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संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार लाने जा रही ये 14 महत्वपूर्ण विधेयक
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Dec 01, 2025, 12:13 pm IST
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संसद का शीतकालीन सत्र इस बार राजनीतिक तापमान को और बढ़ाने के लिए तैयार है. 1 दिसंबर यानी सोमवार से शुरू हो रहा यह सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा. सत्र से पहले ही सरकार और विपक्ष के बीच तेज होती बयानबाज़ी इस बात का संकेत दे रही है कि सदन में आने वाले दिनों में गर्मागरम बहस और हंगामे के पूरे आसार हैं. केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में प्रस्तुत किए जाने वाले 14 महत्वपूर्ण विधेयकों की सूची पहले ही जारी कर दी है, जिन पर विपक्ष अपनी कड़ी आपत्ति और सवाल उठाने की तैयारी में है. सर्वदलीय बैठक में सत्र को लेकर रणनीति शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई. इसमें बीजेपी की ओर से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू मौजूद रहे, जबकि विपक्ष की तरफ से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, गौरव गोगोई, प्रमोद तिवारी, टीएमसी के डेरेक ओ’ब्रायन, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, द्रमुक नेता तिरुचित शिवा समेत कई दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए. बैठक में विभिन्न दलों ने सत्र की अवधि, विधेयकों की प्राथमिकता और देश के प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की आवश्यकता को लेकर अपने-अपने सुझाव और चिंताएं साझा कीं. विपक्ष ने विशेष रूप से यह मुद्दा उठाया कि यह सत्र सामान्य से छोटा है और महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा के लिए अधिक समय की जरूरत है. सत्र की अवधि को लेकर विपक्ष की नाराज़गी 1 से 19 दिसंबर तक चलने वाले इस सत्र में कुल 15 कार्यदिवस निर्धारित किए गए हैं. आमतौर पर शीतकालीन सत्र में लगभग 20 बैठकें होती हैं, ऐसे में विपक्ष इसे “कम अवधि वाला” सत्र बताते हुए असंतोष जता रहा है. विपक्षी दलों का कहना है कि बेरोज़गारी, महंगाई, सीमा सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक नीतियों जैसे अहम मुद्दों पर विस्तृत चर्चा के लिए ज्यादा समय चाहिए. हालांकि सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. लोकसभा और राज्यसभा में पेश होने वाले प्रमुख विधेयक इस शीतकालीन सत्र में सरकार 14 महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है, जिनमें आर्थिक सुधारों से लेकर संविधानिक ढांचे से जुड़े संशोधन शामिल हैं. इनमें से कुछ प्रमुख विधेयक हैं:
वित्तीय मामलों से संबंधित प्रथम पूरक अनुदान मांगें (2025-26) भी इस सत्र में प्रमुखता से पेश की जाएंगी. क्या होगा सत्र का एजेंडा? हालांकि सरकार ने विधेयकों का एजेंडा तो सामने रख दिया है, लेकिन असली टकराव उन मुद्दों पर हो सकता है जिन्हें विपक्ष सदन में जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है. कृषि, अर्थव्यवस्था, रक्षा, बेरोज़गारी, विदेश नीति और कई राज्यों के राजनीतिक हालात जैसे विषय चर्चा का केंद्र बन सकते हैं. |
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