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दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली एयरफोर्स बनी भारतीय वायुसेना

जनता जनार्दन संवाददाता , Oct 17, 2025, 16:28 pm IST
Keywords: World Directory of Modern Military Aircraft   WDMMA   मल्टी-रोल क्षमताएं   एयर सुपरियोरिटी  
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दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली एयरफोर्स बनी भारतीय वायुसेना

भारत की रक्षा क्षमताओं में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. भारतीय वायुसेना (IAF) को वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे ताकतवर वायुसेना के रूप में मान्यता दी गई है. यह रैंकिंग प्रतिष्ठित संगठन World Directory of Modern Military Aircraft (WDMMA) द्वारा जारी की गई है. इस सूची में भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया है, जबकि शीर्ष दो स्थानों पर अमेरिका और रूस की वायुसेनाएं काबिज हैं.

यह उपलब्धि भारतीय वायुसेना की निरंतर आधुनिकीकरण प्रक्रिया, रणनीतिक संतुलन, और युद्ध क्षमता को दर्शाती है. आइए विस्तार से जानते हैं कि यह रैंकिंग कैसे तय होती है, और कौन-कौन से देश इस सूची में कहां खड़े हैं.

WDMMA रैंकिंग: कैसे तय होती है वायुसेना की रैंक

WDMMA हर साल दुनिया की प्रमुख वायु सेनाओं का विश्लेषण कर एक वार्षिक रैंकिंग जारी करता है. यह केवल विमान की संख्या पर आधारित नहीं होती, बल्कि इसका मूल्यांकन एक विशेष फॉर्मूले पर आधारित होता है, जिसे TrueValue Rating (TVR) कहा जाता है.

TVR स्कोर किसी वायुसेना की कुल युद्ध क्षमता को दर्शाता है, जिसमें शामिल होते हैं:

  • लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता
  • मिशन विविधता (जैसे बॉम्बर, ट्रांसपोर्ट, ट्रेनर, विशेष मिशन आदि)
  • टेक्नोलॉजी और आधुनिकीकरण स्तर
  • इंडिजिनस यानी घरेलू उत्पादन क्षमता
  • लॉजिस्टिक्स और सपोर्ट सिस्टम
  • पायलट और स्टाफ की ट्रेनिंग व अनुभव
  • सैन्य सहयोग और रणनीतिक साझेदारी

इसलिए केवल ज्यादा विमान होने से कोई एयरफोर्स टॉप पर नहीं आती, गुणवत्ता और संतुलन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

WDMMA की टॉप 10 वायुसेनाओं की रैंकिंग (2024)

संयुक्त राज्य अमेरिका (USAF)

  • TVR स्कोर: 242.9
  • कारण: अत्याधुनिक तकनीक, विविध प्रकार के मिशन-कैपेबल एयरक्राफ्ट, भारी मात्रा में इंडिजिनस उत्पादन.
  • रूस (Russian Aerospace Forces)
  • मजबूत फाइटर और बॉम्बर फ्लीट, आधुनिक सुखोई सीरीज विमान, मिसाइल प्रणाली में अग्रणी.

भारत (Indian Air Force)

  • अब तीसरे स्थान पर, चीन से ऊपर.
  • मिश्रित फ्लीट: Su-30MKI, Rafale, Mirage-2000, Tejas जैसे विमान.
  • स्वदेशी क्षमताओं में वृद्धि, रक्षा साझेदारियों का विस्तार.

चीन (People’s Liberation Army Air Force - PLAAF)

  • ज्यादा संख्या में एयरक्राफ्ट, लेकिन TVR स्कोर भारत से कम.
  • तकनीकी विविधता और अनुभव में अभी भी पिछड़ रहा है.
  • जापान (Japan Air Self-Defense Force)
  • अमेरिकी सहयोग और अत्याधुनिक F-35 फाइटर से सुसज्जित.

इजरायल (Israeli Air Force)

  • युद्ध अनुभव, तकनीकी एडवांसमेंट, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर में अग्रणी.

फ्रांस (French Air and Space Force)

  • Rafale फ्लीट, अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभियान में भागीदारी.

ब्रिटेन (Royal Air Force - RAF)

  • आधुनिक ट्रेनिंग, NATO मिशन लीडरशिप, F-35B कैपेबिलिटी.

दक्षिण कोरिया (ROKAF)

  • उन्नत तकनीक, अमेरिकी समर्थन, उत्तर कोरिया से खतरे के चलते सतर्क रणनीति.

इटली (Italian Air Force)

  • यूरोपीय संयुक्त परियोजनाओं का हिस्सा, NATO ऑपरेशन्स में सक्रिय.

पाकिस्तान की वायुसेना का क्या हाल है?

पाकिस्तान एयरफोर्स (PAF) को इस रैंकिंग में 18वें स्थान पर रखा गया है. इसके पास आधुनिक JF-17 थंडर जैसे विमान हैं जो चीन के साथ मिलकर विकसित किए गए हैं. हालांकि, वायुसेना की कुल ताकत, टेक्नोलॉजी की विविधता और इंडिजिनस उत्पादन की सीमाएं इसे भारत और अन्य कई देशों से पीछे रखती हैं.

सऊदी अरब ने भी मारी बाज़ी

चौंकाने वाली बात यह है कि सऊदी अरब की वायुसेना, जो उच्च तकनीकी अमेरिकी और यूरोपीय जेट्स जैसे F-15, Eurofighter Typhoon और Tornado से लैस है, पाकिस्तान से ऊपर 17वें स्थान पर है.

भारतीय वायुसेना की ताकत-

भारतीय वायुसेना की मजबूती के कुछ प्रमुख कारण:

  • Su-30MKI जैसे हैवी फाइटर, जो भारत में ही HAL द्वारा असेंबल किए जाते हैं.
  • राफेल जेट्स की एंट्री से टेक्नोलॉजिकल एडवांटेज.
  • LCA तेजस जैसे स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान.
  • मल्टी-रोल क्षमताएं – एयर सुपरियोरिटी, ग्राउंड अटैक, रीकॉन और स्पेशल मिशन.
  • अभ्यास और अनुभव – नियमित युद्धाभ्यास, विदेशी देशों के साथ जॉइंट ट्रेनिंग.
  • इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम और रडार नेटवर्क.

WDMMA: कौन हैं ये संगठन?

World Directory of Modern Military Aircraft (WDMMA) एक प्रतिष्ठित ग्लोबल रक्षा डाटाबेस है, जो हर साल 100 देशों की वायु सेनाओं का आकलन करता है. इसकी रैंकिंग पूरी तरह से विश्लेषणात्मक होती है और इसका मकसद सिर्फ संख्याओं पर नहीं बल्कि प्रभावी युद्धक्षमता पर आधारित निष्कर्ष देना होता है.

इस रिपोर्ट में 129 सैन्य विमानन सेवाएं शामिल हैं, जो 103 देशों का प्रतिनिधित्व करती हैं.

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