खामेनेई के पास दो हफ्ते का वक्त, ईरान को ट्रंप ने दी चेतावनी

जनता जनार्दन , Jun 20, 2025, 7:07 am IST
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खामेनेई के पास दो हफ्ते का वक्त, ईरान को ट्रंप ने दी चेतावनी

मध्य पूर्व एक बार फिर गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है. इज़रायल और ईरान के बीच छिड़े संघर्ष ने अब एक नए और खतरनाक मोड़ ले लिया है, जहां सैन्य हमलों ने अब न सिर्फ रिहायशी इलाकों को बल्कि परमाणु ठिकानों को भी अपनी चपेट में ले लिया है. गुरुवार को दक्षिणी इज़रायल में हुए ईरानी मिसाइल हमलों ने बीरशेबा स्थित ‘सोरोका मेडिकल सेंटर’ जैसे प्रमुख अस्पताल को नुकसान पहुंचाया, जबकि तेल अवीव के आस-पास की कई इमारतें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुईं.

ट्रकों को भी निशाना बनाया

इज़रायली स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इन हमलों में कम से कम 240 लोग घायल हुए हैं, जिनमें चार की हालत गंभीर बनी हुई है. बीरशेबा से उठता काला धुआं और क्षतिग्रस्त इमारतों की तस्वीरें इज़रायली मीडिया में प्रमुखता से दिखाई जा रही हैं.

इन हमलों के जवाब में, इज़रायल ने ईरान के पश्चिमी हिस्से में कई हवाई हमले किए. इज़रायली सेना के अनुसार, इस जवाबी कार्रवाई में लगभग 20 लड़ाकू विमानों को तैनात किया गया और बैलिस्टिक मिसाइल ले जा रहे ट्रकों को भी निशाना बनाया गया. इसके साथ ही, एक बड़ा हमला ईरान के अराक भारी जल रिएक्टर पर किया गया, जो उसके परमाणु कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा माना जाता है.

इज़रायल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने ईरानी हमलों के बाद तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का अस्तित्व अब नहीं बचना चाहिए. हमारी सेनाएं जानती हैं कि लक्ष्य क्या है – और उसे हासिल करना है."

दो हफ्तों के भीतर फैसला करूंगा

अमेरिका ने इस मसले पर संयम बरतने के संकेत दिए हैं. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान साझा करते हुए कहा कि अमेरिका अभी सीधे तौर पर युद्ध में शामिल होने का निर्णय नहीं ले रहा है. ट्रंप ने कहा, "ईरान के साथ बातचीत की संभावना बनी हुई है, इसलिए मैं अगले दो हफ्तों के भीतर फैसला करूंगा कि अमेरिका इस संघर्ष में शामिल होगा या नहीं."

इसके विपरीत, कुछ अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप ने खामेनेई की हत्या की इज़रायली योजना को फिलहाल वीटो कर दिया है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि "अभी के लिए खामेनेई को मारने की कोई योजना नहीं है."

यह संघर्ष तब शुरू हुआ जब सात दिन पहले इज़रायल ने ईरानी सैन्य ठिकानों और परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाते हुए अचानक हमले किए थे. इसके जवाब में ईरान ने मिसाइल हमलों की बौछार कर दी, और अब यह टकराव दोनों देशों के सबसे संवेदनशील प्रतिष्ठानों तक पहुंच चुका है.

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