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G-RAM G Bill: 100 की जगह अब 125 दिन मिलेगा रोजगार, बढ़ेगी देश के विकास की रफ्तार
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Dec 19, 2025, 13:04 pm IST
Keywords: G-RAM G Bill मनरेगा MGNREGA G-RAM G Bill भारत सरकार
भारत सरकार ने 2025 में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए “विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)” (वीबी-जी राम जी) विधेयक को लोकसभा में पारित किया. यह बिल करीब 20 साल पुराने मनरेगा (MGNREGA) कानून की जगह लेगा और ग्रामीण रोजगार को नया रूप देने का प्रयास करेगा. इस नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को सालाना 125 दिन तक रोजगार का वैधानिक अधिकार मिलेगा, जो पहले की तुलना में 25 दिन अधिक है. सरकार का कहना है कि यह पहल केवल रोजगार प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण भारत में टिकाऊ बुनियादी ढांचे का निर्माण, डिजिटल निगरानी और प्रशासनिक जवाबदेही के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थायी सुधार लाने के उद्देश्य से तैयार की गई है. मनरेगा की जगह क्यों आया ‘जी राम जी’ मनरेगा 2005 से देशभर में लागू है और पिछले दो दशकों में ग्रामीण भारत की आर्थिक परिस्थितियां, डिजिटलीकरण और कनेक्टिविटी में काफी बदलाव आया है. सरकार का मानना है कि पुराने ढांचे में मामूली सुधार करने के बजाय नया वैधानिक ढांचा ज्यादा प्रभावी रहेगा. ‘विकसित भारत-जी राम जी’ का उद्देश्य केवल सड़क या गड्ढे खोदने का काम नहीं है. इसके तहत कार्यों को टिकाऊ और रोजगार-उन्मुख तरीके से डिज़ाइन किया गया है, जो ग्रामीण विकास के साथ-साथ कृषि और स्थानीय आजीविका को भी लाभ पहुंचाएगा. 100 दिनों से बढ़कर 125 दिन रोजगार गारंटी नए कानून के तहत, हर ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिन का रोजगार प्राप्त होगा, जो मनरेगा में दिए जाने वाले 100 दिनों से 25 दिन अधिक है. इसके अलावा, इसमें ‘एग्री-पॉज’ नामक व्यवस्था लागू की गई है. इसके अंतर्गत बुवाई और कटाई के पीक सीजन में कुल 60 दिनों तक सरकारी काम रोका जाएगा, ताकि कृषि गतिविधियों में मजदूरों की कमी न आए और सरकारी रोजगार तथा कृषि कार्यों के बीच टकराव न हो. मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान साप्ताहिक या अधिकतम 15 दिनों के भीतर करने की बाध्यता होगी. इससे उनकी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी और नगद प्रवाह में स्थिरता आएगी. टिकाऊ संपत्ति और डिजिटल निगरानी नए कानून के तहत किए जाने वाले कार्यों को चार प्रमुख क्षेत्रों में बांटा गया है:
सभी निर्माण और परियोजनाओं का रिकॉर्ड ‘विकसित भारत नेशनल रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्टैक’ नामक राष्ट्रीय डेटाबेस में रखा जाएगा. भ्रष्टाचार और गड़बड़ी को रोकने के लिए बायोमेट्रिक हाजिरी, जियो-टैगिंग और GPS आधारित रियल-टाइम मॉनिटरिंग अनिवार्य की जाएगी. फंडिंग में बदलाव: राज्यों की जिम्मेदारी बढ़ी मनरेगा पूरी तरह केंद्र प्रायोजित था, लेकिन नए कानून में केंद्र और राज्य का फंडिंग अनुपात 60:40 निर्धारित किया गया है. पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 रहेगा. इसके अलावा, योजना अब पूरी तरह ‘डिमांड-ड्रिवन’ नहीं है. केंद्र सरकार हर साल राज्यों के लिए एक निश्चित बजट तय करेगी. यदि राज्य इस बजट से अधिक खर्च करते हैं, तो अतिरिक्त बोझ उन्हें खुद उठाना होगा. सरकार ने इस योजना का वार्षिक बजट लगभग 1.51 लाख करोड़ रुपये आंका है. जवाबदेही और सोशल ऑडिट प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशासनिक खर्च की सीमा 6% से बढ़ाकर 9% कर दी गई है. इससे स्टाफिंग और प्रशिक्षण की बेहतर व्यवस्था की जा सकेगी. ‘बेरोजगारी भत्ता’ का प्रावधान भी बरकरार रखा गया है. यदि किसी ग्रामीण परिवार को निर्धारित समय में रोजगार नहीं मिलता, तो राज्य सरकार को भत्ता देना होगा. नीति निर्धारण और समीक्षा के लिए केंद्रीय और राज्य स्तर पर ग्रामीण रोजगार गारंटी परिषद का गठन किया जाएगा. वहीं, जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन की जिम्मेदारी पंचायती राज संस्थाओं की होगी. यह विधेयक ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव ला सकता है. 125 दिनों के रोजगार से ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ेगी, कृषि कार्यों में मजदूरों की कमी नहीं होगी और डिजिटल निगरानी के जरिए कार्यों में पारदर्शिता भी बढ़ेगी. सरकार का यह भी मानना है कि ‘विकसित भारत-जी राम जी’ योजना से ग्रामीण भारत 2047 के विजन के अनुरूप विकसित हो सकेगा और रोजगार के साथ-साथ टिकाऊ बुनियादी ढांचे का निर्माण भी होगा. |
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