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एयर प्यूरीफायर पर क्यों नहीं घटा सकते GST? केंद्र सरकार ने कोर्ट को दिया जवाब
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Dec 27, 2025, 11:33 am IST
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दिल्ली और आसपास के इलाकों में लगातार बिगड़ती वायु गुणवत्ता एक बार फिर कानूनी बहस का विषय बन गई है. जहरीली हवा से जूझ रही राजधानी में यह सवाल उठाया गया है कि क्या एयर प्यूरीफायर आज भी एक लग्जरी उत्पाद माना जा सकता है, या फिर यह लोगों की सेहत से जुड़ी एक बुनियादी जरूरत बन चुका है. इसी मुद्दे को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें एयर प्यूरीफायर को ‘मेडिकल डिवाइस’ घोषित करने और उस पर लगने वाले वस्तु एवं सेवा कर (GST) को कम करने की मांग की गई है. याचिका का तर्क है कि भारी टैक्स के कारण ये उपकरण आम लोगों की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं. आम आदमी के लिए क्यों नहीं हो सकता किफायती? सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीखे सवाल पूछे. अदालत ने कहा कि जब दिल्ली में वायु प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुका है, तो ऐसे में एयर प्यूरीफायर जैसे उपकरणों को सस्ता बनाने पर विचार क्यों नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने यह भी नोट किया कि बाजार में एयर प्यूरीफायर की कीमतें लगभग 10,000 रुपये से लेकर 60,000 रुपये तक हैं, जो एक सामान्य मध्यमवर्गीय या गरीब परिवार के लिए बड़ी रकम है. ऐसे में इन्हें केवल लग्जरी वस्तु कहना व्यावहारिक नहीं लगता. अदालत का हस्तक्षेप कानून में दखल केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एन. वेंकटरमण ने याचिका का विरोध किया. उन्होंने अदालत को बताया कि टैक्स की दरें तय करना विधायिका और कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है, और यदि अदालत इस पर कोई निर्देश देती है तो इसे कानून निर्माण में हस्तक्षेप माना जाएगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार इस मुद्दे पर अपना विस्तृत पक्ष रखने के लिए एक जवाबी हलफनामा दाखिल करेगी. केंद्र को मिला 10 दिन का समय जस्टिस विकास महाजन और जस्टिस विनोद कुमार की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को याचिका पर जवाब देने के लिए 10 दिनों का समय प्रदान किया है. अदालत ने संकेत दिया कि यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य से जुड़ा हुआ गंभीर मुद्दा है. दिल्ली में एयर प्यूरीफायर लग्जरी नहीं यह जनहित याचिका अधिवक्ता कपिल मदन द्वारा दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि जिस शहर में सांस लेना तक जोखिम भरा हो, वहाँ हवा को शुद्ध करने वाला उपकरण विलासिता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. पिछली सुनवाई का हवाला देते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि न्यायालय पहले भी इस बात से सहमत रहा है कि उठाया गया मुद्दा व्यापक जनहित से जुड़ा है और हर नागरिक की चिंता को दर्शाता है. सरकार ने माना: उच्च स्तर पर हो चुकी है चर्चा सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने यह भी बताया कि इस विषय पर पहले ही उच्च स्तर पर विचार-विमर्श किया जा चुका है, जिसमें वित्त मंत्री भी शामिल थीं. इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार इस मुद्दे की गंभीरता से अवगत है, हालांकि फिलहाल GST में बदलाव को लेकर कोई ठोस फैसला सामने नहीं आया है. |
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