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इजरायल से डरा शहबाज-मुनीर, यहूदियों के देश को मान्यता देगा पाकिस्तान!
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Sep 30, 2025, 17:46 pm IST
Keywords: राजनीतिक चाल Pakistan recognize Israel इजरायल Pakistan recognize Israel
![]() मध्य पूर्व में दशकों से चला आ रहा संघर्ष एक बार फिर वैश्विक फोकस में है, लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मौजूदगी में गाजा संघर्ष पर एक नया शांति प्रस्ताव पेश किया है, जिसने कूटनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. इस 20-सूत्रीय प्रस्ताव में गाजा में तत्काल युद्धविराम की अपील की गई है. ट्रंप के मुताबिक, इस पहल का मकसद सिर्फ युद्ध रोकना नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक समाधान की तरफ कदम बढ़ाना है, जिसमें एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र की स्थापना का रास्ता भी खुल सकता है. क्या बदलेगी मुस्लिम देशों की नीति? ट्रंप की योजना में यह साफ है कि गाजा में स्थिरता के बहाने वे मुस्लिम दुनिया में इजरायल की स्वीकार्यता को भी बढ़ावा देना चाहते हैं. खाड़ी के कई प्रभावशाली मुस्लिम देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. माना जा रहा है कि अगर यह योजना सफल होती है और स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र का गठन होता है, तो पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे कट्टर इस्लामी राष्ट्र भी इजरायल को मान्यता देने की तरफ बढ़ सकते हैं. इस पहल को ट्रंप की अब्राहम अकॉर्ड्स 2.0 भी कहा जा रहा है, जिसके तहत मुस्लिम-यहूदी तनाव को कम करने और आर्थिक साझेदारियों को बढ़ावा देने की उम्मीद की जा रही है. पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा? अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान, जो अब तक इजरायल को खुले तौर पर 'दुश्मन' मानता आया है, अपनी नीति में बदलाव करेगा? इस सवाल पर भारत में इजरायली राजदूत रियूवेन अजार ने कहा, "मुझे विश्वास है कि समय के साथ पाकिस्तान भी इजरायल को मान्यता देगा. मुस्लिम और अरब देश जिस तरह से इस क्षेत्रीय दृष्टिकोण को अपना रहे हैं, वह भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत है." यह बयान पाकिस्तान के उस सख्त रुख के ठीक उलट है, जिसमें न सिर्फ इजरायल के साथ रिश्तों को नकारा गया है, बल्कि पाकिस्तानी पासपोर्ट पर भी साफ तौर पर लिखा होता है कि यह "इजरायल को छोड़कर बाकी सभी देशों के लिए मान्य है." पाकिस्तान की नीति अभी भी धर्म आधारित है, जबकि वैश्विक मंचों पर कूटनीति और व्यापार प्राथमिकता बन चुके हैं. शांति का प्रस्ताव या राजनीतिक चाल? ट्रंप की इस पहल को उनके आगामी चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है. अमेरिकी राजनीति में यह एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक हो सकता है, एक ऐसा प्रस्ताव, जो युद्ध को रोकने की बात करता है, इजरायल की सुरक्षा की गारंटी देता है, और साथ ही मुस्लिम देशों के साथ रिश्ते सुधारने का मार्ग भी खोलता है. नजरें अब पाकिस्तान पर अब सारी निगाहें पाकिस्तान की अगली रणनीति पर हैं. क्या वह कट्टरपंथ की लकीर से हटकर अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर इजरायल को मान्यता देगा? या फिर एक बार फिर 'इस्लामिक फ्रंट' की आड़ में पीछे हट जाएगा? अभी तो शांति प्रस्ताव पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, लेकिन असली तस्वीर तब साफ होगी जब हमास, इजरायल और प्रमुख मुस्लिम देश इस पर ठोस फैसले लेंगे. |
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