Thursday, 23 October 2025  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

Meta का बड़ा कदम! अब पेरेंट्स के हाथ में होगा बच्चों के सोशल मीडिया का कंट्रोल

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 22, 2025, 17:59 pm IST
Keywords: Meta Parental Controls   Instagram    AI कैरेक्टर    Meta Parental    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स  
फ़ॉन्ट साइज :
Meta का बड़ा कदम! अब पेरेंट्स के हाथ में होगा बच्चों के सोशल मीडिया का कंट्रोल

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती चिंताओं के बीच, टेक दिग्गज Meta ने बच्चों और किशोरों की ऑनलाइन सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई नए पैरेंटल कंट्रोल फीचर्स लॉन्च किए हैं. इन बदलावों के तहत अब माता-पिता को यह तय करने का अधिकार मिलेगा कि उनके बच्चे AI चैटबॉट्स से बातचीत करें या नहीं.

AI चैट पर अब पेरेंट्स की मिलेगी अनुमति

Meta ने कहा है कि 2026 की शुरुआत से पेरेंट्स यह चुन सकेंगे कि उनके बच्चे AI कैरेक्टर्स से वन-ऑन-वन चैट कर सकते हैं या नहीं. अगर माता-पिता चाहें, तो ये चैट्स पूरी तरह से डिसेबल की जा सकती हैं. हालांकि, Meta AI असिस्टेंट को पूरी तरह बंद नहीं किया जा सकेगा, लेकिन कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यह टूल केवल शैक्षणिक और लाभकारी जानकारी देगा, और इसमें उम्र-उपयुक्त सेफ्टी फिल्टर्स पहले से ही लगे होंगे.

Instagram पर टीन यूज़र्स के लिए सख्त कंटेंट नियम

Meta ने अपने लोकप्रिय प्लेटफॉर्म Instagram पर भी बदलाव किए हैं. अब किशोरों के अकाउंट्स पर डिफॉल्ट रूप से PG-13 लेवल का कंटेंट सीमित रहेगा. इसका मतलब है कि टीन यूज़र्स अब ऐसे फोटो या वीडियो नहीं देख पाएंगे जिनमें नग्नता, ड्रग्स या खतरनाक स्टंट्स हों. सबसे अहम बात बच्चे इन कंटेंट सेटिंग्स को पेरेंट्स की इजाज़त के बिना बदल नहीं सकेंगे.

AI चैटबॉट्स के लिए मिलेगा कस्टम कंट्रोल

अगर माता-पिता चाहें, तो वे किसी खास AI कैरेक्टर को ब्लॉक भी कर सकते हैं, बजाय सभी चैट्स को बंद करने के. साथ ही, अब पेरेंट्स को यह जानकारी भी मिलेगी कि उनके बच्चे AI चैटबॉट्स के साथ किस तरह की बातचीत कर रहे हैं. हालांकि, उन्हें पूरी चैट रीड करने की सुविधा नहीं दी जाएगी, जिससे बच्चों की कुछ हद तक गोपनीयता भी बनी रहेगी.

क्यों उठ रहे थे सवाल?

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 70% किशोर AI चैटबॉट्स का इस्तेमाल करते हैं, और उनमें से आधे नियमित तौर पर. इस ट्रेंड को देखते हुए Meta ने ये बदलाव जरूरी समझे. लेकिन कुछ बाल-सुरक्षा संगठनों का कहना है कि ये कदम पर्याप्त नहीं हैं. उनके अनुसार, AI चैटबॉट्स के प्रभाव और बच्चों की प्राइवेसी को लेकर अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं.

अन्य राष्ट्रीय लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल