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अयोध्या में आज हुआ वो चमत्कार, जिसे देखने को देश 500 साल से तरस रहा था: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

जनता जनार्दन संवाददाता , Nov 25, 2025, 16:22 pm IST
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अयोध्या में आज हुआ वो चमत्कार, जिसे देखने को देश 500 साल से तरस रहा था: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या ने आज फिर एक बार अपनी दिव्यता से पूरे देश को अभिभूत किया. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज का आरोहण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं रहा, बल्कि यह उस भावनात्मक यात्रा का चरम क्षण बन गया जो सदियों से भारतीय मन के भीतर धधकती रही है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिजीत मुहूर्त के पावन क्षण में हाथ जोड़कर प्रभु श्रीराम को नमन किया तो सम्पूर्ण रामनगरी मानो आनंद, श्रद्धा और गर्व के सागर में डूब गई.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अयोध्या भारत की सांस्कृतिक चेतना का वह शिखर देख रही है, जिसकी प्रतीक्षा कई युगों से थी. उनके अनुसार यह ध्वज केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं, बल्कि भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है. यह उस संघर्ष, तपस्या और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक है जिसने 500 वर्षों तक आस्था की लौ को बुझने नहीं दिया. पीएम मोदी ने इस क्षण को सदियों की वेदना का अंत और संकल्पों की सिद्धि करार दिया.

धर्म ध्वज का अर्थ और उसका आध्यात्मिक संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भगवा ध्वजा हमारी सभ्यता की विजयगाथा है. इसका रंग त्याग, शौर्य और सत्य का प्रतिरूप है. ध्वज पर अंकित ओम और सूर्यवंश की परंपरा वह धरोहर है जिसने राम राज्य के आदर्शों को सदियों तक जीवित रखा. यह ध्वज उन सभी संतों, तपस्वियों और समाज के हजारों–लाखों लोगों की भावना का साकार प्रतीक है जिन्होंने मंदिर निर्माण के लिए अपने-अपने तरीके से योगदान दिया.

"ऐसा समाज बनना चाहिए जहां कोई दुखी न हो"

पीएम मोदी ने कहा कि भारत को उस दिशा में आगे बढ़ना है जहां न गरीबी हो और न कोई मजबूर. उन्होंने कहा कि कई लोग मंदिर न आ पाने पर दूर से ही ध्वज को प्रणाम करते हैं और उन्हें भी उतना ही पुण्य मिलता है. धर्म ध्वज केवल मंदिर का चिह्न नहीं बल्कि संदेशवाहक है—जो आने वाली पीढ़ियों तक श्रीराम के मार्ग और आदर्शों को पहुंचाता रहेगा.

रामलला के प्रांगण में समर्पण और संघर्ष की स्मृतियाँ

प्रधानमंत्री ने मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले दानवीरों, श्रमवीरों, इंजीनियरों, वास्तुकारों और योजनाकारों को नमन किया. उन्होंने कहा कि जैसे राम वनवास से लौटकर मर्यादा पुरुषोत्तम बने, वैसे ही विकसित भारत के निर्माण में सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है. मंदिर परिसर को उन्होंने भारत की सामूहिक चेतना का पवित्र स्थल बताया जहां निषादराज, शबरी, अहल्या, विश्वामित्र, अगस्त्य, तुलसीदास, जटायू और गिलहरी—सभी को उनके योगदानों के साथ स्थान मिला है.

"राम के लिए वंश नहीं, मूल्य महत्वपूर्ण थे"

प्रधानमंत्री ने कहा कि राम राज्य का आधार समानता और सद्भाव है. राम भाव का केंद्र व्यक्ति की जाति या कुल नहीं, बल्कि उसकी भक्ति और मूल्य होते हैं. यही कारण है कि आज देश महिला, दलित, पिछड़े, युवा—हर वर्ग को विकास के केंद्र में रखकर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि जब हर व्यक्ति और हर क्षेत्र सशक्त होगा तभी विकसित भारत का स्वप्न पूरा होगा.

2047 का लक्ष्य और 1000 वर्षों तक मजबूत नींव

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब तक विकसित भारत का निर्माण हमारा सामूहिक लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में केवल वर्तमान का नहीं, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों का ध्यान रखना होगा. उन्होंने स्पष्ट कहा कि देश था, है और रहेगा—और हम सबके प्रयास ही उसे 1000 वर्षों तक मजबूत बनाएंगे.

मानसिक गुलामी से मुक्ति की अपील

प्रधानमंत्री मोदी ने 1835 में मैकाले द्वारा ठोकी गई मानसिक गुलामी की नींव का उल्लेख किया और कहा कि अगले 10 वर्षों में इस प्रवृत्ति को समाप्त करना ही भारत के आत्मविश्वास की सबसे बड़ी शर्त है. उन्होंने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व करना होगा और हीन भाव से मुक्त होना होगा. भारत लोकतंत्र का जन्मदाता है—और उसके मूल्य आज भी विश्व को दिशा दे सकते हैं.

राम राज्य के आदर्शों से प्रेरित विकसित भारत का संकल्प

अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत को वही रथ बनना है जिसके पहिए शौर्य और धैर्य हों, ध्वजा सत्य और सर्वोच्च आचरण की हो, और जिसके घोड़े संयम, विवेक, बल और परोपकार हों. क्षमा, करुणा और समभाव इसकी लगाम होंगे. उन्होंने कहा कि यह समय कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ने का है ताकि वह भारत बन सके जो राम राज्य की भावना को वास्तविक रूप से जीवंत करे.

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