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पाकिस्तान को सिंधु समझौते पर वर्ल्ड बैंक से बड़ा झटका, कहा- यह सब बकवास है
जनता जनार्दन संवाददाता ,
May 09, 2025, 19:48 pm IST
Keywords: पाकिस्तान विश्व बैंक भारत और पाकिस्तान अब भारत में बहेगा india sindhu river
नई दिल्ली: सिंधु जल संधि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच विश्व बैंक ने अपनी स्थिति साफ कर दी है. पाकिस्तान की अपील के जवाब में बैंक ने दो टूक कहा है कि वह इस मामले में किसी भी पक्ष को निर्णय बदलने के लिए बाध्य नहीं कर सकता. संस्था ने इसे द्विपक्षीय संधि मानते हुए खुद को एक सीमित मध्यस्थ की भूमिका में बताया है. इस प्रतिक्रिया के साथ पाकिस्तान की उम्मीदों को करारा झटका लगा है, जो विश्व बैंक की मदद से भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना चाहता था. हम सिर्फ मध्यस्थ हैं, निर्णायक नहीं विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने शुक्रवार, 9 अप्रैल को स्पष्ट किया, "हमारी भूमिका केवल एक मध्यस्थ की है. मीडिया में जो अटकलें लगाई जा रही हैं कि विश्व बैंक इस मसले को हल करने की कोई निर्णायक भूमिका निभाएगा, वे पूरी तरह से भ्रामक हैं. यह एक द्विपक्षीय जल संधि है, और हमारी भूमिका उसकी सीमाओं में ही है." यह बयान ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान ने संधि के निलंबन को "अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लंघन" बताते हुए विश्व बैंक से हस्तक्षेप की अपील की थी. अपने अधिकार का पानी, अब भारत में बहेगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत अब सिंधु प्रणाली के तहत मिले अपने हिस्से के जल का अधिकतम उपयोग करेगा. एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, "भारत के हक का पानी, भारत के हक में बहेगा." यह बयान संधि के तहत भारत को पूर्व निर्धारित जल प्रवाह को नियंत्रित करने के अधिकार की ओर इशारा करता है, विशेष रूप से रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के संदर्भ में. भारत पानी को बना रहा हथियार- पाकिस्तान पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने भारत के इस निर्णय की तीखी आलोचना की. उन्होंने कहा, "भारत सरकार सिंधु जल को एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है. संधि को एकतरफा निलंबित करना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है." हालाँकि, भारत का कहना है कि संधि का पुनरावलोकन या सीमित निलंबन, विशेष रूप से सुरक्षा और रणनीतिक परिस्थितियों में, अंतरराष्ट्रीय कानूनों के दायरे में रहकर किया गया है. सलाल बांध के गेट खुलने से फिर बढ़ी हलचल जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले से आई तस्वीरों में सलाल बांध के गेट खुले दिखे, जिससे पाकिस्तान की ओर बहने वाले चेनाब नदी के जल प्रवाह को लेकर अटकलें तेज हो गईं. सूत्रों के अनुसार, यह कदम तकनीकी कारणों से उठाया गया था, लेकिन इसका रणनीतिक संदेश पाकिस्तान तक जरूर गया. भारत अब सिंधु प्रणाली के तहत मिलने वाले अपने हिस्से के जल के उपयोग को आर्थिक, कृषि और ऊर्जा नीति से जोड़ते हुए देख रहा है. विश्व बैंक का सीमित दायरा 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई सिंधु जल संधि दुनिया की सबसे सफल और टिकाऊ जल संधियों में मानी जाती रही है. इसके अंतर्गत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) का नियंत्रण मिला. विश्व बैंक इस समझौते में केवल एक तकनीकी संयोजक और विवाद समाधान प्रक्रिया में मध्यस्थ के रूप में सम्मिलित है. किसी पक्ष को निर्णय बदलने के लिए विवश करना उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है. |
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