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कसाई से कम नहीं था रहमान डकैत, अब इसी रोल में सनसनी बने धुरंधर सुपरस्टार अक्षय खन्ना
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Dec 08, 2025, 11:47 am IST
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आदित्य धर की नई फिल्म 'धुरंधर' कराची के अंडरवर्ल्ड की धूल धुआं भरी गलियों में ले जाती है, जहां हर कदम पर धोखा, खून खराबा और सत्ता का खेल घूमता दिखाई देता है। फिल्म में कई बदनाम गैंगस्टरों की झलकें मिलती हैं, लेकिन जिस किरदार ने सबसे ज्यादा सनसनी फैलाई है, वह है अक्षय खन्ना का निभाया हुआ रहमान डकैत। उनकी आंखों की बेचैन कर देने वाली ठंडक और हिंसा की कगार पर खड़ी ऊर्जा ने इस किरदार को पर्दे पर ऐसे जीवित कर दिया है मानो दर्शक असली रहमान को सामने खड़ा देख रहे हों। और असली रहमान की कहानी कम भयावह नहीं है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा दहला देने वाली है।कराची के लयारी में पैदा हुआ सरदार अब्दुल रहमान बलूच, जिसे बाद में दुनिया रहमान डकैत के नाम से जानने लगी, 90 और 2000 के दशक में शहर के सबसे भयावह नामों में से एक बन गया था। अपराध उसकी विरासत का हिस्सा था, उसके पिता दादल बलूच 1960 के दशक से ड्रग तस्करी में सक्रिय थे। इसी माहौल में पलते हुए रहमान बहुत छोटी उम्र में हिंसा को अपना हथियार बना चुका था। स्थानीय किस्सों के अनुसार, वह मुश्किल से 13 साल का था जब उसने पहली बार चाकू उठाया और अपनी किशोर उम्र में ही मौत फैलाने वाला नाम बन गया। एक अफवाह तो ऐसी भी थी जिसने उसे और भी डरावना बना दिया, कि उसने अपनी माँ तक को किसी गैंग गठजोड़ के शक में मार दिया। यह कथा सच हो या न हो, लेकिन इसी ने उसकी कहानी को एक भयावह लोककथा में बदल दिया। 20 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते रहमान डकैत वह शख्स बन चुका था जिसके नाम से लयारी की रातें कांप उठती थीं। उसका नेटवर्क बाद में पीपल्स अमन कमेटी से जुड़ा, जो अपराध और राजनीति दोनों को एक साथ चलाने वाली ताकत बन गई। जबरन वसूली, ड्रग रैकेट, अपहरण, हथियारों की तस्करी, हर गली में कोई न कोई उसका आदमी मौजूद रहता। उसका सबसे खूंखार प्रतिद्वंद्वी था ड्रग माफिया हाजी लालू का बेटा अरशद पप्पू। दोनों गिरोहों की दुश्मनी इतनी गहरी थी कि लयारी कई सालों तक युद्धभूमि बना रहा, आम लोग रोज गोलियों और ग्रेनेडों की आवाजों के बीच जीते थे। रहमान डकैत की जिंदगी में क्रूरता के कई अध्याय हैं और 'धुरंधर' में दिखाया गया एक दृश्य, जहां अक्षय खन्ना भीड़ भरी सड़क में किसी पर हमला करता है, वास्तविक घटना से प्रेरित है। एक बार रहमान ने अरशद पप्पू के करीबी सहयोगी की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी, जिसने लयारी में आतंक की एक नई लहर पैदा कर दी थी। 2005 में वरिष्ठ अधिकारी जुल्फिकार मिर्जा ने उसे गिरफ्तार कर लिया, लेकिन रहमान जेल की दीवारों से फिसलकर निकल भागा। उसकी वापसी और भी खतरनाक थी, मानो उसने अपने दुश्मनों को याद दिलाया हो कि उसकी कहानी अभी खत्म नहीं हुई। लेकिन 2009 में पुलिस एनकाउंटर ने उसकी दास्तान पर पूर्ण विराम लगा दिया। उसकी मौत को लेकर आज भी सवाल उठते हैं, कुछ इसे फर्जी बताते हैं और कुछ मानते हैं कि यही शहर की मजबूरी थी। धुरंधर' में अक्षय खन्ना का रहमान डकैत बाकी सभी किरदारों को पछाड़ देता है। उसकी आंखों की बर्फीली चमक, गुस्से की विस्फोटक लकीरें और संवादों की नुकीली धार दर्शक को उस असली डर तक ले जाती है जो कभी कराची की गलियों में धड़कता था। एक दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी रहमान डकैत की कहानी कराची की यादों पर ऐसे उकेरी हुई है मानो वह शहर के इतिहास का एक अँधेरा लेकिन अमिट अध्याय हो, एक ऐसा दौर जब बंदूक की आवाज कानून से ज्यादा ताकतवर होती थी। |
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