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नए साल से पहले भारत को दहलाने की साजिश! पहाड़ों में छिपे हैं कई आतंकी

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 28, 2025, 11:11 am IST
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नए साल से पहले भारत को दहलाने की साजिश! पहाड़ों में छिपे हैं कई आतंकी

नए साल से पहले जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंक की आहट ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ बड़े स्तर पर अभियान शुरू कर दिया है. पिछले एक सप्ताह से सेना जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के स्थानीय कमांडर सैफुल्लाह, उसके करीबी सहयोगी आदिल और उनके नेटवर्क से जुड़े अन्य आतंकियों को पकड़ने या ढेर करने के लिए व्यापक सर्च ऑपरेशन चला रही है.

सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, ये आतंकी किश्तवाड़ जिले के बेहद कठिन और दुर्गम पहाड़ी इलाकों में छिपे हुए हैं. सैफुल्लाह और आदिल दोनों पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित है. सेना को आशंका है कि ये आतंकी नए साल से पहले किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हो सकते हैं.

छत्रू से केशवान तक तलाशी अभियान

सेना का यह बड़ा अभियान किश्तवाड़ जिले के छत्रू सब-डिवीजन से शुरू हुआ था. शुरुआती चरण में जवानों ने गांवों, रिहायशी इलाकों और आसपास के जंगलों में गहन तलाशी अभियान चलाया. इसके बाद ऑपरेशन का दायरा बढ़ाते हुए ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों, घने जंगलों और संभावित ठिकानों पर दबिश दी गई.

केशवान और डोडा में भी एक्शन

फिलहाल किश्तवाड़ के केशवान इलाके में भी एक अलग सर्च ऑपरेशन जारी है, जो जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है. इसके साथ-साथ डोडा जिले के सेओजधार क्षेत्र में भी सेना के जवान लगातार तलाशी ले रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, छत्रू इलाके में यह अभियान पिछले एक सप्ताह से जारी है, जबकि केशवान में नया ऑपरेशन आज से शुरू किया गया है, जो रविवार, 28 दिसंबर 2025 तक चल सकता है.

2000 जवान हर कोना खंगाल रहे

इस पूरे अभियान में भारतीय सेना के करीब 2000 जवान तैनात किए गए हैं. जवानों को अलग-अलग टुकड़ियों में बांटकर जंगलों, पहाड़ियों, घाटियों और दुर्गम रास्तों पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. ड्रोन, आधुनिक हथियार और निगरानी उपकरणों की भी मदद ली जा रही है, ताकि आतंकियों को भागने का कोई मौका न मिले.

ग्रामीणों का भी मिल रहा सहयोग

इस ऑपरेशन की एक अहम बात यह है कि स्थानीय ग्रामीण भी सेना की मदद के लिए आगे आए हैं. अपने इलाके की भौगोलिक स्थिति से अच्छी तरह परिचित ग्रामीण संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी साझा कर रहे हैं. इसके अलावा, कठिन पहाड़ी रास्तों और जंगलों के सुरक्षित मार्गों की पहचान में भी वे सुरक्षा बलों का सहयोग कर रहे हैं. इससे आतंकियों तक पहुंचने में सेना को अहम मदद मिल रही है.

पड्डर में पुराने आतंकी नेटवर्क पर नजर

किश्तवाड़ के पड्डर उपमंडल में भी सेना का एक अलग अभियान चल रहा है. यह इलाका पहले हिज्बुल मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी कमांडर जाहंगीर सरूरी का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है.

इसके साथ-साथ दो अन्य स्थानीय आतंकियों- मुदस्सिर और रियाज की भी तलाश की जा रही है, जिन पर दस-दस लाख रुपये का इनाम घोषित है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि इन आतंकियों से जुड़े नेटवर्क अभी भी सक्रिय हैं.

चिल्लई कलां की ठंड भी नहीं बनी रुकावट

यह पूरा ऑपरेशन ऐसे समय में चलाया जा रहा है, जब कश्मीर घाटी में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. 21 दिसंबर से शुरू होने वाला 40 दिनों का ‘चिल्लई कलां’ आमतौर पर आतंकवादी गतिविधियों में कमी लेकर आता है, क्योंकि भारी बर्फबारी से संपर्क मार्ग बंद हो जाते हैं.
लेकिन इस बार सेना ने रणनीति में बड़ा बदलाव किया है.

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस सर्दी में सेना ने प्रोएक्टिव विंटर पोस्टर अपनाया है. इसका मतलब है कि ठंड और बर्फबारी के बावजूद आतंक विरोधी अभियान धीमे नहीं किए गए हैं. बर्फ से ढके इलाकों में अस्थायी बेस कैंप और निगरानी चौकियां बनाई गई हैं, ताकि आतंकियों को किसी भी हाल में सुरक्षित ठिकाना न मिल सके.

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