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खामेनेई को अब किसी से मतलब नहीं, इजरायल के खिलाफ आग उगलेगा ईरान

जनता जनार्दन , Jun 21, 2025, 11:58 am IST
Keywords: Iranian strike    damages hospital in Israel   Israel says Khamenei   मध्य पूर्व  
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खामेनेई को अब किसी से मतलब नहीं, इजरायल के खिलाफ आग उगलेगा ईरान

मध्य पूर्व की स्थिति अब कगार पर पहुंच चुकी है. इजरायल और ईरान के बीच छिड़ा संघर्ष अब सिर्फ सीमित सैन्य कार्रवाई नहीं रहा, बल्कि एक खुली जंग की शक्ल ले चुका है. अंतरराष्ट्रीय मंचों से शांति की अपीलें जारी हैं, लेकिन तेहरान अब किसी मध्यस्थता या समझौते की भाषा सुनने को तैयार नहीं है.

ईरान की तरफ से यह साफ संदेश आ चुका है कि जब तक इजरायल के हमले जारी रहेंगे और अमेरिका उनके पीछे खड़ा रहेगा, तब तक कोई भी वार्ता या कूटनीति मुमकिन नहीं है. ईरान के विदेश मंत्री अब्बास आराघची ने तीखे लहजे में कहा, “जिस कूटनीति पर बमों की छाया हो, उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता.”

दुनिया की सुनने को तैयार नहीं ईरान

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अब खुलकर मैदान में तो नहीं आए हैं, लेकिन उनकी चुप्पी को रणनीतिक मौन कहा जा रहा है. उनका यह रुख बताता है कि अब तेहरान केवल जवाब देने के मूड में है—चाहे इसके लिए उसे वैश्विक दबाव या अंतरराष्ट्रीय आलोचना क्यों न झेलनी पड़े.

ईरान की स्थिति अब 'आर या पार' की हो चली है. ट्रंप हों, पुतिन हों या शी जिनपिंग—ईरान किसी की भी सिफारिश सुनने के मूड में नहीं है. ईरान को लगता है कि यह लड़ाई अब सिर्फ सैन्य मोर्चे की नहीं, बल्कि उसकी संप्रभुता और अस्तित्व की है.

चीन का शांति प्रस्ताव और तेहरान की नाराज़गी

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग से मध्य पूर्व की स्थिति पर 'चार सूत्रीय प्रस्ताव' रखा, जिसमें युद्धविराम, नागरिकों की सुरक्षा, बातचीत की बहाली और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बात शामिल थी. लेकिन तेहरान ने इन प्रस्तावों को कोई खास तवज्जो नहीं दी. ईरान की नजर में अमेरिका अब केवल एक 'दर्शक' नहीं, बल्कि इस संघर्ष का सक्रिय 'साझेदार' बन चुका है. अमेरिका की सैन्य और खुफिया मदद को ईरान एक युद्ध में सीधी भागीदारी मान रहा है.

आंतरिक उबाल, राष्ट्रीय गर्व

ईरान के भीतर इस समय गुस्से और राष्ट्रवाद की लहर है. जनता सरकार के साथ खड़ी दिख रही है और हर तरफ एक ही आवाज है—“अब और नहीं झुकेंगे.” विश्लेषकों का कहना है कि ये माहौल सरकार को और सख्त रुख अपनाने के लिए मजबूर कर रहा है. इजरायल के हालिया हमलों के जवाब में ईरान की प्रतिक्रिया बताती है कि अब कूटनीति पीछे छूटती जा रही है और युद्ध की लपटें तेज होती जा रही हैं.

क्या बचेगी शांति की उम्मीद?

बीच-बीच में दुनिया से शांति की आवाजें उठती हैं, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए सवाल उठता है—क्या ये आवाजें उन इलाकों तक पहुंच पाएंगी, जहां सिर्फ धमाकों और हमलों की गूंज है? फिलहाल स्थिति बेहद गंभीर है. अगर जल्द कोई संतुलन नहीं बना, तो यह टकराव एक बड़े क्षेत्रीय संकट में तब्दील हो सकता है.

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