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बढ़ गई मुल्ला मुनीर की ताकत! मिलने जा रही एक और बड़ी जिम्मेदारी

जनता जनार्दन संवाददाता , Nov 09, 2025, 11:39 am IST
Keywords: पाकिस्तानी सेना प्रमुख    जनरल असीम मुनीर    Chief of Defence Force   CDF   पाकिस्तान  
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बढ़ गई मुल्ला मुनीर की ताकत! मिलने जा रही एक और बड़ी जिम्मेदारी

पाकिस्तान में सेना और राजनीति का रिश्ता हमेशा से सत्ता संतुलन की धुरी रहा है. लेकिन अब यह संतुलन और अधिक सैन्य झुकाव वाला होता दिखाई दे रहा है. ताजा घटनाक्रम में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को इतिहास की सबसे बड़ी ताकत मिलने जा रही है. देश की संसद में लाया गया 27वां संवैधानिक संशोधन विधेयक न केवल पाकिस्तान की सत्ता संरचना को बदल देगा, बल्कि मुनीर को एक “सुपर जनरल” बना देगा.


इस नए विधेयक के तहत पाकिस्तान में पहली बार “Chief of Defence Force (CDF)” नामक पद सृजित किया जा रहा है. यह पद सीधे प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा, लेकिन इसकी वास्तविक शक्ति सेना प्रमुख के हाथों में होगी. मौजूदा सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को इस पद पर स्वतः नियुक्त किया जाना लगभग तय है. जानकारों के मुताबिक, इस कदम के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि सेना के शीर्ष नेतृत्व में किसी तरह की शक्ति-संघर्ष की स्थिति न बने. अब सीडीएफ के रूप में मुनीर के पास नियुक्तियों, पदोन्नतियों और सैन्य अभियानों पर सीधा नियंत्रण होगा.

मुनीर को मिलेंगी और शक्तियां

सीडीएफ बनने के बाद असीम मुनीर के पास पाकिस्तान की परमाणु सेनाओं के प्रमुख की नियुक्ति करने की भी शक्ति होगी. इसका अर्थ यह है कि अब देश की परमाणु नीति से लेकर सामरिक अभियान तक हर स्तर पर अंतिम निर्णय सेना प्रमुख के हाथों में केंद्रित रहेगा. नए संशोधन में यह भी प्रस्तावित है कि फील्ड मार्शल का पद आजीवन रहेगा, यानी अब जनरल मुनीर जीवन भर इस पद और उसके विशेषाधिकारों को संभाल सकेंगे. यह प्रावधान सीधे-सीधे उन्हें सत्ता के किसी भी बदलाव से अप्रभावित रखेगा.

राष्ट्रीय सामरिक कमान की नियुक्ति में भी भूमिका

संविधान संशोधन के मसौदे में कहा गया है कि सेना प्रमुख, जो रक्षा बलों के प्रमुख भी होंगे, प्रधानमंत्री से परामर्श के बाद राष्ट्रीय सामरिक कमान (National Strategic Command) के प्रमुख की नियुक्ति करेंगे. यह कमान परमाणु नीति और रणनीतिक निर्णयों की सबसे ऊंची इकाई है. इसके अलावा सरकार अब सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को फील्ड मार्शल, मार्शल ऑफ द एयर फोर्स और एडमिरल ऑफ द फ्लीट जैसे सर्वोच्च सैन्य रैंक पर पदोन्नत करने का अधिकार भी रखेगी — जो पहले केवल सैद्धांतिक रूप से मौजूद थे.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद तेज हुआ सैन्य सशक्तिकरण

पाकिस्तान की यह पहल ऑपरेशन सिंदूर के बाद सामने आई है — जो मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले सैन्य टकराव का परिणाम माना जा रहा है. यह संघर्ष उस समय शुरू हुआ जब 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई के रूप में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था. भारतीय हमलों में पाकिस्तान को भारी क्षति पहुंची. भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने कहा था कि इस अभियान में पाकिस्तान के दर्जनभर से अधिक सैन्य विमान, जिनमें अमेरिकी एफ-16 फाइटर जेट भी शामिल थे, नष्ट या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुए. इन झटकों के बाद पाकिस्तान ने जल्दबाजी में संघर्ष विराम की मांग की थी.

जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि

इन घटनाओं के तुरंत बाद पाकिस्तान सरकार ने जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया — जिससे वे देश के इतिहास में इस सर्वोच्च सैन्य पद पर पहुंचने वाले दूसरे अधिकारी बन गए. यह उपाधि न केवल सम्मानजनक है, बल्कि अब प्रस्तावित संशोधन के तहत आजीवन प्रभावी भी रहेगी.

क्या पाकिस्तान फिर लौट रहा है ‘मिलिट्री रूल’ की ओर?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम पाकिस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए बड़ा संकेत है. जहां एक ओर यह सेना के भीतर “एकीकृत कमान” की दिशा में कदम माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर आलोचकों का मानना है कि यह सत्ता को एक व्यक्ति — यानी जनरल मुनीर — के इर्द-गिर्द केंद्रित करने की कोशिश है.पाकिस्तान की राजनीति पहले ही लंबे समय से सैन्य हस्तक्षेपों से प्रभावित रही है, और अब यह संशोधन उस प्रवृत्ति को संवैधानिक वैधता देने जैसा है.

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