दिल्ली के मुख्य सचिव से जुड़े विवाद की हकीकतः आप विधायकों ने की बदसलुकी, भाजपा ने कहा ये शहरी नक्सली
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Feb 21, 2018, 9:07 am IST
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नई दिल्लीः देश की राजधानी दिल्ली सकते में है. यहां के मुख्य सचिव ने सत्ताधारी दल पर आधी रात को अपने साथ मारपीट के आरोप लगाए हैं. यह सब उस सरकार में हुआ है, जो अपने को आम आदमी से जोड़ने का दावा करती है. अगर किसी राज्य के सबसे वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के साथ सत्ताधारी पार्टी के विधायक मारपीट करें और अगर ये सब कुछ मुख्यमंत्री के सामने हो रहा हो, तो इसे गुंडागर्दी ही कहा जाएगा.
देश की राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायकों पर दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ मारपीट करने का आरोप लगा है. और आरोप ये भी हैं कि ये सबकुछ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में उनके घर पर हुआ. ये एक बहुत बड़ी और चिंताजनक ख़बर है, क्योंकि पूरे देश के 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ. दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की शिकायत के मुताबिक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सलाहकार वी. के. जैन ने कल रात 8 बजकर 45 मिनट पर उन्हें फोन किया और उनसे कहा कि उन्हें रात 12 बजे मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंचना है और मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात होनी है. ये भी कहा गया कि इस मुलाक़ात में दिल्ली सरकार के 3 साल पूरे होने पर बनाए गए विज्ञापन और उसके प्रचार अभियान से जुड़ी दिक्कतों पर बात होगी. मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की तरफ से ये कहा गया कि ये मीटिंग सुबह भी हो सकती है. लेकिन मुख्यमंत्री के सलाहकार की तरफ से ये कहा गया कि मुख्यमंत्री ने मीटिंग रात 12 बजे तय कर ली है. अंशु प्रकाश के मुताबिक उन्हें दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने भी शाम को 6 बजकर 55 मिनट पर फोन किया और बताया कि अगर विज्ञापन जारी करने का मुद्दा नहीं सुलझा तो रात में 12 बजे मुख्यमंत्री से मिलना होगा. मुख्य सचिव के मुताबिक उन्होंने उप मुख्यमंत्री को समझाया कि किसी भी विज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. इसके बाद मुख्य सचिव अंशु प्रकाश अपनी आधिकारिक कार में मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंचे. मुख्य सचिव के मुताबिक उन्हें एक कमरे में ले जाया गया, जहां पहले से ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और 11 विधायक थे. मुख्यमंत्री की तरफ से उन्हें बताया गया कि कमरे में विधायक हैं, और वो तीन साल पूरे होने पर सरकार के प्रचार कार्यक्रमों की जानकारी लेने आए हैं. इसके बाद एक विधायक ने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया. मुख्य सचिव अंशु प्रकाश को एक 3 सीटों वाले सोफे पर विधायक अमानतुल्लाह खान और एक और व्यक्ति के बीच में बैठाया गया. अंशु प्रकाश के मुताबिक मुख्यमंत्री की तरफ से उन्हें विधायकों को इस बात का जवाब देने के लिए कहा गया कि आप सरकार की उपलब्धियों वाले टेलीवीजन विज्ञापन को जारी करने में इतनी देरी क्यों हो रही है? मुख्य सचिव की तरफ से बताया गया कि अधिकारी सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस से बंधे हुए हैं और कोई भी विज्ञापन गाइडलाइंस के मुताबिक ही जारी होगा. मुख्य सचिव के मुताबिक इसके बाद विधायकों ने उन पर चिल्लाना शुरू कर दिया, उन्हें गालियां दीं. और नौकरशाही पर सरकार के प्रचार के लिए पर्याप्त काम नहीं करने का आरोप लगाया. इसके बाद एक विधायक ने मुख्य सचिव को धमकी दी कि अगर वो टीवी विज्ञापन को जारी करने के लिए राज़ी नहीं हुए, तो उन्हें पूरी रात कमरे में बंधक बनाकर रखा जाएगा. ये भी धमकी दी गई कि उन्हें एससी/एस टी एक्ट के तहत फर्ज़ी मुकदमों में फंसाया जाएगा. इसके बाद विधायक अमानतुल्ला ख़ान और एक दूसरे विधायक ने उन पर हमला कर दिया. उनके सिर पर कई मुक्के मारे. जिससे उनका चश्मा भी ज़मीन पर गिर गया. मुख्य सचिव के मुताबिक इसके बाद वो बहुत मुश्किल से अपनी कार में मुख्यमंत्री आवास से निकले. अगर मुख्य सचिव के साथ ये सब हुआ है, तो ये बहुत शर्मनाक है. क्योंकि मुख्यमंत्री की मौजूदगी में विधायकों से किसी भी अधिकारी के साथ मारपीट की उम्मीद नहीं की जाती है. हालांकि ये इस विवाद का एक पहलू है. आम आदमी पार्टी इस पूरे मामले को दूसरा रंग दे रही है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि ये मीटिंग विज्ञापन विवाद पर नहीं थी. बल्कि 2.5 लाख लोगों को राशन नहीं मिला था, जिसकी वजह से विधायकों पर जनता का दबाव था और इसीलिए मीटिंग बुलाई गई थी. आम आदमी पार्टी के मुताबिक मुख्य सचिव ने ये कहकर जवाब देने से इनकार कर दिया कि उनकी जवाबदेही विधायकों या मुख्यमंत्री को नहीं है. बल्कि वो सिर्फ उपराज्यपाल को जवाब देंगे. आम आदमी पार्टी के मुताबिक मुख्य सचिव के आरोप बेबुनियाद हैं और वो बीजेपी की शह पर ऐसा कह रहे हैं. अब अगर ये मामला राशन ना मिलने का था, तो इसके लिए रात को 12 बजे मुख्य सचिव को बुलवाने की क्या ज़रूरत थी? मुख्य सचिव की तरफ से ये कहा गया था कि ये मीटिंग कल सुबह भी हो सकती है, ऐसे में उन पर मीटिंग के लिए दबाव क्यों डाला गया? ये वो तमाम सवाल हैं, जिन पर आम आदमी पार्टी घिरती हुई नज़र आ रही है. इस घटना को लेकर आज हमारा सवाल ये है कि क्या अब लोकतंत्र ख़तरे में नहीं है? इस घटना के बाद लोकतंत्र और आज़ादी के चैंपियन्स शांत क्यों हैं ? क्या ये चुप्पी इसलिए है क्योंकि इस घटना पर सवाल उठाना उनके एजेंडे को सूट नहीं करता ? इस पूरे घटनाक्रम के बाद दिल्ली के अधिकारी सड़कों पर हैं. वो दिल्ली सरकार का विरोध कर रहे हैं. मुख्य सचिव की शिकायत के बाद दिल्ली के सिविल लाइंस थाने में मुकदमा भी दर्ज हो गया है. मुख्यसचिव के बयान के बाद तो यही लगता है कि ये पूरा विवाद एक विज्ञापन को लेकर शुरु हुआ. दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के 3 साल 14 फरवरी 2018 को पूरे हो चुके हैं. सरकार के 3 साल पूरे होने पर आम आदमी पार्टी की तरफ से एक विज्ञापन बनवाया गया. जिसमें दिल्ली सरकार के कामकाज दिखाए गए हैं. लेकिन इस विज्ञापन में एक लाइन ऐसी थी, जिस पर विवाद हो गया. और ये लाइन थी - जब आप सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलते हैं तो ब्रह्मांड की सारी दृश्य और अदृश्य शक्तियां आपकी मदद करती हैं. यहां सवाल ये है कि अपना प्रचार करने की ये कैसी भूख है? ये कैसी लालसा है जिसके सामने अरविंद केजरीवाल को सारे नियम और कानून छोटे नज़र आ रहे हैं. दिल्ली सरकार के अधिकारियों का कहना है कि विज्ञापन की ये लाइनें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन करती हैं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइंस में साफ़तौर पर ये कहा है कि सरकारी विज्ञापनों में सभी तथ्यों की जांच उन विभागों द्वारा की जानी चाहिए, जिनका ज़िक्र विज्ञापन में किया गया है. लेकिन विज्ञापन की ये पंक्तियां दिल्ली सरकार के किसी भी विभाग का काम नहीं दर्शा रही हैं. और ना ही इनका सत्यापन करना संभव है, इसलिए इस विज्ञापन को स्वीकृति नहीं मिली. अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद भी कई बैठकें कीं, लेकिन अधिकारी विज्ञापन जारी करने के लिए तैयार नहीं हुए. और अब कल के विवाद के बाद मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने भी आरोप लगाया है कि उन पर इस विज्ञापन को जारी करने का दबाव बनाया गया और मारपीट की गई. कुल मिलाकर ये विज्ञापन ही इस विवाद की जड़ है. एक मुख्यमंत्री के ऊपर अपने राज्य की व्यवस्था को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी होती है. और इस काम में उसकी सबसे ज्यादा मदद करता है - मुख्य सचिव. लेकिन अगर मुख्यमंत्री के सामने ही मुख्य सचिव से मारपीट हो जाए और मुख्यमंत्री तमाशा देखता रहे, तो ये बहुत ही चिंताजनक संकेत है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. भाजपा ने तो आप विधायकों को शहरी नक्सली बताकर घटना की निंदा की है. बहरहाल दिल्ली पुलिस ने मुख्य सचिव से बदसलूकी के मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक प्रकाश जारवाल को गिरफ्तार कर लिया है. प्रकाश की गिरफ्तारी उस वक़्त हुई जब वो एक शादी में शरीक होने जा रहे थे उसी दौरान खानपुर रेड लाइट पर उन्हें हिरासत में लिया गया. सूत्रों के मुताबिक जारवाल को पहले डिफेन्स कॉलोनी थाने लाया गया बाद में उन्हें सिविल लाइन थाने लाया गया है. दक्षिणपुरी से आम आदमी पार्टी के पार्षद प्रेम चौहान, प्रकाश जारवाल के छोटे भाई अनिल और कुछ आप कार्यकर्ता सिविल लाइन पहुंचे लेकिन उन्हें प्रकाश जारवाल से मिलने नहीं दिया गया. पार्षद प्रेम चौहान ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस ने इस मामले में जिस तरह से कार्रवाई की है वो राजनीति से प्रेरित है. प्रेम चौहान ने आरोप लगाया है कि जिस तरह से विधायक को रात में गिरफ्तार किया गया वो सही नहीं है. पुलिस फिलहाल प्रकाश जारवाल से पूछताछ कर रही है. इसके अलावा ओखला से आप विधायक अमानतुल्ला खान जो कि इस मामले में प्रमुख आरोपी हैं, उनकी तलाश में भी पुलिस ने ओखला स्थित उनके घर पर दबिश दी लेकिन अमानत घर पर नहीं मिले. गिरफ्तार हुए प्रकाश जारवाल देवली से आम आदमी पार्टी के विधायक हैं. ये भी मुख्यमंत्री आवास पर सोमवार रात हुई उस बैठक में मौजूद थे, जिसमें मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने मारपीट का आरोप लगाया है. प्रकाश जारवाल ने मुख्य सचिव पर भी गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि मुख्य सचिव ने उनके लिए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया है. जारवाल ने मंगलवार को दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के खिलाफ इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने मुख्य सचिव पर जातिसूचक शब्द कहने का आरोप लगाते हुए एससी एसटी कमीशन में शिकायत दी है. जारवाल का दावा है कि बैठक में मुख्य सचिव उन पर चिल्लाने लगे और कहा कि तुम विधायक बनने के लायक नहीं हो. |
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