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संस्कृत का इकलौता अखबार सुधर्मा, ताकि बची रहे संस्कृति
जनता जनार्दन संवाददाता ,
Jul 07, 2011, 13:39 pm IST
Keywords: World's only दुनिया का अकेला Sanskrit संस्कृत News paper समाचार पत्र Sudharma सुधर्मा Seving the culture संस्कृत की रक्षा K V Sampatkumar के.वी. सम्पत कुमार
![]() मैसूर से प्रकाशित होने वाले इस समाचार पत्र के सम्पादक के.वी. सम्पत कुमार ने कहा, "कोई भी प्रादेशिक या केंद्रीय निकाय हमारी मदद के लिए आगे नहीं आया और निजी क्षेत्र के विभिन्न संगठनों का हाल भी अलग नहीं है।" इस समाचार पत्र के 2,000 ग्राहक हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह बिना किसी मदद के एक 'मृत भाषा' में समाचार पत्र क्यों निकाल रहे हैं तो इस पर कुमार की पत्नी जयालक्ष्मी ने कहा, "कौन कहता है संस्कृत मर गई है। हर सुबह लोग श्लोकों का उच्चारण करते हैं, पूजा करते हैं, विवाह, बच्चे के जन्म और मृत्यु सहित सारे संस्कार संस्कृत में सम्पन्न होते हैं। संस्कृत की वजह से ही भारत एकजुट है। यह हमारी मातृभाषा है जो अपने में कई भाषाओं को समेटे है। इसका विकास हो रहा है और अब तो आईटी व्यवसायी भी कहते हैं कि यह भाषा उपयोगी है।" जयालक्ष्मी हिंदी, तमिल, कन्नड़, अंग्रेजी व संस्कृत भाषाओं की जानकार हैं। कुमार कहते हैं कि उनके पिता पंडित वरदराज आयंगर ने 15 जुलाई, 1970 को इस समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया था। उन्होंने बताया, "जब 1990 में उनकी मृत्यु हुई तो उससे पहले उन्होंने मुझसे वादा लिया था कि मैं किसी भी तरह से उनके मिशन को जारी रखूंगा। अब यह दैनिक एक मिशन की तरह उसी जुनून और समर्पण के साथ जारी है। मैं अपने आखिरी वक्त तक इसका प्रकाशन करता रहूंगा।" एक रुपये मूल्य में मिलने वाले इस समाचार पत्र में ज्यादातर लेख वेदों, योग, धर्म पर केंद्रित होते हैं। इसके साथ राजनीति, संस्कृति व अन्य विषयों पर भी लेख होते हैं। कुमार और उनकी पत्नी ही इस समाचार पत्र के वितरकों व प्रकाशकों की भूमिका निभा रहे हैं। कुमार बताते हैं, "आकाशवाणी पर संस्कृत में समाचारों का प्रसारण शुरू होने का श्रेय मेरे पिता को जाता है। उन्होंने ही सूचना एवं प्रसारण मंत्री आई.के. गुजराल को इसके लिए मनाया था।" शुरुआत में 'सुधर्मा' की छपाई हाथ से होती थी। बाद में आधुनिक कम्प्युटरीकृत मुद्रण तकनीक अपनाई गई। अब इसका एक ई-पेपर भी है, जिसके चलते अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहुंच है। |
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