जेलेंस्की राष्ट्रपति नहीं...एक बार फिर रूस के विदेश मंत्री ने उठाए सवाल

जेलेंस्की राष्ट्रपति नहीं...एक बार फिर रूस के विदेश मंत्री ने उठाए सवाल

रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से चल रहे युद्ध को लेकर एक बार फिर बातचीत की संभावनाओं की चर्चा तेज हो गई है. लेकिन इस बार चर्चा का केंद्र कोई नया शांति प्रस्ताव नहीं, बल्कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की वैधता को लेकर उठे सवाल हैं.

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रविवार को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता होती है, तो यह स्पष्ट होना चाहिए कि सामने बैठा व्यक्ति कानूनी रूप से उस देश का प्रतिनिधित्व कर भी रहा है या नहीं. उनका सीधा इशारा जेलेंस्की की ओर था.

"हम बातचीत को तैयार हैं, लेकिन..." – लावरोव

एनबीसी न्यूज से बातचीत में लावरोव ने कहा, हम बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन यह भी तय होना चाहिए कि समझौते पर दस्तखत करने वाला व्यक्ति वैध रूप से उस पद पर है. यूक्रेनी संविधान के मुताबिक, जेलेंस्की का कार्यकाल खत्म हो चुका है. लावरोव ने यह भी जोड़ा कि हालांकि जेलेंस्की इस समय यूक्रेन की सत्ता संभाल रहे हैं, लेकिन जब कोई अंतरराष्ट्रीय समझौता होगा, तो उस पर दस्तखत करने वाले की वैधानिक स्थिति पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए.

रूस ने पहले भी उठाए हैं सवाल

यह पहली बार नहीं है जब रूस की तरफ से जेलेंस्की की वैधता को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. मई 2024 में उनका आधिकारिक कार्यकाल समाप्त हो गया था, जिसके बाद से रूस लगातार कहता रहा है कि वे अब "संवैधानिक राष्ट्रपति" नहीं रहे. हालांकि, यूक्रेन सरकार का कहना है कि देश में चल रहे युद्ध की स्थिति (मार्शल लॉ) के तहत जेलेंस्की का कार्यकाल बढ़ा है और वह पूरी तरह वैध रूप से राष्ट्र के प्रतिनिधि बने हुए हैं.

बैठक की मंशा या वैधता की चाल?

लावरोव ने जेलेंस्की की रूस-यूक्रेन शांति वार्ता की कोशिशों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि जेलेंस्की पुतिन से मुलाकात की बात इसलिए कर रहे हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को एक वैध नेता के रूप में पेश कर सकें.रूसी विदेश मंत्री का मानना है कि इस रणनीति के पीछे उद्देश्य सिर्फ वार्ता नहीं, बल्कि जेलेंस्की की वैधानिक स्थिति को मजबूत करना है.

क्या वार्ता की टेबल पर आएगा हल?

रूस की तरफ से जहां शांति वार्ता को लेकर कानूनी स्पष्टता की मांग की जा रही है, वहीं यूक्रेन की ओर से यह बार-बार कहा जा चुका है कि जब तक रूस ज़ेलेंस्की की सरकार को मान्यता नहीं देता और युद्धविराम की शर्तें नहीं मानता, तब तक कोई सार्थक बातचीत संभव नहीं है.

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