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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मचाडो ने पीएम मोदी से मिलने की जताई इच्छा

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 25, 2025, 16:42 pm IST
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नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मचाडो ने पीएम मोदी से मिलने की जताई इच्छा

दुनिया में जहां कई देशों में लोकतंत्र की राह मुश्किल होती जा रही है, वहीं वेनेजुएला की लोकतांत्रिक नेता और 2025 की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरिना मचाडो ने भारत को “महान लोकतंत्र” और “दुनिया के लिए प्रेरणा” बताया है. मचाडो, जो पिछले दो दशकों से वेनेजुएला में लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्षरत हैं, ने कहा कि भारत और वेनेजुएला भविष्य में गहरे साझेदार बन सकते हैं.

एक प्रमुख टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मचाडो ने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों की खुलकर प्रशंसा की. उन्होंने कहा, “भारत ने यह साबित किया है कि विविधता में भी लोकतंत्र फल-फूल सकता है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहती हूं और उन्हें स्वतंत्र वेनेजुएला में आमंत्रित करना चाहती हूं.” उन्होंने महात्मा गांधी की अहिंसात्मक विचारधारा से प्रेरणा लेने की बात कही और कहा कि “शांति रखना कमजोरी नहीं है, गांधी ने पूरी दुनिया को यह सिखाया.”

वेनेजुएला के 2024 चुनाव और संघर्ष की कहानी

मचाडो ने बताया कि 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष ने बहुमत हासिल किया था, लेकिन निकोलस मादुरो की सरकार ने परिणाम रद्द कर दिए और इसके बाद दमनकारी नीतियाँ शुरू कर दीं. उन्होंने कहा कि उन्होंने मादुरो से शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण का प्रस्ताव रखा, मगर मादुरो ने इनकार कर दिया. मचाडो का कहना है कि अब देश की जनता बदलाव चाहती है, और दुनिया के लोकतांत्रिक देशों का समर्थन इस दिशा में अहम भूमिका निभा सकता है.

नोबेल विजेता ने यह भी कहा कि वेनेजुएला में लोकतंत्र बहाल होने के बाद भारत और वेनेजुएला कई क्षेत्रों, ऊर्जा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, दूरसंचार और शिक्षा में मिलकर काम कर सकते हैं. उनका मानना है कि भारत की लोकतांत्रिक ताकत और विकास मॉडल वेनेजुएला जैसे देशों के लिए एक मार्गदर्शक बन सकते हैं.


उन्होंने कहा, “भारत न केवल लोकतंत्र का प्रहरी है, बल्कि मानवाधिकार और समानता के मूल्यों का भी वाहक है. हमें उम्मीद है कि भारत हमारी इस लड़ाई में नैतिक समर्थन देगा.” 

मचाडो ने कहा कि भारत जैसे देशों की जिम्मेदारी है कि वे दुनिया को दिखाएँ कि लोकतंत्र केवल शासन प्रणाली नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है. उन्होंने कहा, “लोकतंत्र को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए. भारत जैसे बड़े लोकतंत्र की भूमिका आज पहले से कहीं अधिक अहम है, क्योंकि दुनिया ऐसे उदाहरणों से प्रेरणा लेती है.”

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