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चीन को घेरने की तैयारी में भारत! हिमालय तक बना रहा रोड़, सुरंग और एयरस्ट्रिप

जनता जनार्दन संवाददाता , Dec 29, 2025, 11:38 am IST
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चीन को घेरने की तैयारी में भारत! हिमालय तक बना रहा रोड़, सुरंग और एयरस्ट्रिप

नई दिल्ली: भारत चीन के साथ भविष्य में संभावित सैन्य टकराव को देखते हुए अपने सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे को बड़े पैमाने पर मजबूत कर रहा है. अमेरिकी मीडिया आउटलेट वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने विवादित क्षेत्रों में सैनिक तैनाती और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए सड़क, सुरंग और एयरस्ट्रिप जैसी परियोजनाओं पर सैकड़ों मिलियन डॉलर निवेश करना शुरू कर दिया है.

सीमावर्ती इलाकों में कनेक्टिविटी का महत्व

भारत और चीन के बीच लगभग 2,200 मील लंबी सीमा, जिसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) कहा जाता है, लंबे समय से दोनों देशों के बीच तनाव का केंद्र रही है. विशेष रूप से 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प ने यह स्पष्ट कर दिया कि सीमा पर सैनिकों की तैनाती और आपूर्ति में सुधार की कितनी जरूरत है.

विश्लेषकों का कहना है कि उस समय चीन की बेहतर सड़क और रेल नेटवर्क के कारण उसकी सेना कुछ ही घंटों में अतिरिक्त बलों को तैनात कर सकती थी. इसके विपरीत, भारत की सेना को दुर्गम और सीमित सड़क नेटवर्क के चलते आवश्यक संसाधनों और सैनिकों को तैनात करने में लगभग एक सप्ताह का समय लग सकता था.

2020 के बाद भारत की रणनीति में बदलाव

सैनिक और पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि गलवान घाटी की घटना के बाद भारत की सोच में बड़ा बदलाव आया. इसने साफ कर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी कनेक्टिविटी को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है. इसी के तहत नई परियोजनाओं की शुरुआत की गई है, जिनका उद्देश्य ऊंचाई वाले इलाकों को सेना की चौकियों, स्थानीय बस्तियों और रणनीतिक प्वाइंट्स से जोड़ना है.

इन परियोजनाओं में शामिल हैं:

  • सड़कों का निर्माण और चौड़ीकरण, जिससे पहाड़ी इलाकों में सैनिकों और उपकरणों की आवाजाही आसान हो.
  • सुरंगों का निर्माण, जो मौसम या भूस्खलन जैसी प्राकृतिक बाधाओं से सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करें.
  • एयरस्ट्रिप्स और हेलिपैड, जिससे कठिन इलाके में आपातकालीन आपूर्ति और सैनिकों की त्वरित तैनाती संभव हो.

पैंगोंग झील क्षेत्र में बढ़ रही गतिविधियां

पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र भी भारत-चीन विवाद का अहम केंद्र है. यह झील भारत और चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र तक फैली हुई है और लंबे समय से दोनों पक्षों द्वारा सैन्य गतिविधियों का हिस्सा रही है. 2020 के बाद, दोनों देशों ने यहां सड़कों और ढांचों के विस्तार पर तेजी से काम किया है.

हाल ही में चीन ने झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाला पुल पूरा किया है, जिससे उसकी सेना को इस क्षेत्र में सैनिकों और उपकरणों की आवाजाही में सुविधा मिली है. भारत की ओर से भी पैंगोंग झील और इसके आसपास के क्षेत्रों में सड़क निर्माण और आपूर्ति मार्गों को मजबूत करने की परियोजनाएं चल रही हैं.

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