भारत कभी नहीं करेगा समझौता, ट्रंप के दोहरेपन की खोली पोल!

जनता जनार्दन संवाददाता , Aug 23, 2025, 16:42 pm IST
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भारत कभी नहीं करेगा समझौता, ट्रंप के दोहरेपन की खोली पोल!

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को लेकर पिछले कुछ समय से तनाव बना हुआ है. खासकर, भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की लगातार खरीद और अमेरिका की ओर से भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने को लेकर माहौल गर्माया हुआ है. इस बीच, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में अपनी बात बेझिझक और स्पष्ट अंदाज़ में रखी. उन्होंने दो टूक कहा कि भारत अपनी नीतियों को राष्ट्रीय हित में बनाएगा और उसे किसी के दबाव में आकर नहीं बदलेगा.

रूस से तेल खरीद पर जयशंकर का साफ संदेश

विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, क्योंकि यह भारत के लिए भी जरूरी है और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से भी फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि भारत कोई तात्कालिक फैसला नहीं लेता, बल्कि दीर्घकालिक सोच के साथ काम करता है.

उनके अनुसार, भारत आज जो निर्णय ले रहा है, वह सिर्फ अपने फायदे के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिरता और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए भी है.

किसानों और छोटे उत्पादकों से कोई समझौता नहीं

ट्रेड डील को लेकर जब एस. जयशंकर से पूछा गया कि अमेरिका से समझौते में क्या रोड़ा है, तो उन्होंने कहा, "हमारी कुछ स्पष्ट सीमाएं हैं, जिन्हें हम पार नहीं कर सकते."

उनका इशारा था कि भारत अपने किसानों और छोटे व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने साफ कहा कि सरकार उन मुद्दों पर कोई समझौता नहीं करेगी, जिससे भारत के ग्रामीण अंचलों और कुटीर उद्योगों को नुकसान पहुंचे.

जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका के साथ बातचीत अब भी चल रही है. उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि बातचीत खत्म हो गई है या दोनों देशों के बीच कोई 'कुट्टी' हो गई है."

चीन पर चुप्पी क्यों? अमेरिका के डबल स्टैंडर्ड पर सवाल

अमेरिका द्वारा भारत पर 25% का टैरिफ लगाने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एस. जयशंकर ने दोहराया कि अगर रूस से तेल खरीदने पर भारत को दंडित किया जा रहा है, तो फिर चीन पर यह नीति क्यों नहीं लागू हो रही, जबकि वह रूस का सबसे बड़ा तेल आयातक है?

उन्होंने तर्कपूर्ण सवाल उठाते हुए कहा कि यह दोहरी नीति नहीं तो और क्या है? जब यूरोप और अमेरिका खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं, तब भारत को निशाना बनाना अनुचित और पक्षपाती रवैया है.

स्वतंत्र नीति और आत्मनिर्भर भारत की वकालत

जयशंकर ने कहा कि भारत आज वह देश है जो अपने निर्णय स्वतंत्र रूप से लेता है. भारत किसी देश के प्रभाव में आकर नीतियां नहीं बनाता. उन्होंने कहा, "हम वही करते हैं जो हमारे राष्ट्रीय हितों के अनुकूल हो."

उन्होंने अमेरिका को यह भी याद दिलाया कि व्यापारिक रिश्तों में मजबूरी नहीं होती. अगर किसी को भारत के तेल या अन्य उत्पादों से समस्या है, तो वह उन्हें न खरीदे. कोई उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं कर रहा.

भारत-चीन और भारत-अमेरिका संबंध अलग

फोरम में जब उनसे भारत-चीन संबंधों पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों को एक ही चश्मे से नहीं देखा जा सकता. उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका से भारत के संबंध अलग-अलग प्रकृति के हैं और हर चुनौती का अपना समाधान और समय-सीमा होती है.

जयशंकर ने विश्लेषकों को आगाह किया कि वे हर अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम को जोड़कर एक ही निष्कर्ष पर न पहुंचे. दुनिया जटिल है और भारत अपने संबंधों को उसी समझदारी के साथ संभालता है.

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