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फसलें बर्बाद हो रहीं, पशु मर रहे... बिना पानी वाला दुनिया का पहला शहर बनेगा काबुल?

जनता जनार्दन संवाददाता , Jul 12, 2025, 12:03 pm IST
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फसलें बर्बाद हो रहीं, पशु मर रहे... बिना पानी वाला दुनिया का पहला शहर बनेगा काबुल?

काबुल, जो कभी अफगानिस्तान का दिल और उसकी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक माना जाता था, आज जल संकट के कगार पर खड़ा है. यह शहर, जो हिंदूकुश की पहाड़ियों के बीच एक ऐतिहासिक और समृद्ध स्थान के रूप में पहचाना जाता था, अब जल स्रोतों के तेजी से खत्म होने की समस्या से जूझ रहा है. एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, काबुल 2030 तक पानी के संकट से पूरी तरह जूझ सकता है, जो दुनिया के एक बड़े शहर के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है.

काबुल के जल संकट के कारण

काबुल के जल संकट का इतिहास कई वर्षों पुराना है, और इसकी जड़ें कई कारकों में हैं. बीते दशक में काबुल के भूजल स्तर में भारी गिरावट आई है, जो अब तक 25 से 30 मीटर तक पहुँच चुकी है. इसके कारण काबुल में पानी की उपलब्धता दिन-प्रतिदिन घट रही है.

1. जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन ने काबुल के जल संकट को और भी गहरा किया है. अफगानिस्तान में पिछले कुछ वर्षों में बर्फबारी में कमी आई है, और सूखा बढ़ने के साथ-साथ बर्फ समय से पहले पिघलने लगी है. 2023 में काबुल में 40 से 50 प्रतिशत कम बारिश हुई, जिसके कारण जलस्तर में फिर से कोई वृद्धि नहीं हो पाई.

2. प्रशासनिक असफलताएं

काबुल की जल प्रणाली में सुधार की दिशा में बहुत कम प्रयास किए गए हैं. जल प्रबंधन, पाइपलाइन मरम्मत, और वर्षाजल संचयन जैसी बुनियादी जरूरतों की अनदेखी ने जल संकट को और भी विकराल बना दिया है. पंजशीर नदी से पानी लाने के लिए 170 मिलियन डॉलर का प्रोजेक्ट वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ा है, जो सरकार की नाकामी को उजागर करता है.

3. बढ़ती आबादी का दबाव

2001 में काबुल की आबादी केवल 10 लाख थी, लेकिन आज यह 60 लाख के पार पहुँच चुकी है. काबुल में होने वाली युद्ध और आंतरिक विस्थापन के कारण शहर में लाखों लोग बसे हैं. इस तेज़ी से बढ़ती आबादी के कारण, जल संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ा है, जो पहले से ही सीमित थे.

जल संकट के कारणों में योगदान

काबुल में जल संकट की समस्या और भी बढ़ गई है क्योंकि यहां पर 500 से अधिक बोतलबंद पानी और सॉफ्ट ड्रिंक कंपनियां जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन कर रही हैं. उदाहरण के तौर पर, अलोकोजे कंपनी हर साल 1 अरब लीटर पानी का उपयोग करती है. इसके अलावा, 400 हेक्टेयर में फैले ग्रीनहाउस भी सालाना लगभग 4 अरब लीटर पानी का इस्तेमाल करते हैं.

क्या होगा अगर हालात नहीं सुधरे?

यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अफगान सरकार इस समस्या का समाधान नहीं निकालतीं, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. काबुल से लगभग 30 लाख लोग विस्थापित हो सकते हैं, और यह संकट केवल काबुल तक ही सीमित नहीं रहेगा. देश के अन्य हिस्सों, विशेषकर उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी प्रांतों में भी सूखा फैलने की संभावना है. यहाँ पर फसलें बर्बाद हो रही हैं और पशुधन मर रहे हैं, जिससे लाखों लोगों की आजीविका संकट में है. खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के मुताबिक, कृषि और पशुपालन पर निर्भर लाखों अफगानी लोग प्रभावित होंगे.

समाधान की दिशा में उम्मीद की किरण

हालांकि संकट गहरा है, लेकिन एक उम्मीद की किरण भी है. पंजशीर नदी से काबुल तक पानी लाने की योजना बनाई गई है, और इसके डिज़ाइन का काम 2024 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है. अगर इस परियोजना को जल्द मंजूरी मिलती है और इसके लिए निवेशक जुटाए जाते हैं, तो यह काबुल के लगभग 20 लाख लोगों के लिए स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकती है.

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