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अमेरिकी दूतावास तक पहुंची ईरानी मिसाइल, ट्रंप को उकसाने की कोशिश कर रहे हैं खामेनेई!
जनता जनार्दन ,
Jun 16, 2025, 18:23 pm IST
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मध्य-पूर्व में छिड़े संघर्ष ने सोमवार को एक बेहद संवेदनशील मोड़ ले लिया, जब ईरान द्वारा दागी गई मिसाइलों में से कुछ इजरायल की राजधानी तेल अवीव में स्थित अमेरिकी दूतावास के नजदीक आकर गिरीं. मिसाइल हमले के बाद दूतावास की इमारत में हल्का-फुल्का नुकसान तो हुआ, लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. फिलहाल, सुरक्षा कारणों से दूतावास को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है. अमेरिकी दूतावास बना निशाना तेल अवीव में तैनात अमेरिकी राजदूत माइक हकाबी ने पुष्टि की कि हमले में दूतावास के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हुए हैं. उन्होंने बताया कि दूतावास स्टाफ को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में टूटी खिड़कियां और दूतावास परिसर में बिखरे मलबे देखे जा सकते हैं. हालांकि, राजदूत हकाबी ने यह भी स्पष्ट किया कि दूतावास पर सीधा हमला नहीं था, बल्कि ईरानी मिसाइलें आसपास के इलाकों में गिरीं. ट्रंप की रणनीतिक चुप्पी सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि अमेरिका इस हमले का जवाब किस तरह देगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही सार्वजनिक रूप से ईरान को चेतावनी दे चुके हैं कि यदि अमेरिका के किसी भी हित को नुकसान पहुंचा, तो जवाब बेहद कठोर होगा. लेकिन अमेरिकी दूतावास के क्षतिग्रस्त होने के बावजूद अब तक व्हाइट हाउस की ओर से कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं आई है. ट्रंप प्रशासन के अगले कदम पर वैश्विक राजनीति की नजरें टिकी हुई हैं. युद्ध की रफ्तार खतरनाक स्तर पर इजरायल और ईरान के बीच चल रहा यह संघर्ष अब एक भयंकर युद्ध में बदलता जा रहा है. बीते सप्ताह इजरायली वायुसेना द्वारा तेहरान के कई अहम सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें ईरान के कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिकों की मौत हो चुकी है. इस आक्रामक कार्रवाई के जवाब में ईरान ने इजरायल के तेल अवीव, हाइफा और बेन गुरियन एयरपोर्ट जैसे प्रमुख ठिकानों पर मिसाइलों की बौछार कर दी. क्षेत्रीय अस्थिरता की ओर बढ़ते कदम मध्य-पूर्व में यह संघर्ष अब केवल इजरायल और ईरान तक सीमित नहीं रहा. अमेरिकी हितों के सीधे निशाने पर आने से यह टकराव वैश्विक स्तर पर गूंजने लगा है. इस जंग का असर खाड़ी देशों, यूरोप और एशिया की रणनीतिक नीतियों पर भी दिखाई देने लगा है. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि यदि अमेरिका अब सैन्य रूप से हस्तक्षेप करता है, तो यह संघर्ष व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में तब्दील हो सकता है, जिसके नतीजे पूरी दुनिया को भुगतने पड़ सकते हैं. |
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