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भारत में हर साल कितने सड़क हादसे, कितने लोगों की जाती है जान?

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 18, 2025, 12:36 pm IST
Keywords: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री    नितिन गडकरी   nitin gadkari   FASTag  
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भारत में हर साल कितने सड़क हादसे, कितने लोगों की जाती है जान?

नई दिल्ली: भारत में सड़क सुरक्षा लगातार एक गंभीर चुनौती बनी हुई है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में राज्यसभा में आंकड़े साझा करते हुए बताया कि देश में हर साल लगभग 5 लाख सड़क हादसे होते हैं. इनमें औसतन 1.8 लाख लोगों की जान चली जाती है.

विशेष रूप से 18 से 34 वर्ष आयु वर्ग के युवा सड़क हादसों में सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. गडकरी ने कहा कि ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि युवा वर्ग की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

सरकार की पहल: 10 मिनट में एंबुलेंस सेवा

संसद में चर्चा के दौरान गडकरी ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों को आधुनिक एंबुलेंस प्रणाली उपलब्ध कराने की योजना बना रही है. इसका उद्देश्य यह है कि सड़क हादसे की स्थिति में एंबुलेंस 10 मिनट के भीतर स्थल पर पहुँच सके.

मंत्री ने IIM की एक अध्ययन रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि अगर घायल लोगों को समय पर इलाज मिल सके तो लगभग 50 हजार जिंदगियां बचाई जा सकती हैं. यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि प्राथमिक चिकित्सा और त्वरित प्रतिक्रिया कितनी अहम है.

सड़क निर्माण परियोजनाओं की धीमी गति

नितिन गडकरी ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में स्वीकृत 574 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं निर्धारित समय सीमा से पीछे चल रही हैं. इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 3.60 लाख करोड़ रुपये है.

  • 300 परियोजनाएं 1 साल से कम समय से लेट हैं.
  • 253 परियोजनाएं 1 से 3 साल पीछे हैं.
  • 21 परियोजनाएं तीन साल से अधिक समय से विलंबित हैं.

इसके अलावा, 133 नई सड़क परियोजनाएं (कुल लागत 1 लाख करोड़ रुपये) भूमि अधिग्रहण और वन मंजूरी की प्रक्रियाओं में फंसी हुई हैं. गडकरी ने कहा कि सरकार इन बाधाओं को जल्द दूर करने का प्रयास कर रही है ताकि सड़क निर्माण की गति बढ़ सके.

सैटेलाइट आधारित टोल प्रणाली: 2026 तक लागू

सड़क परिवहन मंत्री ने यह भी बताया कि 2026 तक देशभर में सैटेलाइट आधारित टोल प्रणाली (Satellite-based Toll System) लागू कर दी जाएगी. यह प्रणाली सैटेलाइट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित होगी.

इस प्रणाली के लागू होने के बाद:

  • वाहनों का टोल पार करना बिना रुके संभव होगा.
  • FASTag और नंबर प्लेट पहचान तकनीक के माध्यम से टोल की कटौती स्वचालित हो जाएगी.
  • इससे अनुमानित रूप से 1,500 करोड़ रुपये ईंधन की बचत होगी.
  • अतिरिक्त राजस्व में 6,000 करोड़ रुपये तक की बढ़ोतरी संभव होगी.

गडकरी ने कहा कि पहले जहां टोल पार करने में 3 से 10 मिनट लगते थे, अब यह समय घटाकर लगभग शून्य करने का लक्ष्य रखा गया है.

सड़क सुरक्षा सुधार पर सरकार की रणनीति

सड़क हादसों और मौतों की संख्या कम करने के लिए सरकार ने कई पहलें की हैं:

  • सड़क कानून सख्त करना – शराब पीकर ड्राइविंग, ओवरस्पीडिंग और हेलमेट/सीटबेल्ट का पालन सुनिश्चित करना.
  • सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार – नेशनल हाइवे, एक्सप्रेसवे और फोरलेन परियोजनाओं को समय पर पूरा करना.
  • तुरंत चिकित्सा सुविधा – 10 मिनट में एंबुलेंस पहुंचाने की योजना.
  • टोलिंग और स्मार्ट तकनीक – सैटेलाइट और AI आधारित टोल प्रणाली से समय और संसाधनों की बचत.

गडकरी ने यह भी कहा कि सड़क सुरक्षा केवल निर्माण और नियमों पर निर्भर नहीं है, बल्कि लोगों की जागरूकता और त्वरित आपात प्रतिक्रिया भी उतनी ही महत्वपूर्ण है.

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