राम से अयोध्या लौटने की अनेक प्रकार से विनती की। हालांकि श्री राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्ष से पहले अयोध्या लौटने से इनकार कर दिया। वशिष्ठ मुनि की आज्ञा से भरत श्री राम का खड़ाऊं लेकर वापस अयोध्या लौटते हैं और अवध के सिंहासन पर खड़ाऊ को रखकर राजकाज का संचालन करते हैं। वशिष्ठ मुनि ने इस प्रसंग पर उपदेश दिया " भरत का त्याग और राम के प्रति उनका समर्पण भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है । उनके इस चरित्र से हमें सच्चाई, निष्ठा और समर्पण की महत्व समझनी चाहिए । 
 
रामलीला के इस दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। एक दिन श्री राम अपनी पत्नी सीता के लिए फूलों का गजरा बना रहे थे की अचानक देवराज इंद्र के पुत्र जयंत कौवे का भेष बनाकर सीता चरण में अपना चोंच मारता है । सीता के पैर में खून आते देखकर राम घबरा गए तब उनकी दृष्टि जयंत पर पड़ती है। इसके बाद श्रीराम ने सरकंडे को अभिमंत्रित कर जयंत के पीछे छोड़ दिया। जयंत उससे बचने के लिए तीनों लोकों में भ्रमण करता रहा पर किसी ने उसकी रक्षा नहीं की । अंत में विवश होकर जयंत श्रीराम के शरण में जाकर गिर कर क्षमा मांगता है तब श्री राम ने बाण से उसकी एक आंख फोड़ डाली । इसके बाद श्रीराम, सीता और लक्ष्मण आगे चलते हैं । थोड़ी समय बाद तीनों महर्षि अत्रि की आश्रम में जाते हैं। थोड़ी देर बाद सीता जी माता अनुसूइया के साथ उनके कक्ष में जाती हैं । नारी धर्म को बताते हुए माता अनुसूया ने सीता को वस्त्राभूषण देकर सम्मान किया । लीला के दौरान अंत में शूर्पणखा नक्कटेया का मंचन हुआ । रावण की बहन शूर्पणखा सुंदर रूप धारण कर पंचवटी में प्रभु श्री राम के पास पहुंची । उसने मुस्कुराते हुए कहा " तुम्हारे सामान कोई पुरुष नहीं और मेरे सामान कोई स्त्री ने विधाता ने यह संयोग बहुत विचार कर रखा है।" सीता जी की ओर देखकर प्रभु श्री राम ने कहा कि उनका छोटा भाई कुमार है । इसके बाद शूर्पणखा लक्ष्मण के पास गई । लक्ष्मण ने उसे समझाते हुए तथा श्री राम की ओर देखकर कहा हे सुंदरी मैं तो उनका दास हूं अतः तुम्हें मुझसे सुख नहीं मिलेगा तुम उन्हीं के पास जाओ । शूर्पणखा फिर राम के पास लौटी, लेकिन प्रभु ने उसे पुन: लक्ष्मण के पास भेज दिए। इससे क्रोधित होकर वह श्री राम के पास गई और भयंकर रूप बनाकर सीता को खाने के लिए सीता की तरफ गई तभी श्री राम जी का इशारा पाकर लक्ष्मण ने फुर्ती से उसके नाक-कान काट दिए। 
 
इस मौके पर श्रीरामलीला समिति के पदाधिकारीगण सहित अन्य श्रद्धालु, भक्तगण, नगरवासी उपस्थित रहे , इसकी जानकारी प्रचार प्रमुख संतोष कुमार जायसवाल ने दी है।
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