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भारत के PoK प्लान को फेल करेगा पाकिस्तान! बना रहा छोटे-छोटे परमाणु बम

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 14, 2025, 15:42 pm IST
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भारत के PoK प्लान को फेल करेगा पाकिस्तान! बना रहा छोटे-छोटे परमाणु बम

दक्षिण एशिया में एक बार फिर से सामरिक असंतुलन का खतरा गहराता दिख रहा है. अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) द्वारा जारी की गई 2025 थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान, चीन की तकनीकी मदद से कम क्षमता वाले परमाणु हथियारों का निर्माण कर रहा है.

इस रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि पाकिस्तान, भारत के बढ़ते रणनीतिक प्रभाव और POK (पाक अधिकृत कश्मीर) पर भारत के दबाव को जवाब देने के लिए ये हथियार तैयार कर रहा है. इस प्रकार के हथियारों को Low Yield Nuclear Weapons (LYNW) या Tactical Nuclear Weapons (TNWs) कहा जाता है, जिनकी क्षमता पारंपरिक परमाणु हथियारों की तुलना में कम होती है, लेकिन असर जानलेवा ही होता है.

क्या हैं LYNW और क्यों बना रहा पाकिस्तान?

LYNW, यानी लो-यील्ड न्यूक्लियर वेपन, वे परमाणु बम होते हैं जिनकी विस्फोटक शक्ति आम तौर पर 20 किलोटन से कम होती है. इन्हें अक्सर युद्ध के मैदान में सीमित जवाबी कार्रवाई के लिए डिज़ाइन किया जाता है, ताकि पूर्ण पैमाने पर युद्ध की स्थिति को टाला जा सके.

हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की सोच भ्रमपूर्ण है. कम क्षमता वाले परमाणु हथियारों का भी प्रभाव व्यापक विनाश कर सकता है, जैसा कि 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में देखा गया था. इन दोनों शहरों पर गिराए गए बमों की क्षमता भी 16 से 21 किलोटन के बीच थी, यानी आज के तथाकथित "छोटे" परमाणु बमों जितनी ही.

हिरोशिमा-नागासाकी से लिया सबक

हिस्टोरिकल डेटा के अनुसार:

  • हिरोशिमा में बम गिरने के पहले दिन लगभग 45,000 लोग मारे गए, और चार महीनों में यह संख्या 64,000 से अधिक हो गई.
  • नागासाकी में पहले दिन 22,000 मौतें, और बाद के महीनों में कुल आंकड़ा 39,000 से अधिक पहुंचा.

इन बमों ने दो शहरों के 15 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पूरी तरह नष्ट कर दिया. इससे यह स्पष्ट होता है कि कम क्षमता वाला परमाणु हथियार भी अत्यधिक विनाशक होता है. रेडिएशन का प्रभाव दशकों तक बना रहता है, और इसीलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि "टैक्टिकल" शब्द सिर्फ परमाणु हथियारों की भयावहता को कमतर दिखाने की कोशिश है.

पाकिस्तान की 'पहले इस्तेमाल' नीति

पाकिस्तान की परमाणु नीति भारत के "नो फर्स्ट यूज (NFU)" सिद्धांत के विपरीत है. पाकिस्तान ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि वह भारत के किसी भी आक्रामक कदम के जवाब में पहले परमाणु हथियारों का प्रयोग कर सकता है. इस नीति को वह अपनी पूर्ण स्पेक्ट्रम प्रतिरोधक रणनीति (Full Spectrum Deterrence) के तहत सही ठहराता है.

पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक और सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई ने 2011 में भारत की 'कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन' के जवाब में छोटे परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की रणनीति का खुलासा किया था. उन्होंने कहा था कि यदि भारत सीमित सैन्य ऑपरेशन करता है, तो पाकिस्तान 'नस्र मिसाइल सिस्टम' जैसी कम दूरी की परमाणु मिसाइलों से जवाब देगा.

चीन-पाकिस्तान सैन्य सहयोग: चिंता की वजह

DIA रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान को इन हथियारों के निर्माण में चीन से तकनीकी मदद मिल रही है. चीन और पाकिस्तान का लंबे समय से रक्षा और तकनीकी सहयोग रहा है, जिसमें न्यूक्लियर रिएक्टर, मिसाइल तकनीक, और सामरिक उपकरणों की आपूर्ति शामिल है. यह सहयोग अब परमाणु हथियारों के क्षेत्र में भी गहराता जा रहा है.

अमेरिकी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान, भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है और इसीलिए वह LYNW का जखीरा तैयार कर रहा है.

भारत का नो फर्स्ट यूज और मैसिव रिटैलिएशन

भारत ने अपनी परमाणु नीति में हमेशा "नो फर्स्ट यूज" (NFU) की बात कही है, यानी भारत पहले कभी परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेगा. हालांकि, इसके साथ-साथ भारत की रणनीति में "मैसिव रिटैलिएशन" (Zoradar Jawab) का सिद्धांत भी शामिल है.

इसका सीधा अर्थ है: यदि भारत पर कोई भी प्रकार का परमाणु हमला होता है चाहे वह कम क्षमता वाला हो या बड़ा, तो भारत की ओर से भीषण और निर्णायक जवाब दिया जाएगा.

इस नीति को लेकर भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों और सैन्य विश्लेषकों ने बार-बार स्पष्ट किया है कि कोई भी परमाणु हमले का उत्तर, पारंपरिक नहीं बल्कि परमाणु ही होगा, और वह भी पूरे सामरिक बल के साथ.

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