गोधरा कांड: दोषियों की सजा पर गुजरात हाईकोर्ट का आज आएगा फैसला

जनता जनार्दन डेस्क , Oct 09, 2017, 9:41 am IST
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गोधरा कांड: दोषियों की सजा पर गुजरात हाईकोर्ट का आज आएगा फैसला नई दिल्ली: गोधरा कांड मामले में गुजरात हाई कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकती है। 27 फरवरी 2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में आग लगा दी गई थी। सुबह 7 बजकर 57 मिनट पर हुई इस घटना में अय़ोध्या से लौट रहे 59 कार सेवकों की जलकर मौत हो गई थी। इस कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे। इस डिब्बे में ज्यादातर अयोध्या से लौट रहे 'कार सेवक' थे। एसआईटी की विशेष अदालत ने एक मार्च 2011 को इस मामले में 31 लोगों को दोषी करार दिया था जबकि 63 को बरी कर दिया था। 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई जबकि 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। बाद में उच्च न्यायालय में कई अपीलें दायर कर दोषसिद्धी को चुनौती दी गई जबकि राज्य सरकार ने 63 लोगों को बरी किए जाने को चुनौती दी है।

27 फरवरी 2002: गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में भीड़ ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी। इसमें 59 कारसेवकों की मौत हो गई। इस मामले में करीब 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

3 मार्च 2002: ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ्तार किए लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अध्यादेश यानि पोटा लगाया गया हालांकि उसे बाद में हटा भी लिया गया था

6 मार्च 2002: सरकार ने ट्रेन में आग लगने और उसके बाद हुए दंगों की जांच करने के लिए एक आयोग नियुक्त किया।

18 फरवरी 2003: एक बार फिर आरोपियों के खिलाफ आतंकवाद संबंधी कानून लगा दिया गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई भी न्यायिक सुनवाई होने पर रोक लगा दी थी।

21 सितंबर 2004 : यूपीए की सरकार बनी और पोटा कानून के खत्म कर दिया।

जनवरी 2005: जांच कर रही यूसी बनर्जी समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में एस-6 में लगी आग को एक दुर्घटना बताया और इस बात की आशंका को खारिज किया कि आग बाहरी तत्वों द्वारा लगाई गई थी।

13 अक्तूबर 2006 : गुजरात हाईकोर्ट ने यूसी बनर्जी समिति की रिपोर्ट को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि यह अमान्य है।

-2008 में एक जांच आयोग बनाया गया औक नानावटी आयोग को जांच सौंपी गई, जिसमें कहा गया था कि आग दुर्घटना नहीं बल्कि एक साजिश थी।

18 जनवरी 2011: सुप्रीम कोर्ट ने मामले में न्यायिक कार्रवाई करने को लेकर जो रोक लगाई थी वो हटा दी।

22 फरवरी 2011: विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 31 लोगों को दोषी पाया, जबकि 63 अन्य को बरी कर दिया गया।

1 मार्च 2011: विशेष अदालत ने 11 को फांसी, 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई।

-2014 में नानावती आयोग ने 12 साल की जांच के बाद गुजरात दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंप दी थी।

दूसरी ओर पिछली सुनवाई में गुजरात हाईकोर्ट ने साफ किया है कि गुजरात दंगों की दोबारा जांच नहीं होगी। गुजरात में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को लेकर तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट बरकरार रहेगी.










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