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बिहार के मखाना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Dec 22, 2025, 17:07 pm IST
Keywords: Makhana Harvesting Machine मखाना उत्पादन बिहार देश हार्वेस्टिंग मशीन
मखाना उत्पादन में बिहार देश का अग्रणी राज्य है, लेकिन इसकी खेती आज भी काफी चुनौतीपूर्ण मानी जाती है. खासकर बुहराई यानी हार्वेस्टिंग के दौरान किसान भारी मेहनत और समय दोनों की कीमत चुकाते हैं. पारंपरिक तरीके से मखाना निकालने में श्रमिकों को लगातार पानी में काम करना पड़ता है, और बीज निकालने की प्रक्रिया कई बार दोहरानी पड़ती है. अब इस समस्या का समाधान तकनीकी रूप से सामने आया है. भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय की टीम ने मखाना हार्वेस्टिंग मशीन विकसित की है, जिसका हाल ही में सफल परीक्षण किया गया. इस मशीन के आने से मखाना उत्पादन प्रक्रिया में तेजी आएगी, श्रम की आवश्यकता कम होगी और किसानों की लागत भी घटेगी. तकनीक से बदल सकती है मखाना की तस्वीर नई हार्वेस्टिंग मशीन विशेष रूप से तालाब आधारित मखाना खेती को ध्यान में रखकर विकसित की गई है. यह मशीन बिजली से संचालित होती है और बड़ी मात्रा में मखाना बीज निकालने की क्षमता रखती है. पारंपरिक तरीके में मखाना निकालने के लिए दो से तीन बार प्रक्रिया करनी पड़ती थी. वहीं इस मशीन की मदद से बीज निकालने का काम एक ही बार में पूरा किया जा सकता है. इसका सीधा असर समय, श्रम और उत्पादन लागत पर पड़ेगा. कम वजन और ज्यादा क्षमता इस मशीन का वजन केवल 95 किलोग्राम है, जिससे इसे तालाबों और खेतों में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके अलावा यह मशीन इतनी व्यावहारिक है कि इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना भी आसान होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह मशीन फील्ड सिस्टम मखाना खेती के लिए पूरी तरह अनुकूल है. किसानों की शारीरिक मेहनत कम होगी और उत्पादन प्रक्रिया सुरक्षित और तेज होगी. इससे खेती अधिक उत्पादक और लाभकारी बनने की संभावना बढ़ जाएगी. वैज्ञानिकों की टीम का सामूहिक प्रयास इस मशीन के विकास में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह के मार्गदर्शन में भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय की टीम ने अहम भूमिका निभाई. कृषि अभियंत्रण विभाग के डॉ. डी.के. महतो, ई. मोहन कुमार सिन्हा और उद्यान विशेषज्ञ डॉ. आशीष रंजन ने संयुक्त शोध और प्रयोगों के बाद इस मशीन को तैयार किया. महाविद्यालय प्रशासन का कहना है कि यह नवाचार मखाना उत्पादक किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में सहायक होगा. लंबे समय से किसान आधुनिक मशीनों की मांग कर रहे थे, और यह मशीन उनकी इस मांग का सीधा उत्तर है. किसानों की आय और उत्पादन क्षमता में वृद्धि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह मशीन बड़े पैमाने पर अपनाई जाती है, तो बिहार में मखाना उत्पादन को एक नई गति मिल सकती है. यह मशीन श्रमिकों पर निर्भरता घटाने के साथ-साथ उत्पादन लागत कम करेगी और किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी. खासकर बुहराई के समय मखाना निकालने की प्रक्रिया में यह मशीन किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी. अब किसान कम समय में अधिक बीज निकाल पाएंगे, जिससे उत्पादन बढ़ेगा और मेहनत की लागत घटेगी. जल्द होगा सार्वजनिक प्रदर्शन भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के प्रबंधन ने जानकारी दी है कि इस बहुप्रतीक्षित मशीन का सार्वजनिक प्रदर्शन जल्द ही बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में किया जाएगा. इसके बाद मशीन को किसानों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक मखाना उत्पादक इसका लाभ उठा सकें. महाविद्यालय का कहना है कि इस तकनीक के अपनाने से मखाना उत्पादन में गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार होगा, और यह बिहार के किसानों के लिए तकनीकी और आर्थिक रूप से लाभकारी साबित होगी. |
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