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भारत को घेरने की तैयारी में चीन, पेंटागन की रिपोर्ट मे खुलासा
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Dec 25, 2025, 11:36 am IST
Keywords: Pentagon Report अमेरिकी रक्षा विभाग बांग्लादेश पाकिस्तान श्रीलंका म्यांमार
अमेरिकी रक्षा विभाग यानी पेंटागन की ताज़ा सालाना रिपोर्ट में चीन को लेकर कई अहम और चौंकाने वाले दावे किए गए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, चीन भारत के आसपास अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए भारत से सटे या नजदीकी चार देशों- पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार में अतिरिक्त सैन्य सुविधाएं और लॉजिस्टिक्स बेस विकसित करने की योजना पर विचार किया जा रहा है. इसका मकसद जमीन, समुद्र और हवा तीनों मोर्चों पर चीन की सैन्य पहुंच को मजबूत करना बताया गया है. पेंटागन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन पहले से ही अफ्रीकी देश जिबूती में अपना एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा चला रहा है और कंबोडिया के रीम नेवल बेस पर भी उसकी पहुंच बन चुकी है. अब बीजिंग दुनिया के करीब एक दर्जन देशों में ऐसे ही सैन्य या लॉजिस्टिक्स बेस स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है. इनमें भारत के पड़ोसी देशों का शामिल होना नई दिल्ली के लिए रणनीतिक चिंता का विषय माना जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ठिकानों से PLA को नौसेना, वायुसेना और थलसेना की ताकत को दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचाने और लंबे समय तक बनाए रखने में मदद मिलेगी. पाकिस्तान में पहले से गहरी पैठ पाकिस्तान चीन की इस रणनीति का सबसे अहम हिस्सा माना जा रहा है. ग्वादर पोर्ट पर विकसित हो रहा नौसैनिक अड्डा पहले से ही चीन-पाकिस्तान सहयोग का उदाहरण है. रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने पाकिस्तान को 35 J-10C फाइटर जेट्स की डील दी है और इसके अलावा हैंगोर क्लास सबमरीन, युद्धपोत और पांचवीं पीढ़ी के FC-31 स्टील्थ फाइटर जेट जैसे प्लेटफॉर्म भी ऑफर किए हैं. दोनों देश मिलकर JF-17 फाइटर जेट्स का संयुक्त उत्पादन भी कर रहे हैं, जिससे सैन्य सहयोग और गहरा हो गया है. बांग्लादेश में बढ़ती सैन्य साझेदारी पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन बांग्लादेश में भी सैन्य अड्डा या लॉजिस्टिक्स सुविधा विकसित करने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है. बांग्लादेश ने J-10C फाइटर जेट्स में रुचि दिखाई है, जिन्हें पाकिस्तान ने भारत के राफेल के मुकाबले के तौर पर पेश किया था. इसके अलावा चीन पहले ही बांग्लादेश को VT-5 लाइट टैंक, दो मिंग क्लास सबमरीन और दो युद्धपोत (2024 में) दे चुका है. शेख हसीना सरकार के दौर में शुरू हुआ यह सैन्य सहयोग यूनुस सरकार में भी जारी बताया जा रहा है. श्रीलंका और म्यांमार में लॉजिस्टिक्स सुविधा रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका और म्यांमार में चीन सीधे बड़े सैन्य अड्डों के बजाय सामान्य सैन्य सुविधाएं या लॉजिस्टिक्स बेस विकसित करने पर ध्यान दे रहा है. इनका इस्तेमाल ईंधन, मरम्मत, आपूर्ति और सैनिकों की आवाजाही के लिए किया जा सकता है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में PLA की परिचालन क्षमता बढ़ेगी. मलक्का स्ट्रेट चीन की सबसे बड़ी चिंता पेंटागन ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि चीन की रणनीतिक चिंताओं में सबसे ऊपर मलक्का स्ट्रेट है. बीजिंग को आशंका है कि किसी संकट की स्थिति में अमेरिका और भारत की नौसेनाएं इस अहम समुद्री मार्ग को बाधित कर सकती हैं. इसके अलावा होर्मुज स्ट्रेट और अफ्रीका–मध्य पूर्व के समुद्री रास्तों की सुरक्षा को लेकर भी चीन सतर्क है. इसी वजह से वह अफ्रीका, एशिया और प्रशांत क्षेत्र के कई देशों में सैन्य पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. दुनिया के कई देशों में बेस की संभावनाएं रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि चीन अंगोला, क्यूबा, गिनी, इंडोनेशिया, केन्या, मोजाम्बिक, नामीबिया, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, सेशेल्स, सोलोमन आइलैंड्स, ताजिकिस्तान, थाईलैंड, UAE और वानुअतु जैसे देशों में भी संभावित सैन्य या लॉजिस्टिक्स बेस को लेकर बातचीत या आकलन कर रहा है. इससे चीन की वैश्विक सैन्य मौजूदगी लगातार बढ़ती दिखाई दे रही है. भारत पर क्या पड़ सकता है असर? पेंटागन का आकलन है कि चीन पाकिस्तान के साथ सैन्य रिश्ते मजबूत कर भारत-अमेरिका की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकातों के बाद LAC पर तनाव कम करने, वीजा सेवाएं बहाल करने जैसे कदम भी उठाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद चीन अरुणाचल प्रदेश को अपने तथाकथित “कोर इंटरेस्ट” में शामिल करता रहा है. |
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