Thursday, 06 November 2025  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया मसूद अजहर का परिवार,जैश ने पहली बार कबूली सच्चाई

जनता जनार्दन संवाददाता , Sep 16, 2025, 16:09 pm IST
Keywords: इस्लामाबाद    कुख्यात आतंकी संगठन   जैश-ए-मोहम्मद   JeM  
फ़ॉन्ट साइज :
ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया मसूद अजहर का परिवार,जैश ने पहली बार कबूली सच्चाई

इस्लामाबाद से एक बड़ा खुलासा सामने आया है, जहां कुख्यात आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने पहली बार स्वीकार किया है कि भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर में उसके सरगना मसूद अजहर के परिवार के कई सदस्य मारे गए. इस बात की पुष्टि जैश के एक शीर्ष कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी के वायरल वीडियो में हुई है, जिसमें उसने कहा कि भारत की कार्रवाई इतनी जबरदस्त थी कि मारे गए लोगों के शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए.

भारत ने यह सर्जिकल स्ट्राइक 22 अप्रैल को उस आतंकी हमले के जवाब में की थी, जो पहलगाम में हुआ था. जवाबी कार्रवाई के तहत भारत ने पाकिस्तान के अंदर 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इनमें बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय भी शामिल था, जो लंबे समय से मसूद अजहर की गतिविधियों का केंद्र माना जाता है.

वीडियो में मसूद इलियास ने बताया कि 7 मई को बहावलपुर में हुए भारतीय हमले में मसूद अजहर का पूरा परिवार तबाह हो गया. इस हमले में:

  • मसूद की बड़ी बहन और बहनोई
  • उसका भतीजा और उसकी पत्नी
  • एक भतीजी और उसके 5 बच्चे

मारे गए. यानी कुल मिलाकर 10 परिजन इस हमले का शिकार हुए. इसके अलावा 4 अन्य सहयोगी आतंकियों की भी मौत की पुष्टि हुई है.

हमले के वक्त मसूद अजहर खुद मौजूद नहीं था, जिससे उसकी जान बच गई. रिपोर्ट्स के अनुसार, उसे पहले ही वहां से हटा लिया गया था, क्योंकि पाकिस्तान को भारत की जवाबी कार्रवाई की आशंका थी.

मसूद अजहर इस वक्त कहां है?

मसूद अजहर लंबे समय से बहावलपुर के चौक आज़म इलाके के मरकज सुभानल्लाह कैंपस में रह रहा था. यह इलाका करीब 18 एकड़ में फैला हुआ है और इसे जैश के आतंकी ट्रेनिंग सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

2019 में पुलवामा हमले के बाद जब वैश्विक दबाव बढ़ा, तो पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने इस केंद्र को अपने नियंत्रण में ले लिया है, लेकिन हकीकत में यह केवल एक दिखावा था.

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) रामेश्वर रॉय के अनुसार, मसूद अजहर को पाकिस्तानी सेना की सुरक्षा प्राप्त है, और हो सकता है कि अब वह किसी गुप्त सैन्य ठिकाने में छिपा हो. पाकिस्तान आधिकारिक रूप से आज भी यह मानने को तैयार नहीं है कि मसूद अजहर उसकी जमीन पर मौजूद है.

मसूद अजहर का भावुक बयान

बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने परिवार की मौत के बाद मसूद अजहर ने एक भावुक बयान दिया था, जिसमें उसने कहा था, "काश मैं भी अपने परिवार के साथ मर जाता, तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात होती."

यह बयान उसके मानसिक और संगठनात्मक झटके को दर्शाता है.

मसूद अजहर: भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादी

मसूद अजहर कोई नया नाम नहीं है. भारत में हुए कई बड़े आतंकी हमलों में उसका सीधा हाथ रहा है:

  • 2001 के संसद हमले का मास्टरमाइंड
  • 2016 का पठानकोट हमला
  • 2016 का उरी हमला
  • 2019 का पुलवामा हमला
  • 2005 अयोध्या हमला
  • अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ स्थित भारतीय दूतावास पर हमला

इन सभी घटनाओं ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी थी, और इसके पीछे मसूद अजहर और उसका संगठन जैश-ए-मोहम्मद ही था.

मसूद की भारत में एंट्री और गिरफ्तारी

मसूद अजहर पहली बार 1994 में बांग्लादेश के ढाका से दिल्ली पहुंचा था. उसके पास फर्जी पहचान पत्र था और वह श्रीनगर पहुंचा था, जहां उसे हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी और हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के बीच मध्यस्थता करनी थी. लेकिन भारत की खुफिया एजेंसियों ने उसे अनंतनाग से गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तारी के वक्त उसने खुलेआम कहा था, "हम आपकी कार्बाइन का जवाब रॉकेट लॉन्चर से देंगे. कश्मीर को आजाद कराने के लिए 12 देशों से इस्लाम के सैनिक आए हैं."

अजहर की रिहाई के लिए विमान हाईजैक

24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 को काठमांडू से दिल्ली आते वक्त हाईजैक कर लिया गया था. आतंकियों ने इसे अफगानिस्तान के कंधार ले जाकर वहां बंधक बना लिया और बदले में मसूद अजहर, उमर शेख और मुश्ताक जरगर की रिहाई की मांग की.

भारत सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर उनकी मांग मान ली और मसूद अजहर को रिहा करना पड़ा, जो बाद में पाकिस्तान भाग गया और वहीं से उसने जैश-ए-मोहम्मद को फिर से सक्रिय किया.

ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने की कहानी

भारत ने मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र (UNSC) की ग्लोबल टेरेरिस्ट लिस्ट में शामिल करवाने के लिए कई बार प्रस्ताव पेश किया, लेकिन चीन ने लगातार अड़ंगे लगाए.

2009, 2016, 2017, और 2018 में चीन ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए प्रस्ताव को ब्लॉक किया.

लेकिन पुलवामा हमले के बाद वैश्विक दबाव इतना बढ़ गया कि आखिरकार मई 2019 में चीन को पीछे हटना पड़ा और मसूद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया गया.

अन्य आतंकवाद लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल