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अर्जुन मुंडा ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति शासन के आसार

अर्जुन मुंडा ने दिया इस्तीफा, राष्ट्रपति शासन के आसार रांची: आखिरकार अट्ठाइस महीनों का जेएमएम और भाजपा का साथ टूट गया। सीएम अर्जुन मुंडा की हर कोशिश पर पानी फिर गया। राहें अब जुदा हो गईं। दोपहर साढ़े ग्यारह बजे झारखंड के सीएम अर्जुन मुंडा ने इस्तीफा दे दिया। उधर जेएमएम ने आज राज्यपाल को समर्थन वापसी का पत्र सौंप दिया। अर्जुन मुंडा ने खरीद फरोख्त ना हो पाए ऐसी परिस्थित से बचने के लिए विधानसभा भंग करने की सिफारिश की है।

मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को राजभवन जाकर राज्यपाल सैयद अहमद को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इससे पहले अर्जुन मुंडा ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई। इसमें 12 में से सात मंत्री मौजूद थे। भाजपा और आजसू के मंत्री कैबिनेट की बैठक में मौजूद थे, झामुमो के मंत्रियों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया।

इस तरह गेंद अब राजभवन के पाले में है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्यपाल विधानसभा भंग करने की सिफारिश करते हैं या फिर जेएमएम के सरकार बनाने के दावे के बाद उन्हें सरकार बनाने का आमंत्रण देते हैं।

जैसे कयास लगाए जा रहे हैं जेएमएम सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है, बस उसे कांग्रेस की हरी झंडी का इंतजार है। कांग्रेस के 13 विधायक हैं, जेएमएम के 18। राजद के पांच और छह निर्दलीय विधायक भी झामुमो को समर्थन दे सकते हैं।

राज्य में सत्ता हस्तांतरण को लेकर पिछले एक माह से चली आ रही खींचतान में आज जेएमएम और भाजपा के रिश्ते की डोर टूट गई। उधर जैसे ही राज्यपाल को जेएमएम ने सरकार से समर्थन वापसी का पत्र सौंप दिया। इधर सीएम ने इस्तीफा दे देने के साथ ही विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दी।

जेएमएम विधायक दल के नेता हेमंत सोरेन ने कल शाम पौने छह बजे मुंडा सरकार से समर्थन वापसी लेने की घोषणा की, जिस पर कुछ ही देर बाद पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन ने अपनी मुहर लगा दी। कार्यकर्ताओं ने गगनभेदी नारेबाजी कर झामुमो के फैसले का स्वागत किया।

हेमंत सोरेन ने भाजपा के माथे पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि पिछले लगभग ढाई साल के कार्यकाल में जेएमएम पूरी तरह उपेक्षित रहा। हमने इस बारे में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भी संदेश दिया लेकिन उधर से नजरअंदाज कर दिया गया।

समन्वय के अभाव में जेएमएम सरकार से समर्थन वापस ले रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा का मौजूदा नेतृत्व यानी बतौर मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा उन्हें स्वीकार नहीं हैं। जेएमएम पार्टी अध्यक्ष पर अनर्गल बयानबाजी बर्दाश्त नहीं कर सकता, न ही मान-सम्मान से समझौता कर सकता है।

हमने स्पष्ट कहा था कि 28-28 माह के समझौते को भाजपा स्वीकारे। मौजूदा नेतृत्व में परिवर्तन करे। इन बातों पर अगर भाजपा विचार करती है तो यह स्थिति नहीं आती।

जेएमएम ने विस्तार से कोर कमेटी, विधायक दल और केंद्रीय कार्यकारिणी के साथ तमाम बिंदुओं पर मंत्रणा की। हेमंत ने कहा कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी और मंत्री बैद्यनाथ राम से भी बातचीत हुई। धर्मेन्द्र प्रधान से भी संपर्क किया। हमने तमाम स्थिति से उनको अवगत करा दिया था।

गुरुजी को मनाने पहुंचे थे मुंडा
मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने सोमवार को भी झामुमो को साधने की कोशिश की। दोपहर लगभग बारह बजे वे अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी बैद्यनाथ राम के साथ शिबू सोरेन के आवास पहुंचे। उन्होंने बंद कमरे में लगभग आधा घंटा बातचीत की। मुंडा जब शिबू सोरेन के आवास से बाहर आए तो उन्होंने मीडिया से बातचीत करने से परहेज किया, हालांकि उनके चेहरे पर निराशा के भाव ने सब कुछ स्पष्ट कर दिया था।

सोनिया से मिले बलमुचू
बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच नई दिल्ली में सोमवार को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप कुमार बलमुचू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। बलमुचू ने कांग्रेस अध्यक्ष को राज्य के ताजा राजनीतिक हालत से अवगत कराए। आलाकमान ने निर्देश दिया कि वक्त आने पर कांग्रेस अपने स्तर से पहल करेगी।

उधर शाम में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी डा. शकील अहमद ने प्रदीप बलमुचू और नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र प्रसाद सिंह के साथ बैठक की। शकील अहमद ने कहा कि झामुमो पहले औपचारिक तौर पर राच्यपाल को समर्थन वापसी का पत्र सौंपे। उसके बाद कांग्रेस वैकल्पिक सरकार की संभावनाओं पर विचार करेगी।

झारखंड में राष्ट्रपति शासन के प्रबल आसार
झारखंड में राष्ट्रपति शासन के आसार प्रबल होते जा रहे हैं। जेएमएम की तरफ से दिए गए समय और शर्तो पर भाजपा झुकने को तैयार नहीं है। ऐसे में 28 माह पुरानी अर्जुन मुंडा सरकार पर छाए खतरे पर कांग्रेस नेतृत्व की भी पैनी नजर है।

कांग्रेस सभी विकल्पों पर चर्चा कर रही है। केंद्रीय नेतृत्व सरकार गिरने की स्थिति में यहां राष्ट्रपति शासन लगाने के पक्ष में है, जबकि प्रदेश कांग्रेस के ज्यादातर नेता किसी भी तरह सरकार बनाने की पुरजोर पैरवी कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक झारखंड में भाजपा की सरकार जाने के आसार बनते देख झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू दो दिन पहले ही दिल्ली आ चुके थे। राज्य के कांग्रेस प्रभारी शकील अहमद भी यहीं पर हैं। शीर्ष स्तर पर उनकी सभी विकल्पों पर बातचीत हुई है।

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस मत का है कि भाजपा की सरकार गिरने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। तुरंत चुनाव कराने का पक्षधर केंद्र भी नहीं है। इस बारे में शकील अहमद ने कहा कि पहले उन्हें समर्थन वापस लेने दीजिए, फिर हम कोई फैसला करेंगे।

दरअसल झारखंड के नेता किसी भी कीमत पर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने के पक्षधर हैं। उनका तर्क है कि जमीनी हालात अभी कांग्रेस के पक्ष में नहीं हैं। लंबे अरसे से कांग्रेस के सत्ता से बाहर रहने के कारण लोगों से पार्टी का संवाद खत्म होने की बात भी कही जा रही है।

केंद्रीय नेतृत्व खुद सरकार बनाने का इच्छुक नहीं है, लेकिन राज्य के नेताओं के उत्साह को देखते हुए उसने सभी विकल्प अभी खुले रखे हैं। इतना जरूर तय है कि मौजूदा सरकार गिरने की स्थिति में तत्काल चुनाव नहीं होंगे। राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा।
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