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सीरिया के बाद अब दुबई के रास्ते हिजबुल्लाह को पैसे भेज रहा ईरान
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Nov 28, 2025, 14:25 pm IST
Keywords: मध्य पूर्व अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट
मध्य पूर्व की राजनीति और गुप्त वित्तीय गतिविधियों के बीच एक नया खुलासा सामने आया है. ईरान ने पिछले एक वर्ष में लेबनान के उग्रवादी समूह हिजबुल्लाह को अरबों डॉलर की फंडिंग पहुंचाई, और यह पूरा ऑपरेशन दुबई के मनी नेटवर्क के माध्यम से चलाया गया. यह जानकारी अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक विस्तृत जांच में सामने आई है, जो बताती है कि कैसे दुबई की कंपनियों, एक्सचेंज हाउस, और प्राइवेट ऑपरेटरों की मदद से यह धन हवाला सिस्टम के जरिए लेबनान तक पहुँचाया गया. रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने यह पैसा अपनी तेल बिक्री से उत्पन्न राजस्व में से निकाला और फिर इसे मनी लॉन्ड्रिंग चैनलों में भेज दिया. सबसे पहले यह रकम दुबई में मौजूद उन कारोबारियों को दी जाती, जिनका ईरान से पुराना संबंध है. इसके बाद यह धन एक्सचेंज शॉप्स, प्राइवेट कंपनियों या फिर नकद ले जाने वाले कुरियरों के हाथों में सौंपा जाता. अंतिम चरण में हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल कर रकम लेबनान स्थित हिजबुल्लाह के वित्तीय ढांचे तक पहुंच जाती. जंग से पहले कैश बैग सीधे बेरुत भेजे जाते थे इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध शुरू होने से पहले ईरान नकदी के बड़े-बड़े बैग सीधे बेरुत एयरपोर्ट तक भेजता था. वहां से यह रकम तेजी से संगठन के पास पहुंच जाती थी. लेकिन नवंबर 2024 के युद्धविराम समझौते के बाद बेरुत एयरपोर्ट पर नकदी ले जाने वाले लोगों की जांच सख्त कर दी गई. इसी वजह से ईरान को अपना पुराना तरीका बदलना पड़ा. सीरिया में असद सरकार के गिरने के बाद वह रूट भी लगभग खत्म हो गया, जिसे सालों तक हिजबुल्लाह और ईरान ने सप्लाई कॉरिडोर की तरह इस्तेमाल किया था. बढ़ी निगरानी के कारण ईरान अब छोटे-छोटे पैकेटों में नकदी भेज रहा है. कई बार यात्रियों के सामान में छुपाकर, कई बार कीमती धातुओं और छोटे मूल्यवान सामानों के रूप में, जिन्हें सीमा पर पकड़ना मुश्किल होता है. हिजबुल्लाह की फंडिंग कई देशों से अमेरिकी और अरब अधिकारियों का कहना है कि हिजबुल्लाह की आमदनी केवल ईरान से नहीं आती. संगठन का नेटवर्क दुनिया भर में फैला हुआ है- कई क्षेत्रों में इसका ड्रग ट्रैफिकिंग, डायमंड स्मगलिंग और अवैध व्यापार से गहरा रिश्ता बताया जाता है. यही वजह है कि यह समूह अपने सैन्य ढांचे और हथियारों की खरीद के लिए लगातार फंड जुटाता रहता है. एक अमेरिकी अधिकारी ने चेतावनी दी कि वॉशिंगटन को इस बात की चिंता है कि ईरान न केवल दुबई, बल्कि तुर्किये और इराक के रास्ते से भी पैसा भेजने के नए तरीकों का इस्तेमाल कर सकता है. उनका कहना है कि रेगिस्तानी और पहाड़ी इलाकों से गुजरने वाले गुप्त रास्तों को ट्रैक करना मुश्किल है. UAE का जवाब—"हम कार्रवाई कर रहे हैं" रिपोर्ट सामने आने के बाद संयुक्त अरब अमीरात के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यूएई ऐसी गतिविधियों के खिलाफ लगातार अभियान चला रहा है. उन्होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध फंडिंग पर रोक लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत किया गया है, और किसी भी तरह का दोषी नेटवर्क पकड़ा गया तो उस पर कठोर कार्रवाई होगी. दुबई लंबे समय से व्यापार का वैश्विक केंद्र माना जाता है, लेकिन इसी खुले वातावरण का फायदा उठाकर कई नेटवर्क वित्तीय गुप्त गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करते हैं. यूएई का दावा है कि वह ऐसे किसी भी ऑपरेशन के खिलाफ शून्य-सहनशीलता की नीति अपनाता है. लड़ाई के बाद हिजबुल्लाह को पैसों की ज़रूरत इजराइल के साथ पिछली लड़ाई में हिजबुल्लाह को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, चाहे वह लड़ाके हों, कमांड सेंटर, हथियारों का स्टॉक या बुनियादी ढांचा. संगठन को खुद को फिर से खड़ा करने के लिए बड़े पैमाने पर धन चाहिए. यही वजह है कि ईरान अपनी तमाम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद हिजबुल्लाह की फंडिंग रोकने को तैयार नहीं है. वॉशिंगटन को चिंता है कि अगर यह फंडिंग जारी रही, तो हिजबुल्लाह अपनी सैन्य शक्ति को पिछले स्तर से भी अधिक मजबूत कर सकता है, जिससे पूरे मध्य पूर्व में हालात और तनावपूर्ण हो जाएंगे. क्या है ‘एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस’? यह एक अनौपचारिक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन है, जिसे ईरान ने अपने प्रभाव को बढ़ाने और पश्चिमी देशों तथा इजराइल का मुकाबला करने के लिए बनाया है. इसमें ईरान, सीरिया, लेबनान, इराक, यमन और फिलिस्तीन के कई सशस्त्र समूह शामिल हैं. इस गठबंधन की प्रमुख ताकतें—
ईरान इन समूहों को अपने क्षेत्रीय प्रभाव का “आउटसोर्स्ड पावर स्ट्रक्चर” मानता है, यानी सीधे लड़ाई में शामिल हुए बिना इलाके में अपनी पकड़ बनाए रखने का तरीका. |
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