![]() |
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी भारतीय हथियारों की डिमांड
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Oct 19, 2025, 11:58 am IST
Keywords: भारत ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट पाकिस्तान डिफेंस कॉरिडोर india news ब्रह्मोस यूनिट भारतीय रक्षा मंत्रालय ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
![]() नई दिल्ली: भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के निर्यात को लेकर दो अहम देशों के साथ करीब 4000 करोड़ रुपये के रक्षा सौदे किए हैं. इन समझौतों की खास बात ये है कि इन्हें गोपनीय रखा गया है, यानी इन देशों के नाम सार्वजनिक नहीं किए गए हैं. यह डील तब सामने आई है जब हाल ही में भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत एक सफल सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया है. माना जा रहा है कि उसी के बाद इन दोनों देशों ने भारत के मिसाइल सिस्टम पर विश्वास जताते हुए यह करार किया. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को भारत और रूस की साझेदारी में विकसित किया गया है. यह मिसाइल "फायर एंड फॉरगेट" तकनीक पर आधारित है, जो 3 माक (Mach 3) की रफ्तार से उड़ती है और ज़मीन, समुद्र तथा हवा तीनों से लॉन्च की जा सकती है. इसकी अधिकतम मारक क्षमता करीब 290-450 किलोमीटर तक है, जो नए वर्ज़नों में बढ़कर 800 किलोमीटर तक भी जा सकती है. यह मिसाइल भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट (रक्षा निर्यात) में एक बड़ा हिस्सा रखती है और इसे दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल माना जाता है. ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव हाल ही में भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर "ऑपरेशन सिंदूर" को अंजाम दिया. इसमें भारतीय वायुसेना ने ब्रह्मोस मिसाइल से लैस विमानों का इस्तेमाल किया. यह ऑपरेशन बेहद सटीक, तेज और सफल रहा. इसके बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रह्मोस मिसाइल की क्षमता और भरोसे को लेकर चर्चा तेज हो गई. माना जा रहा है कि इसी कार्रवाई के तुरंत बाद दो देशों ने भारत से ब्रह्मोस खरीदने का समझौता किया, जो इस बात का संकेत है कि भारत की रक्षा प्रणाली और तकनीक पर दुनिया का भरोसा बढ़ रहा है. दोनों देशों के नाम क्यों छिपाए गए? भारत सरकार और ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने अभी तक उन दो देशों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं, जिन्होंने यह सौदे किए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि जियो-पॉलिटिकल संवेदनशीलता (geopolitical sensitivity) के चलते ऐसा किया गया है. हो सकता है कि ये देश चीन या पाकिस्तान के पड़ोसी या विरोधी हों, और किसी भी प्रकार का राजनीतिक दबाव या टकराव टालना चाहते हों. कौन-कौन से देश हैं संभावित खरीदार? 1. वियतनाम वियतनाम लंबे समय से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की योजना बना रहा है. दक्षिण चीन सागर में उसका चीन से पुराना सीमा विवाद है और वह अपनी समुद्री सुरक्षा को लेकर गंभीर है. 2. इंडोनेशिया इंडोनेशिया के साथ भी भारत की बातचीत कई महीनों से चल रही थी. इंडियन डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2025 में भारत और इंडोनेशिया के बीच 450 मिलियन डॉलर के ब्रह्मोस सौदे की चर्चा थी. हालांकि तब कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी. लेकिन रणनीतिक दृष्टिकोण से इंडोनेशिया भी एक संभावित खरीदार हो सकता है, खासकर चीन के बढ़ते समुद्री प्रभाव को देखते हुए. 3. सऊदी अरब सऊदी अरब ने भी हाल के वर्षों में भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने में रुचि दिखाई है. फरवरी 2024 में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के अधिकारियों ने संकेत दिए थे कि सऊदी अरब के साथ मिसाइल डील को लेकर बातचीत चल रही है. रूस की सरकारी समाचार एजेंसी TASS ने भी इस खबर की पुष्टि की थी. अगर सौदा हुआ है तो सऊदी अरब भी उन दो देशों में एक हो सकता है. भारत का बढ़ता रक्षा निर्यात भारत अब सिर्फ हथियारों का आयातक नहीं, बल्कि एक मजबूत रक्षा निर्यातक बनकर उभर रहा है. वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 21000 करोड़ रुपये से अधिक का रक्षा निर्यात किया. ब्रह्मोस इस निर्यात में 30% से ज्यादा का योगदान देता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण की नई फैक्ट्री के उद्घाटन के दौरान कहा था कि भारत अब अपने रक्षा उत्पादों के लिए वैश्विक स्तर पर भरोसेमंद साझेदार बन गया है. लखनऊ में बनी यह फैक्ट्री हर साल 150 ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण कर सकती है, जिससे भारत की निर्यात क्षमता में भारी बढ़ोतरी होगी. |
क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|