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पश्चिम अफ्रीका के इस देश में हुआ तख्तापलट, सेना ने अपने हाथ में लिया कंट्रोल

जनता जनार्दन संवाददाता , Nov 27, 2025, 10:14 am IST
Keywords: south africa   india   international   राष्ट्रपति एम्बालो  
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पश्चिम अफ्रीका के इस देश में हुआ तख्तापलट, सेना ने अपने हाथ में लिया कंट्रोल

पश्चिम अफ्रीका का छोटा-सा देश गिनी-बिसाऊ एक बार फिर उथल-पुथल के दौर में पहुंच गया है. बुधवार (26 नवंबर 2025) की दोपहर राजधानी बिसाऊ अचानक गोलियों की आवाजों से दहल उठी. कुछ ही मिनटों में शहर में अफरातफरी फैल गई और जल्द ही सेना ने राष्ट्रव्यापी घोषणा करके साफ कर दिया कि उसने देश की बागडोर अपने हाथ में ले ली है. सेना ने चुनावी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है और सभी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं बंद कर दी गई हैं. इससे साफ है कि देश में पूर्ण सैन्य तख्तापलट हो चुका है.

गोलियों की तड़तड़ाहट सबसे पहले राष्ट्रपति भवन के आसपास सुनी गई, जिसके बाद हालात तेजी से बिगड़ने लगे. सुरक्षा बलों ने शहर के अहम हिस्सों को घेर लिया और सड़कों पर बड़े पैमाने पर बैरिकेड लगा दिए गए. अचानक हुई इस कार्रवाई के बाद लोग अपनी सुरक्षा को लेकर इतने चिंतित हो गए कि उन्होंने राजधानी से बाहर निकलना शुरू कर दिया. पत्रकारों का कहना है कि पूरा राष्ट्रपति परिसर अब सैन्य घेरे में है और माहौल बेहद तनावपूर्ण है.

राष्ट्रपति एम्बालो का कोई अता-पता नहीं

इस सत्ता परिवर्तन के बीच सबसे बड़ा सवाल है कि राष्ट्रपति उमरो सिस्सोको एम्बालो कहां हैं? सेना के नियंत्रण लेने के घंटों बाद भी उनकी लोकेशन और सुरक्षा को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. इस अनिश्चितता ने जनता के भीतर और अधिक बेचैनी फैला दी है. राजनीतिक भविष्य किस दिशा में मुड़ेगा, यह किसी को समझ नहीं आ रहा.

चुनावी नतीजों से पहले ही राजनीतिक संग्राम

तख्तापलट ऐसे समय में हुआ है जब देश में हाल ही में राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव हुए थे. आधिकारिक नतीजों का ऐलान गुरुवार (27 नवंबर) को होना था. लेकिन इससे पहले ही सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपनी-अपनी जीत का दावा कर माहौल गरमा दिया था. 2019 के चुनावों की तरह इस बार भी प्रक्रिया विवादों में घिरी रही.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्य विपक्षी पार्टी PAIGC को चुनाव लड़ने से रोकना देश में बड़े राजनीतिक टकराव का कारण बना. विपक्ष ने इसे सत्ता का दुरुपयोग करार दिया. वहीं, राष्ट्रपति एम्बालो का कार्यकाल फरवरी में खत्म होने के बावजूद पद न छोड़ना लोकतंत्र पर पहले से ही संकट के बादल मंडरा रहा था.

गिनी-बिसाऊ में तख्तापलट की लंबी परंपरा

यह पहली बार नहीं है जब गिनी-बिसाऊ सैन्य दखल का शिकार हुआ है. 1974 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से अब तक देश चार सफल तख्तापलट झेल चुका है, जबकि कई प्रयास असफल भी हुए हैं. राजनीतिक ढांचे की कमजोरी, गहरी गरीबी, भ्रष्टाचार, माफिया गतिविधियां और ड्रग तस्करी जैसे कारणों ने देश को हमेशा अस्थिर माहौल में धकेला है.

गिनी-बिसाऊ आज जिस मोड़ पर खड़ा है, वह उसकी दशकों पुरानी राजनीतिक अस्थिरता का ही परिणाम है. देश अब आगे किस दिशा में बढ़ेगा, यह आने वाले दिनों में ही स्पष्ट होगा.

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