लीबिया को लेकर ओबामा ने की लामबंदी

जनता जनार्दन संवाददाता , Mar 19, 2011, 18:35 pm IST
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लीबिया को लेकर ओबामा ने की लामबंदी त्रिपोली: लीबिया के तानाशाह शासक मुअम्मार गद्दाफी के खिलाफ अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ की अगुआई में दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है. इस बीच मुअम्मार गद्दाफी के हवाई हमले न करने के ऐलान के बावजूद उनकी समर्थक सेना ने विरोधियों पर हमले जारी रखे हैं। लीबियाई शहर मिसराता में हुए हवाई हमले में गद्दाफी समर्थक सेना ने विरोधियों पर बम बरसाए हैं।

इसमें करीब 25 विरोधियों ने जान गंवाई है। उधर, इन हमलों से खफा अमेरिका ने गद्दाफी को धमकी दी है कि अगर विरोधियों पर हमले नहीं रुके तो वह और उसके यूरोपीय और अरब मुल्कों के सहयोगी लीबिया पर धावा बोल देंगे। ब्रिटिश मंत्री डेविक कैमरून ने भी कहा है कि लीबिया के खिलाफ सैन्‍य ताकत का इस्‍तेमाल ही वहां शांति बहाली का मजबूत विकल्‍प है।

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने वाइट हाउस में दिए गए एक बयान में कहा है, 'मैं इस मामले में शर्तों पर किसी तरह की बातचीत या बदलाव के लिए तैयार नहीं हूं। उन्होंने कहा, यह शर्त बहुत साफ है कि विरोधियों के कब्जे में मौजूद इलाकों पर गद्दाफी की सेनाएं हमला न करें।' ओबामा ने कहा है कि गद्दाफी की सेना अजदाबिया, मिसराटा और जविया की तरफ न बढ़े।

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हुए लीबिया में सरकार ने 'तत्‍काल संघर्षविराम' का ऐलान कर दिया था। साथ ही, लीबिया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्‍ताव की आलोचना की है, जिसे पारित कर लीबिया में कर्नल मुअम्मार गद्दाफी की सेना पर हवाई हमले और सैन्य कार्रवाई का रास्‍ता साफ कर दिया गया था।

संयुक्त राष्ट्र ने लीबिया में गद्दाफी की सेना द्वारा विरोधियों पर हो रहे हमले को रोकने के लिए यह कदम उठाने का फैसला किया था। फ्रांस ने सुरक्षा परिषद में मतदान से पहले ही लीबिया पर हवाई हमले को लेकर माहौल बना रहा था।

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी ने अगर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को नहीं माना तो उसे पश्चिमी देशों की सैन्य कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

ओबामा ने कहा कि गद्दाफी को नागरिकों के खिलाफ हमले बंद करने होंगे और कथित विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों से अपने सैनिक हटाने होंगे। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लीबिया में नो फ्लाई जोन बनाए जाने का प्रस्ताव मंजूर हो गया था। इसके बाद लीबिया ने संघर्षविराम की घोषणा कर दी थी।

ओबामा ने कहा है कि अगर लीबिया संयुक्त राष्ट्र की बात नहीं मानता है तो अंतरराष्ट्रीय जगत कदम उठाएगा और सैन्य कार्रवाई होगी। हालांकि ओबामा ने इस बात पर जोर दिया कि ये एक अंतरराष्ट्रीय अभियान है।

उनका कहना था कि अमरीका, लीबिया में जमीन पर अपने सैनिक तैनात नहीं करेगा। एक निश्चित लक्ष्य से आगे जाकर हम सैन्य कार्रवाई नहीं करेंगे। गौरतलब है कि गद्दाफी पिछले 41 सालों से लीबिया पर शासन कर रहे हैं। ट्यूनीशिया और मिस्त्र में सत्ता परिवर्तन के बाद लीबिया में लगातार प्रदर्शन हुए हैं और विद्रोहियों के साथ संघर्ष चल रहा है।

उधर लीबिया से आ रही रिपोटों के मुताबिक गद्दाफी समर्थक सैनिक संघर्षविराम की घोषणा के बाद भी मिस्त्राता और अजदाबिया पर हमला कर रहे हैं। मिस्त्राता लीबिया का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और पश्चिमी लीबिया में विद्रोहियों के कब्जे वाला आखिरी शहर है। एक डॉक्टर के मुताबिक वहां हुई लड़ाई में 25 लोग मारे गए हैं।

इस बीच, ब्रिटेन, अमरीका,फ्रांस और और अरब देशों के नेता संयुक्त राष्ट्र के एक नए प्रस्ताव के तहत लीबिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई पर बात करने के लिए पैरिस में मिलने वाले हैं। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। उनका कहना था कि दुनिया को लीबिया के बारे में एक सुर में बोलना चाहिए।
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